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माघ मौनी अमावस्या :24 जनवरी 2020


संदर्भ ग्रंथ - देवी पुराण,वायू पुराण,ब्रह्म पुराण,व्रत परिचय,निर्णय सिन्धु।
                   
माघ माह स्नान (श्रेष्ठ समुद्र जल स्नान,अथवा गंगा या तीर्थ जल ) के लिये प्रशस्त है ।
सूर्योदय पूर्व स्नान अति उत्तम।
वर्जित विशेष '-

तैल,मूली,रुई की वत्ती का दीपक,हल्दी का प्रयोग वर्जित /निषेध है।

(कलावा,मौली की वार्तिक सर्वदा श्रेष्ठ )
1-कष्ट विपत्ति से सुरक्षा के लिये किसको अवश्य करना चाहिये?
ज्योतिष में राशि के आधार पर इस अमावस्या को वृषभ कन्या एवं मीन राशि वालों को अवश्य सूर्योदय  पूर्व,तीर्थ जल, समुद्र जल से स्नान करना चाहिए ।स्नान एवं दान  पूर्णिमा एवं अमावस्या को उत्तम फलप्रद होता है ।
यदि आपके नाम  -
,-इ,ऊ,ए,ओ,प,थ,ठ,द,च अक्षर से  प्रारंभ हो उनको भी अवश्य सूर्योदय पूर्व स्नान करना चाहिए।
स्नान मंत्र-पद्म पुराण
दुख दारिद्र्य  नाशाय श्री विष्णु  प्रसन्नार्थ्ं।प्रात:स्नानं करोम्य , माघे पाप विनाशिनम।
(माघ मास मे स्नान कर ,विष्णु जी की कृपा से सब  पाप नाश होंगे एवं कष्ट, दुख, निर्धनता समाप्त होगे। )

जन्म नक्षत्र श्रवण या मकर राशि वालो को भी अपव्यय आदि पर नियन्त्रण हेतू 
इससे दैनिक जीवन  मे आगामी अमावस्या तक ग्रह आपदा कष्ट धन हानी की सम्भावना नही होगी।
4फरवरी को सिद्ध योग,सर्वर्थ सिद्धि ,श्रवन नक्षत्र,अतिउत्तम संयोग ।
कार्य विशेष हेतु शुभ काल
 -सूर्योदय से 3 घंटे 40 मिनट तक जप ध्यान उपासना मंत्र आदि देव सेवा के लिए उत्तम काल है ।
- लगभग 10:40 से 2:00 बजे तक मनुष्य काल अर्थात संस्कार आयु स्वास्थ्य धन व्यापार मंत्रणा आदि के लिए उपयुक्त समय है।
अपराहन 2:00 बजे से लेकर 6:00 बजे तक श्राद्ध तर्पण मित्र संबंधी कार्य किए जाना विशेष है ।
 पूजा की सामान्य विधि वासुदेव कृष्ण, ब्रह्मा एवं गायत्री देवी का स्मरण करना चाहिए।
मन्त्र-
 यत किंचित वाचिकम पापम मांनसम  कायिकं  तथा तत  सर्वम नाशमायाती युगा दि तिथि  पूज्य नात।

साधु सन्यासी एवं अपने स जातियों को भोजन कराना चाहिए।
"मौन" रहना  रहना चाहिए ।
ऋषि या मुनि के समान संयम ,शांति ,उदारता,अल्प भाषी,जैसा व्यवहार का  प्रयास करना चाहिए ।
 पूरा दिन मौन रहकर  व्यतीत किया जावे ।तिल का विशेष महत्व दान एवं भोजन मे है ।
*जोड़े से /पति पत्नी को भोजन कराने का विशेष महत्व है ।
*गुड़ और काला तिल या काले तिल गुड़ के लड्डू बनाकर लाल वस्त्र में बांधकर ब्राह्मण दंपति को अथवा मंदिर में दान करना चाहिए ।
*साय समय पित्र श्राद्ध ,उनको तिल अर्पण करना ।पितरों की तृप्ति के लिए उपयोगी होता है ।

इस अमावस्या की विशेषता है कि इसमें सभी नदियों का जल शुद्ध हो जाता है जो कि हमारी आत्मा के लिए श्रेष्ठ मान्य है।
 कंबल एवं तिल दान इस अमावस्या का विशेष महत्व है।
*विशेष ध्यान -पितर और देवताओं को मूली ना दें ।
मूली  स्पर्श अथवा भोजन में प्रयोग न  करें।
*वस्त्र धोना या धुलवाना वर्जित।

 सोमवती अमावस्या के विशेष पर्व पर पीपल वृक्ष की 108  प्रदक्षिणा अथवा परिक्रमा के साथ 108 की संख्या में वस्तु का दान किए जाने का विशेष महत्व है ।

इस दिन गुप्त दान का भी बहुत महत्व है ।परंतु गुप्त दान  धन के रूप में दान करने का कोई विशेष प्रयोजन नहीं है। अतः जन उपयोगी वस्तु या  अन्न  दान किया जाना श्रेष्ठ है।

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