माघ माह स्नान (श्रेष्ठ समुद्र जल स्नान,अथवा गंगा या तीर्थ जल ) के लिये प्रशस्त है ।
सूर्योदय पूर्व स्नान अति उत्तम।वर्जित विशेष '-
तैल,मूली,रुई की वत्ती का दीपक,हल्दी का प्रयोग वर्जित /निषेध है।
(कलावा,मौली की वार्तिक सर्वदा श्रेष्ठ )1-कष्ट विपत्ति से सुरक्षा के लिये किसको अवश्य करना चाहिये?
ज्योतिष में राशि के आधार पर इस अमावस्या को वृषभ कन्या एवं मीन राशि वालों को अवश्य सूर्योदय पूर्व,तीर्थ जल, समुद्र जल से स्नान करना चाहिए ।स्नान एवं दान पूर्णिमा एवं अमावस्या को उत्तम फलप्रद होता है ।
यदि आपके नाम -
-इ,ऊ,ए,ओ,प,थ,ठ,द,च अक्षर से प्रारंभ हो उनको भी अवश्य सूर्योदय पूर्व स्नान करना चाहिए।
स्नान मंत्र-पद्म पुराण
दुख दारिद्र्य नाशाय श्री विष्णु प्रसन्नार्थ्ं।प्रात:स्नानं करोम्य , माघे पाप विनाशिनम।
(माघ मास मे स्नान कर ,विष्णु जी की कृपा से सब पाप नाश होंगे एवं कष्ट, दुख, निर्धनता समाप्त होगे। )
जन्म नक्षत्र श्रवण या मकर राशि वालो को भी अपव्यय आदि पर नियन्त्रण हेतू
इससे दैनिक जीवन मे आगामी अमावस्या तक ग्रह आपदा कष्ट धन हानी की सम्भावना नही होगी।
कार्य विशेष हेतु शुभ काल
-सूर्योदय से 3 घंटे 40 मिनट तक जप ध्यान उपासना मंत्र आदि देव सेवा के लिए उत्तम काल है ।
- लगभग 10:40 से 2:00 बजे तक मनुष्य काल अर्थात संस्कार आयु स्वास्थ्य धन व्यापार मंत्रणा आदि के लिए उपयुक्त समय है।
अपराहन 2:00 बजे से लेकर 6:00 बजे तक श्राद्ध तर्पण मित्र संबंधी कार्य किए जाना विशेष है ।
पूजा की सामान्य विधि वासुदेव कृष्ण, ब्रह्मा एवं गायत्री देवी का स्मरण करना चाहिए।
मन्त्र-
यत किंचित वाचिकम पापम मांनसम कायिकं तथा तत सर्वम नाशमायाती युगा दि तिथि पूज्य नात।
साधु सन्यासी एवं अपने स जातियों को भोजन कराना चाहिए।
"मौन" रहना रहना चाहिए ।
ऋषि या मुनि के समान संयम ,शांति ,उदारता,अल्प भाषी,जैसा व्यवहार का प्रयास करना चाहिए ।
पूरा दिन मौन रहकर व्यतीत किया जावे ।तिल का विशेष महत्व दान एवं भोजन मे है ।
*जोड़े से /पति पत्नी को भोजन कराने का विशेष महत्व है ।
*गुड़ और काला तिल या काले तिल गुड़ के लड्डू बनाकर लाल वस्त्र में बांधकर ब्राह्मण दंपति को अथवा मंदिर में दान करना चाहिए ।
*साय समय पित्र श्राद्ध ,उनको तिल अर्पण करना ।पितरों की तृप्ति के लिए उपयोगी होता है ।
इस अमावस्या की विशेषता है कि इसमें सभी नदियों का जल शुद्ध हो जाता है जो कि हमारी आत्मा के लिए श्रेष्ठ मान्य है।
कंबल एवं तिल दान इस अमावस्या का विशेष महत्व है।
*विशेष ध्यान -पितर और देवताओं को मूली ना दें ।
मूली स्पर्श अथवा भोजन में प्रयोग न करें।
*वस्त्र धोना या धुलवाना वर्जित।
- अमावस्या के विशेष पर्व पर पीपल वृक्ष की 108 प्रदक्षिणा अथवा परिक्रमा के साथ 108 की संख्या में वस्तु का दान किए जाने का विशेष महत्व है ।
इस दिन गुप्त दान का भी बहुत महत्व है ।परंतु गुप्त दान धन के रूप में दान करने का कोई विशेष प्रयोजन नहीं है। अतः जन उपयोगी वस्तु या अन्न दान किया जाना श्रेष्ठ है।
माघ अमावस्या को दोपहर 11 बजे से 2 बजे तक धन, आयु, सफलता के लिए पूजा-अर्चना उपयोगी है।
इस समय में विशेष रूप से धन की वृद्धि और जीवन में सफलता के लिए ध्यान, आहुति, और उपासना करनी चाहिए।
2 बजे से 6 बजे तक - श्राद्ध, तर्पण और पितृकार्य उन पितरों की प्रसन्नता के लिए करें, जिनका तर्पण और श्राद्ध आवश्यक हो। इस समय में ये कार्य करने से जीवन में किसी भी काम में विलंब या रुकावट नहीं आती है।
आज ब्रह्मा की पूजा और गायत्री जाप भी बहुत शुभ रहेगा। यह आपकी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में प्रवाहित करेगा और आपके कार्यों में सफलता और सौभाग्य की प्राप्ति होगी।
इस दिन को पूजा-अर्चना और तर्पण के साथ बिताने से जीवन में समृद्धि और पितृदोषों से मुक्ति प्राप्त होती है।
माघ अमावस्या के महत्व और पूजा विधि - प्वाइंट वाइज हाइलाइट्स
धन, आयु और सफलता के लिए पूजा
- माघ अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा और पुण्य कार्यों से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
- पौराणिक कथा के अनुसार, सोमाधोबिन ने अपने संचित पुण्य से गुणवती के पति की जान बचाई।
समुद्र मंथन और अमृत कलश
- समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
- अमृत की कुछ बूंदें भारत के प्रमुख स्थानों पर गिर गईं—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—जहां महाकुंभ का आयोजन होता है।
माघ अमावस्या पूजा विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की सफाई करें और नदी में स्नान करें।
- स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और तिल जल में चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें ताजे फल, फूल, धूप, और घी का दीपक अर्पित करें।
- पितरों की पूजा करें और तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध करें।
गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना
- पूजा के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और स्वयं भोजन करके अपना व्रत खोलें।
माघ अमावस्या का महत्व
- माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन मनुष्य को मौन रहकर तप और साधना करनी चाहिए।
- इस दिन व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में खुशहाली आती है।
- पवित्र नदियों में स्नान करने से जीवन के समस्त पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
माघ अमावस्या की कथा
- कांची पुरी में देवस्वामी नामक ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री मालती थी।
- मालती के विवाह में वेध दोष था, जिसके कारण उसकी शादी के समय पति की मृत्यु का संकट था।
- सोमाधोबिन के आशीर्वाद से वेध दोष समाप्त हुआ और मालती का पति जीवित हो गया।
सोमाधोबिन की कहानी
- सोमाधोबिन ने अपने पुण्य से मालती के पति की जान बचाई।
- सोमा ने पीपल के पेड़ के पास भगवान विष्णु की पूजा की और 108 परिक्रमा की, जिसके बाद उनके परिवार के सभी मृतक जीवित हो गए।
माघ अमावस्या से जुड़ी मान्यता
- इस दिन को मनु अमावस्या भी कहा जाता है क्योंकि मनु महाराज ने इस दिन सृष्टि की रचना की थी।
- इस दिन विशेष रूप से पितरों की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
व्रत और पुण्य लाभ
- इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से पूर्णता और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष:
माघ अमावस्या का दिन विशेष रूप से धार्मिक क्रियाओं, तर्पण, और पुण्य कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है। यह दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा, पवित्र नदियों में स्नान, और पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए अत्यंत फलदायी होता है।
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