① शैलपुत्री देवी (Shailaputri Devi)
बीज मन्त्र: "ॐ ह्रीं शैलपुत्र्यै नमः॥"
शाबर मन्त्र: "जय जय भोले की कन्या, शैल पुत्री भवानी आयं आयं नमः॥"
ग्रन्थ श्लोक: “वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥”
अर्थ: पर्वतराज की कन्या, वृषभ पर आरूढ़, शुद्धता व आरम्भ की अधिष्ठात्री।
उपयुक्त समय: प्रातःकाल सूर्य उदय के समय।
दिशा: उत्तर।
दीप: शुद्ध घी का।
वर्तिका (batti): सफेद रुई।
रंग: सफेद (शुभ्र)।
दीप संख्या: 2 दीप।
② ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini Devi)
बीज मन्त्र: "ॐ ह्रीं ब्रह्मचारिण्यै नमः॥"
शाबर मन्त्र: "माँ तपस्विनी ब्रह्मचारिणी, साधक को सिद्धि दे तू स्वामिनी॥"
श्लोक: “दधाना करपद्माभ्यां कमण्डलु-जपमालकम्। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥”
अर्थ: तप, संयम, और साधना की मूर्ति; ब्रह्मज्ञान की शक्ति।
समय: ब्रह्ममुहूर्त या संध्याकाल।
दिशा: पूर्व।
दीप: तिल तेल का दीपक।
वर्तिका: पीली रुई या कपास।
रंग: पीला।
दीप संख्या: 1 दीप।
③ चन्द्रघण्टा (Chandraghanta Devi)
बीज मन्त्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥"
शाबर मन्त्र: "घण्टा ध्वनि से संकट हरनी, चन्द्रघण्टा नमो नमः॥"
श्लोक: “पिण्डजप्रवरारूढ़ा चन्द्रकोपस्थितार्धकला। चन्द्रघण्टेति विश्रुता, चन्द्रघण्टा प्रणमाम्यहम्॥”
अर्थ: शक्ति का मध्य रूप – भूत-प्रेत, रोग, भय, और बाधा से रक्षा करती हैं।
समय: दिन के मध्य (मध्यान्ह)।
दिशा: पूर्व-दक्षिण।
दीप: घृत दीप।
वर्तिका: केसर मिश्रित रुई।
रंग: स्वर्ण या चमकीला पीला।
दीप संख्या: 3 दीप।
④ कूष्माण्डा (Kushmanda Devi)
बीज मन्त्र: "ॐ ह्रीं कूष्माण्डायै नमः॥"
शाबर मन्त्र: "कूष्माण्ड माते अन्नपूर्णा, अष्टभुजा स्वरूपिणि नमः॥"
श्लोक: “सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥”
अर्थ: सृष्टि की आद्य शक्ति, प्राणशक्ति की जननी।
समय: सूर्योदय से पूर्व।
दिशा: दक्षिण।
दीप: गौघृत का।
वर्तिका: रेशमी धागे की।
रंग: नारंगी।
दीप संख्या: 8 दीप।
⑤ स्कन्दमाता (Skandamata Devi)
बीज मन्त्र: "ॐ ह्रीं स्कन्दमातायै नमः॥"
शाबर मन्त्र: "जय माँ स्कन्द जननी, मुरुगन माता नमो नमः॥"
श्लोक: “सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥”
अर्थ: मातृत्व, करुणा, और संरक्षण की देवी।
समय: दिन का द्वितीय पहर।
दिशा: उत्तर-पश्चिम।
दीप: सफेद घी का।
वर्तिका: कमल के तंतु की।
रंग: गुलाबी।
दीप संख्या: 5 दीप।
⑥ कात्यायनी (Katyayani Devi)
बीज मन्त्र: "ॐ ह्रीं कात्यायन्यै नमः॥"
शाबर मन्त्र: "जय जय कात्यायनी माँ, शत्रु हरनी नमो नमः॥"
श्लोक: “चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥”
अर्थ: बल, विजय, और विवाह सिद्धि की अधिष्ठात्री।
समय: सायंकाल।
दिशा: पश्चिम।
दीप: सरसों के तेल का।
वर्तिका: लाल रुई की।
रंग: लाल।
दीप संख्या: 6 दीप।
⑦ कालरात्रि (Kaalratri Devi)
बीज मन्त्र: "ॐ ह्रीं कालरात्र्यै नमः॥"
शाबर मन्त्र: "महाकाली माँ कालरात्रि, भय नाशिनी नमो नमः॥"
श्लोक: “एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥”
अर्थ: भय, नकारात्मकता, तन्त्रिक बाधा और मृत्यु-भय नाशक।
समय: मध्यरात्रि।
दिशा: दक्षिण-पश्चिम।
दीप: सरसों के तेल का।
वर्तिका: नीली सूती।
रंग: काला या नीला।
दीप संख्या: 4 दीप।
⑧ महागौरी (Mahagauri Devi)
बीज मन्त्र: "ॐ ह्रीं महागौर्यै नमः॥"
शाबर मन्त्र: "श्वेत वसना महागौरी, सर्वमंगल दायिनी नमः॥"
श्लोक: “श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्याद् महादेवप्रमोददा॥”
अर्थ: शुद्धता, शांति, और मोक्ष की अधिष्ठात्री देवी।
समय: सायं संध्या।
दिशा: उत्तर।
दीप: चाँदी के पात्र में घी का दीप।
वर्तिका: सफेद रुई की।
रंग: सफेद।
दीप संख्या: 9 दीप।
⑨ सिद्धिदात्री (Siddhidatri Devi)
बीज मन्त्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः॥"
शाबर मन्त्र: "सिद्धि प्रदायिनी माँ, योगिनी जननी नमो नमः॥"
श्लोक: “सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेवा माणासदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥”
अर्थ: सभी प्रकार की सिद्धियों और पूर्णता प्रदान करने वाली देवी।
समय: ब्रह्ममुहूर्त या मध्यरात्रि, साधना काल अनुसार।
दिशा: ईशान कोण (उत्तर-पूर्व)।
दीप: पंचदीप (पंचमुखी दीपक)।
वर्तिका: रेशमी धागे की पाँच वर्तिकाएँ।
रंग: बैंगनी या नीलकमल समान।
दीप संख्या: 5 दीप।

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