श्री लक्ष्मीसूक्तम् ,श्रीश्री लक्ष्मीसूक्तम् , श्री कनक धारा स्त्रोत॥-सर्व सुख समृद्धि प्रदाताः अर्थ सहित (साभार )प्रस्तुत
सर्व सुख समृद्धि प्रदाताः श्री सूक्त लक्ष्मी को प्रसन्न और घर में उसे चिरस्थायित्व देने हेतु श्री सूक्त से श्रेष्ठ कोई संतान नहीं है। किसी भी रात्रि को या दीपावली की रात्रि को इस सूक्त के एक सौ एक पाठ करने से समस्त प्रकार की दरिद्रता समाप्त होकर पूर्ण धनधान्य ऐवश्र्य की प्राप्ति होती है।नित्य इस सूक्त का एक बार किया गया पाठ कामनाओं की पूर्ति करता है। श्री लक्ष्मीसूक्तम् पद्मानने पद्मिनि पद्म पत्रे पद्म प्रिये पद्म दलायताक्षि। विश्व प्रिये विश्वमन अनुकूले त्वत्पाद पद्मं मयि सन्निधत्स्व॥ पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्म सम्भवे। तन्मे भजसिं पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्॥ - हे लक्ष्मी देवी! आपका श्रीमुख , ऊरु भाग , नेत्र आदि कमल के समान हैं। आपकी उत्पत्ति कमल से हुई है। हे कमलनयनी! मैं आपका स्मरण करता हूँ , आप मुझ पर कृपा करें। अश्वदायी गोदायी(भूमिदायी,भवनदायी धनदायी) दायी महाधने। धनं मे जुष तां देवि सर्वांकामांश्च देहि मे॥ - हे देवी! अश्व , गौ , भूमि,भवन,धन आदि देने में आप समर्थ हैं। आप मुझे धन प्रदान करें। हे माता! मेरी सभी कामनाओं को आप पूर्ण करें