गुरु ग्रह मीन राशी- जन्म वर्ष से भविष्य जानिए
? --पंडित वि.के.तिवारी”ज्योतिष-शिरोमणि” विशेषज्ञ- वास्तु,जन्मकुंडली ,मुहूर्त,विवाह- मिलान,रत्न
परामर्श ,कर्मकांड -1972 से -प्रचलित नाम,जन्म राशी एवं आपकी कुंडली बिना
बताये , कुंडली से भविष्य का विवरण प्रस्तुत -
चंद्रमा के आधार पर गुरु के मीन राशि पर
प्रवेश करने से फल प्राप्त होंगे। प्रभाव में या कार्यों में प्रतिकूलता या
संघर्ष की स्थिति बनेगी।
कर्क कन्या ,वृश्चिक, मीन राशि का
शनि गुरु, सूर्य हो तो गुरु के राशि परिवर्तन परिणामशुभ होंगे। अशुभ प्रभाव नहीं होंगे। मीन राशि पर होंगे तो
वर्ष अत्यंत सफल, सुखेश्वर, धन,संपदा ,पद प्रभाव ,रोजगार , व्यापार के लिए अति उत्तम सिद्ध होगा। अच्छे योग बनेंगे । अनुकूल फल प्रदान नहीं करेगा। 1- शनी के अनुसार
के
शुभ प्रभाव - प्रवेश के शुभ फल ही मिलेंगे। विशेष-
2- जन्म पत्री के ग्रह अनुसार फल- उत्पन्न करते हैं। |
सरल
उपाय -बृहस्पति या गुरु ग्रह गोचर या कुंडली में अशुभ –
प्रति गुरूवार प्रयोग करे या 40
दिन दिन लगातार
-
-सभी
के लिए उपयोगी उपाय परन्तु ,तुला,मकर राशी /
नाम र,त,ख,ज,से प्रारंभ नाम हो उनको निम्न उपाय विशेष उपयोगी होंगे –(पूजा समय मुह की दिशा N-E होना चाहिए ।
ॐ गं
गणपतये नमः। सर्व-विघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्व-सौख्य-प्रदाय, बालानां
बुद्धि-प्रदाय, नाना-प्रकार-धन-वाहन-भूमि-प्रदाय, मनोवांछित-फल-प्रदाय रक्षां कुरू कुरू
स्वाहा।।
ॐ गुरवे
नमः, ॐ
श्रीकृष्णाय नमः, ॐ
बलभद्राय नमः, ॐ
श्रीरामाय नमः, ॐ हनुमते
नमः, ॐ शिवाय
नमः, ॐ
जगन्नाथाय नमः, ॐ
बदरीनारायणाय नमः, ॐ श्री
दुर्गा-देव्यै नमः।।
ॐ सूर्याय
नमः, ॐ
चन्द्रमसे नमः, ॐ भौमाय
नमः, ॐ बुधाय
नमः, ॐ गुरवे
नमः, ॐ भृगवे
नमः, ॐ
शनिश्चराय नमः, ॐ राहवे
नमः, ॐ पुच्छा
नायकाय नमः, ॐ नव-ग्रह
रक्षा कुरू कुरू नमः।।
1 स्नान - गुरुवार को , स्नान जल मे
नदी या तीर्थ जल,-चमेली पुष्प,सफेद
या पीली सरसों ,गूलर ,मुलेठी
,मिला कर स्नान करे ।
2-- दान-पीला अनाज ,चना,शकरपीले पुष्प .हल्दी,केसर।
पीला वस्त्र पीला फल पपीता केला
आदि दान करे।
3-दान
किसको दे -गुरु,ज्ञानी पुरुष,ब्राह्मण,शिक्षा कर्मी याशिक्षण संस्था,उपदेशक,विष्णु,कृष्ण,राम
मंदिर मे दान करना चाहिए ।
3- प्रस्थान
पूर्व खाएं–––दही curd,जीरा ।
वैदिक
मन्त्र 01 बार
- ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवस
ऋतुप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।। (यजु. 26।3) ॥
या
ब्रह्माण्डपुराण मन्त्र-11बार-देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:।
अनेक शिष्य सम्पूर्ण: पीडां हरतु
मे गुरु: ।।
अर्थ-सर्वदा लोक कल्याण में निरत रहने
वालेदेवताओं के मंत्रीविशाल नेत्रों वालेतथा अनेक शिष्यों से युक्त बृहस्पति मेरी
पीड़ा को दूर करें ।।
या पौराणिक
मंत्र -108 बार- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः ॥
किये जाने वाले कार्य
- यज्ञ,धार्मिक, विद्या,
गृह,औषधि, आभूषण,
नए वस्त्र, वृक्षारोपण, ।
जैन मंत्र-ॐ ह्रीं णमो आयरियाणं ।ॐ ह्रीं गुरु ग्रहारिष्ट निवारक श्री महावीर
जिनेन्द्राय नम: -देवमन्त्री विशालाक्ष: सदालोकहिते रत:।अनेक शिष्य सम्पूर्ण:
पीडां हरतु मे गुरु: ।।सर्वशांतिं कुरु कुरु स्वाहा।मम (.अपना नाम ) दुष्ट ग्रह
रोग कष्ट निवारणं सर्वशांतिं कुरू कुरू हूँ फट् स्वाहा।
प्रश्न- एक ही राशि वालो को, किसी ग्रह के राशि parivartan के
अलग अलग फल क्यो मिलते है ?
उत्तर-
1-
राशि परिवर्तन
करने वाले ग्रह की,
12 लग्न में ,जिन जन्म लग्नेश से मित्रता होगी,
उन्हें अनुकूल अधिक, प्रतिकूल कम फल मिलेंगे
।
*जिन जन्म लग्न स्वामी से शत्रुता होगी ,उनको अनुकूल कम परन्तु
प्रतिकूल अधिक फल मिलते हें ।
2- जन्म कुंडली मे राशि परिवर्तन करने वाले ग्रह की शुभ अशुभ स्थिति।
2-
प्रचलित नाम की
राशि का प्रभाव दैनिक जीवन ,रोजगार स्थल,नए कार्य ,
भवन प्रवेश,Joining आदि में प्रमुख रूप
से पड़ता है ।
*जन्म नक्षत्र की राशि का प्रभाव स्थायी परिणाम एवं
कार्य पर होता है ।
विशेष-एक ही राशी होने
पर नाम अलग अलग होने पर शुभ –अशुभ
प्रभाव में अंतर हो जायेगा ।
4- राशि एक ही हो , पर जन्म नक्षत्र अलग अलग होना।
5- राशि एक ही हो , जन्म नक्षत्र भी एक हो परन्तु,जन्म नक्षत्र चरण पृथक पृथक हो।
6- अष्टक वर्ग मे (राशि परिवर्तन करने वाले ग्रह) को 5 से कम रेखा
मिलना।
7- कुंडली मे, राशि परिवर्तन करने वाला ग्रहआत्म या अमात्य कारी होना।
8- जन्म कुंडली में जिसकी दशा उत्तम ,अनुकूल
चल रही हो,तो प्रतिकोल प्रभाव अति अल्प होंगे।
प्रयास करने से कार्य हो जाएंगे । ग्रह दशा अशुभ होगी तो अशुभ फल
अधिक होंगे ,
शुभ फल कम होंगे ।
किसी भी ग्रह का का राशि परिवर्तन संभावित भविष्यफल के लिए (जो
सामान्य रूप से,
चंद्रमा की राशि से देखा जाता है) यह पूर्णरूपेण
सटीक नहीं होता।
*चंद्र राशि से , शुभ अशुभ प्रभाव अधिक से अधिक तीस 30%
ही होता है ।*
- सटीक फल ज्ञात करने
की विधि -
-सूर्य ,शनि ,गुरु की स्थिति
कुंडली मे शुभ हो।
- गोचर के फल के लिए
तीनों विधियों का अवलोकन करे ।
यदि तीनों विधियों में शुभ प्रभाव है तो सर्वश्रेष्ठ फल प्राप्त होगा।
गुरु ग्रह के लिए -कुंडली मे गुरु या शनि शुभ हो। (3.6.8.12भाव मे न हो)। शत्रु राशि या लग्न के शत्रु
गुरु न हो।
1-नाम से चन्द्र राशि । 2- जन्म राशी । 3- जन्म लग्न एवं नक्षत्र ।
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"कर्क कन्या ,वृश्चिक, मीन राशि का शनि गुरु, सूर्य हो तो गुरु के राशि
जवाब देंहटाएंपरिवर्तन परिणामशुभ होंगे। अशुभ प्रभाव नहीं होंगे। शुभ प्रभाव या अच्छे प्रभाव में वृद्धि होगी ।
यदि जन्म कुंडली में शनि, गुरु दोनों ही कर्क, कन्या ,वृश्चिक ,मीन राशि पर होंगे तो वर्ष अत्यंत सफल, सुखेश्वर, धन,संपदा ,पद प्रभाव ,रोजगार ,
व्यापार के लिए अति उत्तम सिद्ध होगा।"
जन्म कुंडली में गुरु के कन्या राशि में होने से यदि केंद्रधिपत्य दोष का कारक हो, तब भी यह गुरु का गोचर लाभदायक होगा ? ( यह प्रश्न मिथुन लग्न के सापेक्ष में है)