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देवी दुर्गा शक्ति रहस्य :17-25 अक्तूबर पूजा मंत्र

 



त्रिदेव से श्रेष्ठ मां भगवती योग माया)

 

देवी भागवत के पंचम स्कंध में त्रिदेव में श्रेष्ठ मां भगवती को बताया गया है|

व्यास जी द्वारा त्रिदेवों की तुलना में भगवती की श्रेष्ठता प्रतिपादित की गई है |

भगवती योग माया के ही प्रभाव से प्रत्येक युग में भगवान विष्णु विभिन्न अवतार लेते हैं |

अत्यंत रहस्य वाली भगवती नेत्र की पलक झपकने मात्र से जगत की उत्पत्ति पालन तथा सम्हार कर सकती हैं |

इन्हीं मां भगवती  योग माया के द्वारा श्रीकृष्ण को प्रसूति गृह से निकालकर गोप राजनंद भवन में ,शिशुल कृष्ण को पहुंचा कर उनकी रक्षा की गई|

यही योग माया कंस के विनाश के लिए श्री कृष्ण को मथुरा ले गई|

श्री कृष्ण को द्वारका बनाने की प्रेरणा इन्हीं मां भगवती ने दी |

मकड़ी के तंतु जाल में फंसे कीट की भांति विष्णु महेश आदि सभी देवी भगवती की लीला से माया रूपी बंधन में पड़ जाते हैं और आवागमन के चक्र में भ्रमण करते रहते हैं |

अर्थात मां देवी भगवती की पूजा का विशिष्ट महत्व है |

-वर्ष में तीन-तीन माह में इनकी पूजा के अवसर आते हैं परंतु सामान्य वर्ग के लिए वर्ष में दो बार चैत्र एवम शारदीय नवरात्र के रूप में इनकी पूजा का विधान है |

यह आगामी माह तक आपत्ति विपत्ति एवं दुर्गति को दूर करने मैं सक्षम है|

नवरात्रि के नव दिन शारदीय नवरात्र कहलाते हैं| शारदीय नवरात्रि के अवसर पर खीर का भोग प्रतिदिन श्रेष्ठ माना गया है श्रीमद् देवी भागवत के अष्टम स्कंध में इसका उल्लेख है|

 

दुर्गा जी के हवन के लिए -

 

प्रतिदिन अर्थात 09 दिन  हवन करे ,यदि नहीं तो प्रथम 3 दिन ही उपयुक्त हैं अर्थात 17,18,19 अक्टोबर |

त्रिदेव से श्रेष्ठ मां भगवती योग माया)

 

देवी भागवत के पंचम स्कंध में त्रिदेव में श्रेष्ठ मां भगवती को बताया गया है|

व्यास जी द्वारा त्रिदेवों की तुलना में भगवती की श्रेष्ठता प्रतिपादित की गई है |

भगवती योग माया के ही प्रभाव से प्रत्येक युग में भगवान विष्णु विभिन्न अवतार लेते हैं |

अत्यंत रहस्य वाली भगवती नेत्र की पलक झपकने मात्र से जगत की उत्पत्ति पालन तथा सम्हार कर सकती हैं |

इन्हीं मां भगवती  योग माया के द्वारा श्रीकृष्ण को प्रसूति गृह से निकालकर गोप राजनंद भवन में ,शिशुल कृष्ण को पहुंचा कर उनकी रक्षा की गई|

यही योग माया कंस के विनाश के लिए श्री कृष्ण को मथुरा ले गई|

श्री कृष्ण को द्वारका बनाने की प्रेरणा इन्हीं मां भगवती ने दी |

मकड़ी के तंतु जाल में फंसे कीट की भांति विष्णु महेश आदि सभी देवी भगवती की लीला से माया रूपी बंधन में पड़ जाते हैं और आवागमन के चक्र में भ्रमण करते रहते हैं |

अर्थात मां देवी भगवती की पूजा का विशिष्ट महत्व है |

-वर्ष में तीन-तीन माह में इनकी पूजा के अवसर आते हैं परंतु सामान्य वर्ग के लिए वर्ष में दो बार चैत्र एवम शारदीय नवरात्र के रूप में इनकी पूजा का विधान है |

यह आगामी माह तक आपत्ति विपत्ति एवं दुर्गति को दूर करने मैं सक्षम है|

नवरात्रि के नव दिन शारदीय नवरात्र कहलाते हैं| शारदीय नवरात्रि के अवसर पर खीर का भोग प्रतिदिन श्रेष्ठ माना गया है श्रीमद् देवी भागवत के अष्टम स्कंध में इसका उल्लेख है|

दुर्गा जी के हवन के लिए -

प्रतिदिन अर्थात 09 दिन  हवन करे ,यदि नहीं तो प्रथम 3 दिन ही उपयुक्त हैं अर्थात 17,18,19 अक्टोबर |

प्रथम 3 दिन सूर्य ग्रह की उपासना के लिए |

सूर्य ग्रह के मंत्र का हवन भी विशेष उपयुक्त होगा| जिन कुंडली में सूर्य अशुभ हो अथवा सूर्य की महादशा अंतर्दशा के बुरे परिणाम मिल रहे हो वह प्रथम 3 दिन यदि सूर्य का हवन करेंगे तो उनकी समस्त आपत्ति विपत्ति दूर होंगी|

नवरात्रि के 9 दिनों की संक्षिप्त भोग एवं अर्पण सामग्री की जानकारी -

17 अक्टूबर- प्रतिपदा तिथि -स्वास्थ्य के लिए -प्रतिपदा तिथि के दिन घी का दान एवं घी से देवी की पूजा करना चाहिए तथा घी का ही दीपक प्रज्वलित करना चाहिए जिसकी बत्ती उत्तर अभिमुख हो|बत्ती श्वेत वर्जित है इसलिए मौली या कलावा की बत्ती उत्तम होगी |

 

सर्वार्थ सिद्धि योग -11:59बजे दिन से/पर्यंत |

 

18 अक्टूबर - सफलता प्रद त्रिपुष्करयोग -09.00प्रातः से/पर्यंत 17:36तक|

 

द्वितीय तिथि -दीर्घायु के लिए –

ग्रहों के आयु पर बाधा जनक प्रभाव को दूर करने के लिए द्वितीय तिथि को मां जगदंबा की पूजा शक्कर से करना चाहिए अर्थात शक्कर उनको अर्पण करना चाहिए ब्राह्मण को भी शक्कर ही दान करना चाहिए|

रविवार - -

सुख,सौभाग्य वृद्धि के लिए –

स्नान जल मे कनेर पुष्प ,केस,खस, इलायची मिला कर स्नान करे |

-सूर्य देव को जल अर्पण करे |

मंत्र -खखोलकाय नमः |

बाधा मुक्ति के लिए दान-

गुड,लाल,वस्त्र,पुष्प, तांबा नारंगी वस्तु,लाल चन्दन कनेर लाल पुष्प |

दान -लाल गाय ,सूर्य मंदिर, 10 वर्ष तक के बच्चे,विष्णु,कृष्ण मंदिर मे  दे सकते है||

दिन दोष आपत्ति निराकरण के लिए घर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं–रसाल,आम,घी,पान मे से कोई भी पदार्थ |

       दान-गुड,लाल,वस्त्र,पुष्पतांबा नारंगी वस्तु,लाल चन्दन कनेर लाल पुष्प,(लाल गाय,(लाल गाय ,सूर्य मंदिर10 वर्ष तक के बच्चे,विष्णु,कृष्ण)

रविवार का दिन है खीर का भोग अर्पित करें |

 

 

 

19 अक्टूबर - तृतीया है|सिंदूर तृतीया |

सफलता प्रद रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग –सूर्योदय से /पर्यंत सूर्योदय पूर्व 04:00तक |

 विशेष पूजन के लिए रात्रि 12:44से भद्रा योग है सर्वोत्त्म सिद्धिप्रद मनोकामना पूरक है |

दुख एवं शोक से मुक्ति के लिए तृतीया तिथि को देवी भगवती की पूजा में दूध अर्पण करना चाहिए एवं दूध का ही दान करना प्रशस्त है|

स्नान जल मे नदी या तीर्थ जल,पंचगव्य ,

दूध , सफेद चंदन ,गोमूत्र,मिला कर स्नान करे | |

-बाधा मुक्ति के लिए दान-

दान –चावल,श्वेत पुष्प।जल दान –किसी भी कन्या

को या सफ़ेद गाय,शिव मंदिर मे करे |

दिन दोष आपत्ति निराककरण के लिए घर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं––खीर या दूध चावल ,दूध | दर्पण मे मिरर मे मुहा देख कर प्रस्थान करे |

सफलता के लिए -आज के मंत्र-

चंद्र देव एवं शिव की पूजा करे |

मंत्र -ॐ चंद्रमसे नमः |

चन्द्र्देव का  गायत्री मंत्र-ओम अमृतांगाय विद्महे

कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमः प्रचोद्यात् ।

 

20अक्टूबर-गणेश चतुर्थी व्रत है |

भद्रा11:24-से |

 विघ्न बाधाओं से सुरक्षा के लिए चतुर्थी तिथि को देवी जगदंबा को मीठी पूरी अर्थात हुआ अर्पण करना चाहिए एवं हुआ का ही दान करना शुभ होगा|

सुख,सौभाग्य वृद्धि के लिए -स्नान जल मे जटामांसी ,

मौलश्री , लाल पुष्प-

    बाधा मुक्ति के लिए मिला कर स्नान करे | |

-बाधा मुक्ति के लिए दान- गुड,मसूर, तांबा ,लाल चन्दन युवा पुरुष,

रक्षक,कनेर लाल पुष्प |

दान – युवा अवश्यक -लाल बैल,युवा लड़का,कष्ट्रीय,

सुरक्षा कर्मी ,चौकीदार को दे| |

दिन दोष आपत्ति निराककरण के लिए घर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं––कांजी |

 

सफलता के लिए -आज के मंत्र-

ओम अंगारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौम्य प्रचोदयात्

ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः|

 

21अक्टूबर उपांग ललिता व्रत, रवियोग सफलता प्रद-सूर्योदय से दोपहर 13:17 तक  |

*बुद्धि वृद्धि के लिए स्मृति के लिए निर्णय क्षमता बढ़ाने के लिए मां भगवती की पूजा में केला अर्पण करना श्रेष्ठ होता है एवं केले का दान करने से मनुष्य में बुद्धिमत्ता की वृद्धि होती है|

 

सौभाग्य वृद्धि के लिए

स्नान जल मे नदी या तीर्थ जल,चावल,मोती  शहद,

जायफल ,पिपरामुल ,नदी या तीर्थ जल; मिला कर स्नान करे ||

  बाधा मुक्ति के लिए दान- मूंग ,हरा वस्त्र ,हरी चूड़ी,पालक ,फल कपूर |         

  दान दे -कन्या,व्यापारी, किन्नर को दे    |

दिन दोष आपत्ति निराककरण के लिए घर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं––मूंग ,तिल,धनिया ,दूध मे से कोई पदार्थ || जिनका बुध अनुकूल हो वे दही Curd अवश्य ले सकते हैं |

तनाव ,परेशानी रोकने एवं सफलता के लिए आज के मंत्र-

बुध ग्रह का गायत्री मंत्र- ओम सौम्यरूपाय विद्महे

 बाणेशाय धीमहि तन्नो बुध प्रचोदयात् ।

ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ॥

22अक्टूबर –स्कन्द षष्ठी,कुमार व्रत,

 

आज तेज एवं कांति वृद्धि के लिए षष्ठी तिथि को मां जगदंबा को शहद अथवा मधु अर्पण करना चाहिए एवं इसका दान करने से व्यक्ति में वह जितेश कांति तथा प्रभाव शक्ति में वृद्धि होती है|

सौभाग्य सफलता वृद्धि के लिए स्नान जल मे मिला नदी

या तीर्थ जल,-चमेली पुष्प ,सफेद के अभाव मे

 पीली सरसों ,गूलर ,मुलेठी ,मिला कर स्नान करे |

    

बाधा मुक्ति के लिए दान-

पीला अनाज ,चना, नमक ,

शकर, पीले पुष्प gYnh] dslj] dsyk] ixMh] ihiy

पीला वस्त्र पीला फल पपीता केला आदि दान करे|

गुरु,ज्ञानी पुरुष,ब्राह्मण को विष्णु,कृष्ण,राम मंदिर मे दान H

phaVh] iqtkjh ,Lo.kZ foØsrk /keZ LFkku मे करना चाहिए |

गुरु ग्रह का गायत्री मंत्र-ओम अंगिरसाय विद्महे दिव्य देताय धीमहि

तन्नो जीवः प्रचोद्यात् ।

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः ॥

23अक्टूबरपरजनी सप्तमी ,सरस्वती पूजा|

·         भद्रा-सूर्योदय 06:54-18:55 तक |

विशेषकर विद्यार्थी एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित होने वालों के लिए श्रेष्ठ अवसर है|

सप्तमी तिथि को शोक मुक्ति के लिए गुड़ दान करना एवं भगवती को अर्पण करना श्लोकों से मुक्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है|

शुक्र गायत्री मंत्र-

ओम भृगुजाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात् ।

ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः ॥

 

24अक्टूबर -दुर्गा अष्टमी व्रत|

सर्व दोष नाशक रवि योग -26:38 से |

संताप मुक्ति अथवा पूर्व में लिए गए निर्णय से मानसिक कष्ट से मुक्ति या मनोविकार दूर करने के लिए अष्टमी तिथि को देवी को प्रसाद स्वरूप नारियल अर्पित करना चाहिए एवं नारियल का दान करने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है मनोरोग मनोविकार में कमी आती है|

शनिवार का दिन  होने के कारण गाय के घी से निर्मित भोग अर्पित करना श्रेष्ठ माना गया है|

स्नान जल मे मिलाएँ  सौभाग्य वृद्धि के लिए काले तिल, लोबान ,

       बाधा मुक्ति के लिए दान-उड़द,तिल,लोभान,काला,वस्त्र,,नीले पुष्प,(काली गाय,वृद्ध,सेवक,कनिष्ठ)

शनि का मंत्र-

ॐ सूर्य पुत्राय विद्महे ,मृत्यु रुपाय धीमहि ,तन्नो सौरिः प्रचोदयात् ॥

या ऊॅ भगभवाय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नौ शनिः प्रचोदयात् ।।

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥

 

 

 

 

25अक्टूबर -दुर्गा नवमी ,विजय दशमी ,नीलकंठ दर्शन ,सतयुग प्रारम्भ तिथि |

रवियोग सफलता प्रद-दिन रात |

 यह योग प्रारंभ होगा जो रात्रि अंत तक रहेगा|

मृत्यु उपरांत परम सुख -नवमी तिथि को भगवती को लावा या लाई अर्पण करने से एवं उसका दान ब्राह्मण को करने से मृत्यु उपरांत भी सुख की प्राप्ति होती है या परलोक गामी होने पर /मृत्यु उपरांत परम सुख मिलता है ऐसा मार्कंडेय पुराण में उद्धृत है|

रविवार - -

सुख,सौभाग्य वृद्धि के लिए –

स्नान जल मे कनेर पुष्प ,केस,खस, इलायची मिला कर स्नान करे |

-सूर्य देव को जल अर्पण करे |

मंत्र -खखोलकाय नमः |

बाधा मुक्ति के लिए दान-

गुड,लाल,वस्त्र,पुष्प, तांबा नारंगी वस्तु,लाल चन्दन कनेर लाल पुष्प |

दान -लाल गाय ,सूर्य मंदिर, 10 वर्ष तक के बच्चे,विष्णु,कृष्ण मंदिर मे  दे सकते है||

दिन दोष आपत्ति निराककरण के लिए घर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं–रसाल,आम,घी,पान मे से कोई भी पदार्थ |

सूर्य देव का मंत्र-

ओम सप्त तुरंगाय विद्महे सहस्त्र किरणाय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् ।

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ॥ 

 ॥ 

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श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -