नवदुर्गा देवी के विभिन्न स्वरूपों को तिथि
के
अनुसार प्रार्थना के मंत्र-
17अक्टूबर-
प्रथम दिन प्रतिपदा तिथि को देवी के विभिन्न स्वरूपों
की,(देवी भागवत एवं तन्त्रोक्त) अर्चना मंत्र.
शैलपुत्री−
1-ऊँ जगतपूत्ये जगद् वन्द्ये शक्ति
स्वरूपिणी
पूजाम ग्रहण कौमारी जगत् मातर नमोस्तुते।
2-ऊँ शां शीं शूं शैलपुत्र्यै शुभम कुरू 2 स्वाहा |
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
3-ब्राह्मी . ऊँ आं हौं ग्लूं क्रौ
व्री फट् ।
क्षमा –
मंत्र हीनम् क्रिया हीनम् भक्ति हीनम् सुरेश्वरिः
तत्
क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरिः।
पुष्पं सर्मपयामि |
18अक्टूबर-
द्वितीय तिथि को देवी के विभिन्न
स्वरूपों
की,(देवी भागवत एवं तन्त्रोक्त) अर्चना मंत्र.
1-ऊँ त्रिपुरां त्रिगुण धारां मार्ग
ज्ञान स्वरूपिणी्।
2-त्रैलोक्य वंदितां देवी त्रिमूर्ति पूजयाम्
अहम्।
3-ऊँ ब्रां ब्रीम ब्रूं ब्रह्मचारिण्यै नमः।
दधानाम कर पद्माभ्याम अक्ष माला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्म चारिण्य अनुत्तमा॥
महेश्वरी .ऊँ ह्रीम नमो भगवती
महाश्वर्ये-स्वाहा ।
क्षमा –
मंत्र हीनम् क्रिया हीनम् भक्ति हीनम्
सुरेश्वरिः
तत्
क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरिः।
पुष्पं सर्मपयामि |
19अक्टूबर-
तृतीय तिथि को देवी के विभिन्न
स्वरूपों
की,(देवी भागवत एवं तन्त्रोक्त) अर्चना मंत्र.
1-ऊँ कालिकां तु कालातीता कल्याणम हृदयाम् शिवम्।
कल्याण जननीं नित्य कल्याणीं पूजयाम्य
अहम्।
2-ऊँ ह्री क्लीम श्रीं चंद्र घंटायै स्वाहा ।
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसीदम तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।)
3-क्रौं कौमार्ये नमः।
क्षमा -
मंत्र हीनम् क्रिया हीनम् भक्ति हीनम्
सुरेश्वरिः
तत्
क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरिः।
पुष्पं सर्मपयामि |
20अक्टूबर-
चतुर्थ तिथि को देवी के विभिन्न
स्वरूपों
की,(देवी भागवत एवं तन्त्रोक्त) अर्चना मंत्र..
1-ऊँ अणिमादि गुणोदारां मकराकार चक्षुषम्।
अनंत शक्ति भेदाम ताम कामाक्षीम्
पूज्ययाम्य हम्।
2-ऊँ ह्रीं नमो भगवती कूष्माण्डयै मम
-शुभाशुभ
स्वप्ने सर्व प्रर्दशय प्रर्दशय।
वन्दे वांछित कामार्थे चंद्रार्घ्कृत शेखराम,
सिंहरुढ़ा अष्टभुजा कुष्मांडा यशस्वनिम
क्षमा -
मंत्र हीनम् क्रिया हीनम् भक्ति हीनम्
सुरेश्वरिः
तत्
क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरिः।
पुष्पं सर्मपयामि |
21
अक्टूबर-
पंचमी तिथि को देवी के विभिन्न
स्वरूपों
की,(देवी भागवत एवं तन्त्रोक्त) अर्चना मंत्र.
1-ऊँ चण्ड वीरा चण्ड मायां चण्ड मुंड प्रभंजनीम्
ताम नमामि च देवेशीम चण्डिकां पूजयाम्य अहम्।
2-ऊँ ह्रीं सः स्कंद मातृयै नमः।
सिंहासन आगता नित्यं पद्म आश्रित
कर द्वया.
शुभदाअस्तु सदा देवी स्कन्द माता यशस्विनी |
3-वाराही- ए ग्लौं ठं ठं ठं हुं
स्वाहा।
क्षमा –
मंत्र हीनम् क्रिया हीनम् भक्ति हीनम्
सुरेश्वरिः
तत्
क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरिः।
पुष्पं सर्मपयामि |
22अक्टूबर-
षष्ठी तिथि को देवी भागवत एवं तन्त्रोक्त
देवी के विभिन्न स्वरूपों की अर्चना
मंत्र.
1-ऊँ सुखानंद करीं शांतां सर्व देव्यै
नमस्कृताम्।
सर्व भूतात्मिकां देवीं शांभवी
पूजयाम्य अहम्।
2-ऊँ ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा।
स्वर्णा आज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षड पद धरां कात्यायन सुतां भजामि॥
3-ऊँ श्रीम ह्रीं ऐ सौः क्ली इंद्राक्षिम वज्र हस्तो फट् स्वाहा
क्षमा –
मंत्र हीनम् क्रिया हीनम् भक्ति हीनम्
सुरेश्वरिः
तत्
क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरिः।
पुष्पं सर्मपयामि |
23 अक्टूबर-
सप्तमी तिथि को देवी भागवत एवं तन्त्रोक्त
देवी के विभिन्न स्वरूपों की अर्चना
मंत्र.
1-ऊँ चण्डवीरा चंडमायां रक्तबीज
प्रभंजनीम् ।
ताम नमामि च देवेशीम गायत्री पूजयाम्य अहम्।
2-ऊँ ऐं ह्रीम
क्लीं काल रात्रि सर्व वश्यम |
कुरू 2वीर्यम देहि2 गणेश्वर्ये नमः।
कराल वदना धोरां मुक्त केशी चतुर्भुजाम्।
काल रात्रिं करालिका दिव्यां विद्युत माला विभूषिताम॥
क्षमा –
मंत्र हीनम् क्रिया हीनम् भक्ति हीनम्
सुरेश्वरिः
तत्
क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरिः।
पुष्पं सर्मपयामि |
24 अक्टूबर-
अष्टमी तिथि को देवी भागवत एवं तन्त्रोक्त
देवी के विभिन्न स्वरूपों की अर्चना
मंत्र.
1-ऊँ सुन्दरी स्वर्ण वर्णागीम् सुख
सौभाग्य दायिनीम् संतोश
जननीं देवीं सुभद्राम् पूजयाम्य अहम ।
पूर्णेन्दु निभां गौरी ,सोम चक्र स्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वरा भीति करां त्रिशूल डमरू धरां महा गौरी भजेम्॥
2-ऊँ ह्रीम गौरी दयिते योगेश्वरि हुं फट् स्वाहा।
3-ह्रीं श्रीम महालक्ष्म्यै नमः।
क्षमा -
मंत्र हीनम् क्रिया हीनम् भक्ति हीनम् सुरेश्वरिः
तत्
क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरिः।
पुष्पं सर्मपयामि |
25अक्टूबर-
नवमी तिथि को देवी के विभिन्न स्वरूपों
की,(देवी भागवत एवं तन्त्रोक्त) अर्चना मंत्र.
1-ऊँ दुर्गमे दुस्तर कार्ये भव दुख
विनाशिनीं।
पूजयाम्य अहम सदा भक्तया दुर्गा
दुर्गति नाशिनीम्।
2-ऊँ ह्रीं सः सर्वार्थ सिद्धि दात्री
स्वाहा।
3-क्षौं नारसिंहयै नमः।
4-ह्री शिव दूत्यै नमः।
स्वर्णावर्णा निर्वाण चक्र स्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धी दात्रीम भजेम्॥
क्षमा -
मंत्र हीनम् क्रिया हीनम् भक्ति हीनम् सुरेश्वरिः
तत्
क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरिः।
पुष्पं सर्मपयामि |
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