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08 फरवरी 2020- से मंगल ग्रह किस 2 राशि का मंगल करेगा ?





ज्योतिष शिरोमणि - पण्डित वी के तिवारी (9424446706, jyotish9999@gmail.com)
ज्योतिष उपाधि : वाचस्पति, भूषण, महर्षि, शिरोमणि, मनीषी, रत्नाकर, मार्तण्ड, महर्षि वेदव्यास
विशेषज्ञता :(1976 से अब तक) वास्तु, जन्म कुण्डली, मुहूर्त, रत्न परामर्श, हस्तरेखा, पंचांग संपादक |  
            2020-   मंगल किसका मंगल - अमंगल करेगा ?
धनु राशि मे (8 फरवरी 2020  03:51:44 से 22 मार्च 2020  14:40:02)
(सूर्य फरवरी 13 से मध्य मार्च तक ,बुध -कुम्भ राशि ,गुरु धनु राशि 30 मार्च तक ,शुक्र मीन राशि 14 मार्च तक  | )
     सरल सीधी बात है कि कुल 09 ग्रह हैं | कोई एक ग्रह चाह कर भी अनिष्ट नहि कर सकता |
–लघु अवधि मे शुभ -अशुभ फल के लिए सूर्य,मंगल,बुध,शुक्र 04 ग्रह कि स्थिति का अवलोकन (मंगल का राशि परिवर्तन प्रस्तुत-)आवश्यक हे|
*इसलिए अकेले मंगल के अशुभ प्रभाव कि चिंता नहीं करना चाहिए|


                            मेष-
गुरु,सूर्य,बुध शुभ इसलिए मंगल का राशि परिवर्तन प्रतिकूल नहीं होगा | वर्ष का श्रेष्ठ समय सिद्ध हो सकता है
1-         यह समय छोटे से बड़े तक शारीरिक कष्ट व पीड़ा का है । इस में आपको निर्जलन (डीहाइड्रेशन) तथा कमजोरी व शारीरिक शक्ति में क्षीणता का सामना करना पड़ सकताहै । आप मांस-पेशियों में दर्द अथवा किसी शस्त्र से लगे घाव से भी पीडि़त हो सकते हैं ।
2-      मानसिक रुप से अधिकतर आप चिंतित व निराश रहेंगे । आपमें से कुछ को विदेश/ यात्रा  कष्टपूर्ण जीवन यापन करना पड़ सकता है । 
3-     धन का विशेष ध्यान व सुरक्षा रखें क्योंकि विशेष रुप से इस समय थोड़ा बहुत हाथ से निकल सकता है । आपके व्यावसायिक जीवन को भी सही ढ़ंग से व परिश्रम से काम करने की अपेक्षा है ।
     4 यह धन लाभ व उपलब्धियों का सूचक है । यह समय आपके लिए धन लाभ लेकर आ सकता है । आप विभिन्न स्त्रोतों से और अधिक आर्थिक लाभ की आशा कर सकते हैं ।
      5-आपके व्यक्तिगत प्रयास, व्यापार व निवेश आपके लिए और अधिक मुनाफा और अधिक धन लाभ ला सकते हैं । यदि आप सेवारत हैं या व्यवसायी हैं तो इस विशेष समय में आपके और अधिक सफल होने की संभावना है । आप इस दौरान अपने कार्यक्षेत्र में अधिक समृद्ध होंगे
   6- घर पर भी आप सुख की आशा कर सकते हैं । आपके बच्चे व जीवनसाथी प्रसन्न व विनीत रहेंगे। कोई अच्छा समाचार प्राप्त होने की संभावना है । आप भौतिक सुविधाओं से घिरे रहेंगे । 
   7-राजनीतिक सामाजिक दृष्टि से भी यह अच्छा दौर है । समाज आपको और अधिक आदर-सम्मान देगा । आपकी वाक्पटुता व मनोहारी प्रकृति के कारण लोग आपके पास खिंचे चले आएँगे
                               2-वृष-
सूर्य,बुध शुक्र शुभ इसलिए मंगल का राशि परिवर्तन प्रतिकूल अत्यल्प, होगा |सफलता का प्रतिशत 80तक |
1-अपने जीवन, स्वास्थ्य व देह-सौष्ठव के प्रति अत्यधिक सतर्कता इस समय विशेष की माँग है  आपमें से कुछ को रक्त सम्बन्धी रोग जैसे एनीमिया (रक्त की कमी), रक्त स्त्राव अथवा रक्त की न्यूनता से उत्पन्न बीमारियाँ हो सकती हैं ।यात्रा एवं को खतरे में डालने वाला कोई भी कार्य न करें ।
2- इस समय शस्त्र व छद्मवेशी शत्रु से दूर रहें । जीवन आर्थिक मामलों पर नजर रखना आवश्यक है । जो भी ऋण लेने से बचें व स्वयं को ऋण-मुक्त रखने की चेष्टा करें आपमें से अधिकांश को विदेश यात्रा पर जाना पड़ सकता है । परिवार के सदस्य से दूर रहकर उका विछोह झेलना पड़ सकता है ।
    3-यह सुख के समय व संतोष का सूचक है । आप प्रसन्न रहेंगे व समस्त प्रयासों में सफलता मिलेगी । व्यावसायिक पक्ष में आप अच्छे समय की आशा कर सकते हैं । आप स्वयं को सौंपे हुए कार्य सफलतापूर्वक नियत समय में सम्पन्न कर सकेंगे ।  यह समय घर पर भी सुख का द्योतक है ।
4-वित्तीय दृष्टि से भी यह अच्छा समय है । आपके प्रयासों की सफलता से आपको आर्थिक लाभ मिलेगा व आप और भी लाभ की आशा कर सकते हैं । 
5-राजनीति में आपका स्थान ऊँचा होने की भी संभावना है । आपको सम्मान मिल सकता है व समाज में प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सकती है । समाज में आप अधिक सक्रिय रहेंगे व समाज सुधार कार्य में भाग लेंगे ।  यह समय मानसिक तनाव मुक्ति एवम् शान्ति का सूचक है ।
-                             मिथुन –
केवल गुरु शुभ इसलिए मंगल का राशि परिवर्तन प्रतिकूल ही होगा |
1-आपके स्वयं की पति/पत्नी की अथवा किसी नजदीकी व प्रियजन के स्वास्थ्य की समस्या अत्यधिक मानसिक चिन्ता का कारण बन सकती है आपको अपने जीवनसंगी के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना पड़ सकताहै । आप व आपकी पत्नी/पति को कोइ गहरी मानसिक चिन्ता सता सकती है ।
2- आपमें से अधिकांश की किसी सज्जन, व्यक्ति से शत्रुता होने की संभावना है ।
3-अपने मित्रों व प्रियस्वजनों से समझौता कर लें । आपके सम्बन्धी आपकी मनोव्यथा का कारण बन सकते हैं । अपने व्यवहार को नियंत्रित रखों क्योंकि अपनी संतान तथा भाई-बहनों के प्रति आप क्रोध कर सकते हैं व अपशब्दों का प्रयोग कर सकते हैं ।
4- धन सम्बन्धी मामलों के प्रति भी सचेत रहें । व्यर्थ की प्रतियोगिता के चक्कर में आप व्यर्थ गँवा सकते हैं ।
    5-यह रोग व पीड़ा का सूचक है ।
6-यह काल विशेष आपके कार्यक्षेत्र में बाधा व रुकावट ला सकता है । कार्यालय में अपना पद व प्रतिष्ठा बनाए रखें । यह भी निश्चित कर लें कि आप कोई ऐसा कार्य न कर बैंठें जो बाद में पछताना पड़े ।  कोई भी नया काम आरम्भ करने से पहले देख लें कि उसमें क्या बाधाएँ आ सकती हैं ।
7-शत्रुओं से सावधान रहें क्योंकि इस दौरान वे आपको अधिक हानि पहुँचा सकते हैं । परिवार व सम्बन्धियों से विवाद में न पड़ें क्योंकि यह झगड़े का रुप ले सकता है । 
                           4-कर्क-
शुक्र बुध मंगल शुभ इसलिए मंगल का राशि परिवर्तन अनूक्ल ही होगा |

1-यह शुभ समय का सूचक है ।।  इस काल में स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । सारे पुराने रोगों व पीड़ाओं से मुक्ति मिलेगी ।
2- आप पाएँगे कि इस काल में आप धन, स्वर्ण, मूँगा, ताँबा प्राप्त करेंगे, धातु व अन्य व्यापार में आपको अप्रत्याशित लाभ होगा ।
3-यदि आप कहीं सेवारत हैं तो आप जिस पदोन्नति व सम्मान की इतनी प्रतीक्षा कर रहे हैं, वह आपको अपने कार्यालय में प्राप्त होगा । आपमें से अधिकांश को अपने कार्य में सफलता मिलेगी । 
4- आर्थिक दशा में सुधार से आप सुरक्षा, शान्ति व सुख अनुभव कर सकते हैं । आपको इन दिनों पूर्ण मानसिक शान्ति मिलेगी व आपको लगेगा कि आप भयमुक्त हैं ।
5- यह शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का भी समय है । यदि आपके ऊपर कोई कानूनी मुकदमा चल रहा है तो फैसला आपके पक्ष में हो सकता है । आपके अधिकांश शत्रु पीछे हट जाएँगे और विजय आपकी होगी । समाज में आपको सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त होगी । आपमें से कुछ इस समय दान-पुण्य के कार्य भी करेंगे ।  इस काल में स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । सारे पुराने रोगों व पीड़ाओं से मुक्ति मिलेगी ।
6-राजनीति,- यह आपके समस्त कार्यों व परियोजनाओं में सफलता दिलाएगा । यह वित्तीय पक्ष में स्थिरता व लाभ का समय है । आपका समाज में स्तर ऊँचा होगा । लोग आपको अधिक सम्मान देंगे व आपकी लोकप्रियता में वृद्धि होगी ।  इस दौरान जीवन शैली आरामदायक रहेगी ।
7-संतान से सुख मिलने की संभावना है । परिवार में शिशु जन्म सुख में वृद्धि कर सकता है । इस विशेष काल में आपकी संतान का संतुष्ट व सुखी रहने का योग है ।  आपमें चैतन्यता व बुद्धिमानी बढ़ेगी
                             सिंह-
4-     केवल गुरु,शुक्र  शुभ इसलिए मंगल का राशि परिवर्तन प्रतिकूल ही होगा |
1-यह जीवन में क्षुब्धता व अस्त-व्यस्तता का प्रतीक है । अपने व्यय जितना सम्भव हो, कम करना बुद्धिमतापूर्ण होगा क्योंकि इस काल में धन और व्यय का नियंत्रण आपके हाथ से निकल सकते हैं ।  बच्चों का विशेष ध्यान रखें क्योंकि वे रोग-ग्रस्त हो सकते हैं । अपने और अपने पुत्र के बीच अनबन न होने दें क्योंकि यह कष्टकारक हो सकती है । 
2-शत्रुओं से सावधानीपूर्वक भली भाँति निपटें और नए शत्रु न बन जाएँ, इसके प्रति विशेष सतर्कता बरतें । शत्रु इस विशेष अवधि में आपके और अधिक संताप का कारण बन सकते हैं । 
3-स्वास्थ्य के प्रति विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है । आप उत्साहहीन, कमजोरी व हरारत अनुभव कर सकते हैं । आपमें से कुछ किसी ऐसे रोग से ग्रस्त हो सकते हैं जिसकी पूरी जाँच करानी पड़ेगी । अपनी भोजन सम्बन्धी आदतों पर भी ध्यान दें ।  आपमें से कुछ के व्यवहार में परिवर्तन आ सकता है । आपमें से कुछ क्रोधी, आशंकित व अपने प्रियजनों के प्रति उदासीन हो सकते हैं जो आपकी सामान्य प्रकृति के विरुद्ध है ।
4-अपनी पत्नी/पति  बच्चों से बात करते समय विवाद अथवा परस्पर संचार में कमी न आने दें । ध्यान रखें कि ऐसी स्थिति न आ जाय जो आपको अपमानित होना पड़े या नीचा देखना पड़े ।
5- अपने प्रयासों में बाधाएँ आपको और अधिक क्षुब्ध कर सकती हैं । यदि आपकी यात्रा की कोई योजना है तो सम्भव है वह कष्टकर हो व वांछित फल न दे पाए । 


                      6-    कन्या-
सूर्य,बुध शुभ इसलिए मंगल का राशि परिवर्तन कम प्रतिकूल ही होगा |
1-कुछ विवाद एवं विरोधी वर्ग की भी संभावना है जो आपके परिवार व मित्रों /परिवार की परिधि में ही होंगे । मानसिक रुप से आप चिन्तित रह सकते हैं तथा विषाद के दौर से गुजर सकते हैं ।  इस काल में रिश्ते आपसे विशेष अपेक्षा रखेंगे । अधिक दु:ख से बचने के लिए अपने परिवार व अन्य सम्बन्धियों से शान्तिपूर्ण व्यवहार रखें । अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा व सम्मान को किसी प्रकार की ठेस न लगने दें ।  
2-स्वास्थ्य के प्रति अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि इस समय आपको ज्वर होने अथवा छाती में बेचैनी होने की संभावना है । आपमें से कुछ रक्त व पेट के रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं ।  इस समय भूमि व अन्य जायदाद सम्बन्धी मामलों से दूर ही रहें ।
     2-यह विशेष समय व्यक्तिगत जीवन में सफलता, स्थिरता व उन्नति का सूचक है । आपकी योजना व परियोजनाएँ सफलतापूर्वक सम्पन्न होंगी व उनसे लाभ भी प्राप्त होगा । कार्यक्षेत्र में आपके और भी अच्छा काम करने की संभावना है । आप समस्त कार्यों में उन्नति की आशा कर सकते हैं ।
4-राजनीति- इस समय में समाज में आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी । आपका सामाजिक स्तर बढ़ने की भी संभावना है । 3-अपने वित्त का पूरा ध्यान रखें ।

                         7- तुला-
केवल मंगल स्तरीय सफलता,विजय,मनोबाल देगा|
1-यह शुभ समय का प्रतीक है, विशेष रुप से धन लाभ हेतु ।
2-इस काल में आप अपने व्यापार व व्यवसाय से अच्छा धन कमाएँगे । इस समय आपके मूल्यवान आभूषण क्रय करने की भी संभावना है ।  कार्य सरलतापूर्वक सम्पन्न होंगे व महत्तवपूर्ण मामलों में सफलता की संभावना है । नए प्रयासों में भी आपको सफलता मिलेगी । यदि आप सेवारत हैं तो अधिक अधिकार व प्रतिष्ठा वाले पद पर पदोन्नत हो सकते हैं । सफलता के फलस्वरुप आपके आत्मविश्वास व इच्छाशक्ति को अत्यंत बल मिलेगा ।  स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आप शक्ति व स्वास्थ्य से दमकते रहेंगे । आपका उत्साह चरम सीमा पर होगा और पूर्व की समस्त भ्रांतियों और बाधाओं से आपको मुक्ति मिल सकती है ।
3-आपके व्यक्तिगत जीवन में कष्ट का सूचक है । इस विशेष अवधि में आप अपनी पत्नी, बच्चों व परिवार के अन्य सदस्यों से विवादों के टकराव से बचें । यह ऐसा समय नहीं है कि मित्रों में भी आप हठ कों अथवा अपनी राय दूसरों पर थोपें । अपने प्रियजनों से व्यवहार करते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतें ।
4- स्वास्थ्य इस समय चिन्ता का कारण बन सकता है । खाने पर ध्यान दें क्योंकि आप ज्वर अथवा लू लगने से बीमार हो सकते हैं । ऐसे किसी क्रियाकलाप में भाग न लें जिसमें जीवन के प्रति खतरा हो ।  मानसिक रुप से आप उत्तेजित व शक्तिहीन महसूस कर सकते हैं । 
5-विदेश यात्रा से बचें क्योंकि इस समय वांछित परिणाम प्राप्त होने की संभावना नहीं है । 

                        8 वृश्चिक-
बुध,गुरु,शुक्र,शुभ हैं परंतु मंगल सूर्य परेशान करेंगे |
1-यह हानि उठाने का समय है । अपने धन व मूल्यवान वस्तुओं की सुरक्षा पर ध्यान केन्द्रित करें । विवाद से दूर रहें ।
2-यदि आपने सावधानी नहीं बरती तो यह बुरा समय आपमें से कुछ को स्थानांतरण  भी कर सकता है ।  पुराने शत्रुओं से सतर्क रहें व नए न बनने दें । अपने अधिकारी व सरकार के क्रोध के प्रति सचेत रहें ।
3-इस विशेष समय में अपने परिवार व प्रियजनों से झगड़ा मोल ले सकते हैं ।  घर में यह समय किसी नए सदस्य के आने का सूचक है । आपकी माता आप पर गर्व करे, इसकी भी पूरी संभावना है । आपकी उपस्थिति मात्र से परिवार के सदस्यों को सफलता मिल सकती है
4-यह जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति का सूचक है । व्यक्तिगत रुप से आप अपने जीवन से पूर्णतया संतुष्ट होंगे और हर कार्य, हर उद्यम में लाभ होगा । समाज में आपका स्तर बढ़ेगा व आप सम्मान प्राप्त करेंगे । 
5-वित्तीय रुप से भी यह अच्छा दौर है और धन व जायदाद के रुप में सम्पत्ति प्राप्त होने का द्योतक है । आपको अपने पति/पत्नी व विपरीत लिंग वालों से लाभ होने की संभावना है ।  । 
6-आपकी उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त व सज्जन व सुसंस्कृत नए व्यक्तियों से मित्रता होने की संभावना है । 
                      9-    धनु-
केवल सूर्य शुक्र उत्तम हें परंतु विगत माह से उत्तम है |
1-यह कठिनाइयों का सूचक है । व्यापार आपको अपनी परियोजना समय पर सफलतापूर्वक समाप्त करने में कठिनाई आ सकती है  । अच्दा हो इन दिनों आप कोई नया कार्य आरम्भ न करें ।
2-यदि आप सेवारत हैं तो वरिष्ठ सदस्यों, अधिकारियों व सरकारी विभाग से विवाद एवम् गलतफहमियों से बचें । आपमें से कई को अपने पद में परिवर्तन झेलना पड़ सकता है।
3-वित्तीय रुप से भी यह अच्छा दौर है और धन व जायदाद के रुप में सम्पत्ति प्राप्त होने का द्योतक है आपको कुछ अनचाहे खर्चे करने पड़ सकते हैं अत: धन के सम्बन्ध में विशेष सावधानी बरतें । धन व्यय करने की ललक पर नियंत्रण रखें ।  इस अवधि में यात्रो के अनेक अवसर हैं ।
4-अत: आप विवाहित हैं तो जीवनसाथी व बच्चों से दूर रहने का योग है ।  स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है
    5-राजनीतिक व्यक्तिगत रुप से आप अपने जीवन से पूर्णतया संतुष्ट होंगे और हर कार्य, हर उद्यम में लाभ होगा । समाज में आपका स्तर बढ़ेगा व आप सम्मान प्राप्त करेंगे । 
                   मकर-
       
केवल बुध ,शुक्र अनुकूल हैं | यात्रा,व्यय,विवाद पवित्र स्थान भ्रमण वृद्धि |
1-यह शारीरिक व्याधि व पीड़ा का द्योतक है । यदि आप सावधानी नहीं बरतेंगे तो यह समय तनावपूर्ण रहेगा । स्वास्थ्य के सम्बन्धित सभी पहलुओं पर विशेष ध्यान दें क्योंकि इस समय आपमें रोग पनप सकता है, विशेष रुप से नेत्र व पेट सम्बन्धी व्याधियाँ उभर सकती हैं । पैरों का भी ध्यान रखें ।
2-इन दिनों शारीरिक सक्रियता वाली गतिविधियों से बचें क्योंकि जीवन को खतरा हो सकता है ।
3-  आपका कार्यक्षेत्र सफलता प्राप्त करने के प्रयास में अत्यधिक दबावपूर्ण व अधिक कार्य के कारण कठोर हो सकता है । यदि आप सावधानी नहीं बरतेंगे तो आपमें से कुछ को अपमान व अवमानना झेलनी पड़ सकती है जिससे पद खतरे में पड़ सकता है । 
4-वित्त सम्बन्धी सावधानियाँ बरतें तथा अपव्यय से बचें ।  घर पर पति/पत्नी, संतान, भाई बहन, संतान और रिश्तेदारों से मधुर सम्बन्ध रखें । उनसे विवाद में न पड़ें । शत्रुओं से टकराव से बचें व नए शत्रु न बने इसके प्रति सावधानी बरतें ।  आपको विदेश यात्रा के अवसर मिल सकते हैं ।
    5-यह आर्थिक लाभ व आय में वृद्धि का द्योतक है । विशेष रुप से उनके लिए जो रत्न व्यवसाय से जुड़े हैं ।  इस समय सफलतापूर्वक कुछ नया सीखने से व ज्ञान अर्जित करने से आपको आनन्द का अनुभव होगा । 
6-इस काल में आप किसी सम्बन्धी व प्रिय मित्र को भी खो सकते हैं । 

                    11-कुम्भ-
गुरु,शुक्र,मंगल शुभ वर्ष का प्रथम 06 माह मे सर्वोत्तम समय है |
    1-यह आप व आपके परिवार के लिए सुखद समय लाएगा । इस समय आपको भूसम्पत्ति की प्राप्ति होगी एवम् व्यवसाय व व्यापार में लाभ होगा ।
2-संतान पक्ष से भी आपमें से कुछ को लाभ प्राप्त होने की संभावना है । सेवारत व्यक्तियों हेतु भी समय शुभ है । आपमें से कुछ की वेतनवृद्धि व पदोन्नति हो सकती है । आपके समस्त प्रयास व उद्यम सफल होंगे व अधिक लाभ प्राप्त होगा ।  इस समय आप केवल व्यवसाय में ही नहीं वरन् अपने दैनिक जीवन में भी सुधार देखेंगे । 3-3-राजनीति आपका सामाजिक स्तर, सम्मान व प्रतिष्ठा सभी में वृद्धि की संभावना है । आपकी उपलब्धियों से आपके व्यक्तित्व में और अधिक निखार आएगा ।  आपमें से कुछ परिवार में शिशु जन्म से सुख व शान्ति में वृद्धि होगी । संतान व भाई-बहनों से और भी अधिक सुख मिलेगा ।
4- अच्छे स्वास्थ्य व रोगमुक्त शरीर के कारण आप प्रसन्न्ता अनुभव करेंगे । आप अपने को पूर्णतया इतना निर्भीक अनुभव करेंगे जैसा पहले कभी नहीं किया होगा । 
5-  अपव्यय के प्रति सचेत रहें क्योंकि यह पैसे की कमी का कारण बन सकता है । ध्यानपूर्वक खर्च करें । आपकी ऐसे कुपात्रों से मित्रता की भी संभावना है जो हानि पहुँचा सकते हैं । अपने निकट वाले व प्रियजनों से व्यवहार करते समय शब्दों का ध्यान रखें ।
5-     लचीलेपन को अपनाएँ क्योंकि आपकी योजना, परियोजना अथवा विचारों में अनेक ओर के दबाव से भय की आशंका को देखते हुए कुछ अन्तिम समय पर परिवर्तन करने पड़ सकते हैं ।
6-     6-यदि आप विदेश में रहते हैं तो कुछ बाधाएँ आ सकती हैं । घर में भी अनुष्ठान सम्पन्न करने में बाधाएँ आ सकती हैं । स्वयं का व परिवार का ध्यान रखें क्योंकि इस दौरान छल-कपट का खतरा हो सकता है । संभव हो तो यात्रा न करें क्योंकि न तो आनन्द आएगा न अभीष्ठ परिणाम निकलेंगे । 
                   12 मीन -
    1-अफसरों को अभद्र व्यवहार, प्रयासों में विफलता, दु:ख, निराशा, थकान आदि । फिर भी आपको अपने कार्यक्षेत्र में अन्त में सफलता मिल सकती है । आपसे कुछ तो पहले से भी अच्छा कार्य सम्पन्न करेंगे । हाँ कार्य की माँग के अनुसार आपमें से कुछ को यहाँ-वहाँ जाना पड़ सकता है।
2-स्थान या दायित्व परिवर्तन , काल में आपको प्रतिष्ठा, पद व अधिकार में वृद्धि दिए जाने की संभावना है । आपका नाम अपने अधिकारियों के विशेष कृपा-पात्रों की सूची में आ सकता है तथा अच्छे मित्रों का दायरा भी बढ़ सकता है । 
3-आप में से कुछ को चिंताओं से मुक्ति मिलने व शत्रुओं पर विजय पाने की संभावना है । कुछ भी हो, शत्रुओं को कम न समझें व शस्त्रों से दूर रहें । 
3-यह आपके लिए व्यय का द्योतक है । सुविधापूर्ण जीवन के लिए आपको अनुमानित से अधिक खर्च करना पड़ सकता है। मुकदमेबाजी से दूर रहें क्योंकि यह धन के अपव्यय का कारण बन सकता है । इसके अलावा आपको अपने द्वारा सम्पादित कार्यों को पूर्ण करने के लिए अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ सकता है। 
4-शत्रुओं से सावधान रहें और अपमानजनक स्थिति से बचने के लिए उनसे दूर ही रहें । समाज में अपना मान व प्रतिष्ठा बचाए रखने का प्रयास करें ।  कई कारणों से आप मानसिक रुप से त्रस्त हो सकते हैं । इस समय आपको बेचैनी व चिन्ताओं की आशंका हो सकती है । इस दौर में असंतोष व निराशा के आप पर हावी होने की भी संभावना है । 
5-आपका खाने से व दाम्पत्य सुखों से मन हटने की भी संभावना है । इन दिनों आप स्वयं को बीमार व कष्ट में महसूस कर सकते हैं ।

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श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -