रहस्यमयि विद्या /तकनीक कुण्डली मिलान :विवाह के लिए जन्म कुंडली के ग्रहो-नक्षत्रो से कुण्डली मिलाएँ
कुंडली मिलाएँ लग्न नक्षत्र या नवमांश से क्यों-
विवाह पश्चात अलगाव,तलाक आदि समस्याएँ दिनो दिन ,आज की जीवन शैली के कारण बढ़ रही हैं इसका मूल कारण बहू द्वारा "बहू" शब्द का दायित्व निर्वाह आशा के अनुकूल नहीं होना भी है |
संस्कार हीन युवा वर्ग का बड़ो के प्रति घटता सम्मान भी है|
आज़ कुंडली मिलाने के लिये केवल नक्षत्र की विशेषता पर्याप्त नहीं रही,वरन कुण्डली मे स्थित ग्रह एवं उनकी स्थिति का विश्लेषणात्मक अध्ययन आवशयक है |
अकल्पनीय परन्तु यथार्थत: सत्य -
16 वी सदी की विवाह पूर्व कुंडली मिलान विधि (अष्टकूट 36 गुण ), 20 वी सदी में भी पूर्ववत प्रचलित ?
( ज्योतिषियों का नैतिक दायित्व नवमांश ,जन्म चक्रकुंडली मिलाएँ लग्न नक्षत्र या नवमांश से ज्योतिष विधि,
लग्न.नक्षत्र चरण से विवाह मिलान कर
ज्योतिष के स्थापित ग्रन्थ ,सिद्दांत
के प्रति विशवास बढाए एवं उचित मूल्याङ्कन (16वी सदी के 36 /44 गुण से आगे ..) कर जन सामान्य की अपेक्षा पर जाने अनजाने पानी न फेरे |)
ज्योतिष ग्रंथों में कुंडली मिलान का विवरण 15 वी
सदी से पूर्व अनुपलब्ध है |संभवत पूर्वकाल
में मध्यम या आर्थिक विपन्न या अपने से कम शक्ति वाले (फिर चाहे कोई भी हो )वर्ग
की कन्या को सक्षम,शसक्त वर्ग अपनी पसंद की कन्या /स्त्री को ,(एक या अनेक को)
जीवन साथी बनाना अपना अधिकार मानता था |
राजा आदि स्वयंवर को महत्व देते थे | अनाचार ,दुराचार ,अपहरण अदि से सुरक्षा के लिए बाल विवाह भी इस प्रकार पनपा था |
राजा आदि स्वयंवर को महत्व देते थे | अनाचार ,दुराचार ,अपहरण अदि से सुरक्षा के लिए बाल विवाह भी इस प्रकार पनपा था |
शिक्षा अभाव , आवागमन सीमित, परिचय
सीमित,जाति,कुल, वंश वृद्धि के कारण धीरेधीरे पंडित ,ज्योतिष्यों से पूछ परख
प्रारंभ हुई | जन्म नक्षत्र चरण के आधार पर नाम एवं उनके साम्यगुण अनुसार संभावित
सुखद जीवन की कल्पना को मूर्त रूप दिया गया |
अशिक्षित
अवस्था में नक्षत्र सीमा होना त्रुटिपूर्ण नहीं था परन्तु आज ज्योतिषियों का
अधिकाँश कुंडली,या जन्म चक्र को कुंडली मिलान के लिए उपयोगी मानता है | उत्तर
भारत की तुलना में दक्षिण भारत की नक्षत्र से मिलाने की विधि (8 के स्थान पर 13 विशेषता ) श्रेष्ठ है | दुष्परिणाम-
आज 30 प्रतिशत से अधिक जन , इस अष्टकूट की सड़ी –गली प्रचलित विधि के कारण विवाह पूर्व (विलम्ब) या विवाह पश्चात कष्ट भोगने को बाध्य हैं | जन हित,देश हित, समाज हित और विद्या के प्रति ज्योतिषियों तथा सुविज्ञ शिक्षित वर्ग का भी दायित्व है कि, विवाह मिलान के लिए योग्य ज्योतिषी का ही चयन करे , 36 / 44 गुण की सीमा से बहिर्गमन करे |
*कितने जानते हैं कि 05 नाडी में कौन सी नाडी लागु होगी ? या 27 नक्षत्र से नाडी के स्थान पर नक्षत्र के 108 भागो की नाडी का प्रयोग केसे करे ? समय समय पर अनेक ज्योतिषियों ने इस क्षेत्र में अनुपम अतुलनीय विचार भी प्रस्तुत किये ,परन्तु प्रचलित अपूर्ण ,असार्थक एवं अप्रयोज्य मिलान विधि को बहिष्कृत या परिष्कृत नहीं कर सके |
आज 30 प्रतिशत से अधिक जन , इस अष्टकूट की सड़ी –गली प्रचलित विधि के कारण विवाह पूर्व (विलम्ब) या विवाह पश्चात कष्ट भोगने को बाध्य हैं | जन हित,देश हित, समाज हित और विद्या के प्रति ज्योतिषियों तथा सुविज्ञ शिक्षित वर्ग का भी दायित्व है कि, विवाह मिलान के लिए योग्य ज्योतिषी का ही चयन करे , 36 / 44 गुण की सीमा से बहिर्गमन करे |
*कितने जानते हैं कि 05 नाडी में कौन सी नाडी लागु होगी ? या 27 नक्षत्र से नाडी के स्थान पर नक्षत्र के 108 भागो की नाडी का प्रयोग केसे करे ? समय समय पर अनेक ज्योतिषियों ने इस क्षेत्र में अनुपम अतुलनीय विचार भी प्रस्तुत किये ,परन्तु प्रचलित अपूर्ण ,असार्थक एवं अप्रयोज्य मिलान विधि को बहिष्कृत या परिष्कृत नहीं कर सके |
*सुविज्ञ ज्योतिषियों
की पैठ घर घर में ,COMPUTER , कथावचक वर्ग की तुलना मे 10 पर्तिशत भी नहीं है |
इसलिए नक्षत्र मिलान विधि का
संशोधन.परिवर्धन ,उन्नयन आज भी टेडीखीर है
|
मेरा व्यक्तिगत अनुभव बहुत 2 कटु,निराशाजनक रहा | पूर्ण तथ्य ,ग्रंथो का सन्दर्भ देने के बाद भी उच्च शिक्षित वर्ग या उच्चपदस्थ वर्ग का अधिकाँश आज भी अल्पज्ञान वाले पंडितों पर पूर्ण विश्वास /निर्भर है |
मेरे पास अनेको राजधानी के प्रकरण हैं ,जबज्योतिष ग्रंथो के आधार पर पूर्ण लिखित प्रमाण देने के बाद भी ((प्रचलित अष्टकूट विवाह –मिलान के सन्दर्भ में )
मेरा व्यक्तिगत अनुभव बहुत 2 कटु,निराशाजनक रहा | पूर्ण तथ्य ,ग्रंथो का सन्दर्भ देने के बाद भी उच्च शिक्षित वर्ग या उच्चपदस्थ वर्ग का अधिकाँश आज भी अल्पज्ञान वाले पंडितों पर पूर्ण विश्वास /निर्भर है |
मेरे पास अनेको राजधानी के प्रकरण हैं ,जबज्योतिष ग्रंथो के आधार पर पूर्ण लिखित प्रमाण देने के बाद भी ((प्रचलित अष्टकूट विवाह –मिलान के सन्दर्भ में )
अपने तथाकथित पंडित ज्योतिषी (अल्पज्ञान ) के –“मेरे
अनुभव ..मेरे परिवार ..पुश्तैनी ज्ञान ...”जेसे वाक्यों के विरुद्ध , सप्रमाण
ज्ञान ग्रन्थ आदि आधरित तथ्यों के अनुरूप निर्णय लेने से समर्थ / सक्षम नहीं हुए
...तो अल्प शिक्षित या माध्यम वर्ग इन पंडितों या अल्पज्ञानी तथाकथित ज्योतिष की
दूकान चलाने वालो के विरूद्ध या इनकी उपेक्षा केसे कर सकता है ?
*36
या 44 गुण की अवधारणा स्थूल,सतही,–
(केवल चन्द्र ग्रह राशि+60
घंटे एवं नक्षत्र +23 घंटे और केवल 8 बिंदु ) पर सूक्ष्म व्यष्टि स्वरूप मुल्यांकन
विधि -नक्षत्र चरण (06 घंटे ) नक्षत्र नवमांश (45 मिनट ) , लग्न 02
घंटे लगभग , नक्षत्र वेध, 05 नाड़ी ( नक्षत्र नाडी/ नवमांश नाडी ), राशि
दूरी -6-8 , 9-5,02-12 ,3-11,04-10; जन्मचक्र के नवग्रहों की स्थिति, वर-
कन्या के परस्पर ग्रह एवं नक्षत्र स्थित दूरी , (ग्रहों की ही नहीं वरन विभिन्न नक्षत्रो कि
दूरी परस्पर ),प्रचिलित नाम को भी महत्त्व देना अपरिहार्य जिससे तात्कालिक
मत भिन्नता से सुरक्षा |
*36 गुण भ्रमोत्पादक यदि इस प्रकार 35
बिन्दुओ पर चर्चा करे तो 620 गुण होंगे | 36 गुण में अनेक अपवाद शामिल हुए | अनेक
नक्षत्र नाडी दोष मुक्त हैं ,किसको कितना ज्ञान ? रेडीरेकनर पंचांगो या ज्योतिष सॉफ्टवेरों के आधार पर 36 में से 18
उचित |
*ब्राह्मणों के लिए नाडी दोष ? मेने कोई
एसा पंडित नहीं देखा है नाडी , वर्ण आदि गुण छोड़ कर कुंडली जो वैश्य की कुंडली मिलाता हो | मेरा मत -कन्या का
नक्षत्र यदि ब्राह्मण है तो नाडी दोष
,महत्वपूर्ण दोष होगा |
*समसप्तक उत्तम मिलान यदि है तो
ग्रह मैत्री का महत्व ?
* इसलिए +60 घंटे की राशी के स्थान पर नवमांश स्वामी की उपेक्षा
क्यों की जाए ?ज्योतिष में अनेक गूढ़ता पूर्ण रहस्य हैं |विचार कर समाज को कुछ नया
दीजिये |
* श्रेष्ठ ज्ञान
जनसामान्य तक पहुँचने से पहले ज्ञाता की परिस्थितयां / आर्थिक बंधन की सीमा
ज्ञान के पथ में विशाल फन
फेलाए बैठ जाती हैं |
वैवाहिक जीवन में कांटे नहीं बोयें ? लाडली के लिए अनजाने में सुख
बाधक कुंडली नहीं ढूढे | आप आज भी सदियों
पुरानी 36 गुण वाली विधि अपनाएँगे ?
संतान के वैवाहिक सुखद दाम्पत्य जीवन एवं भविष्य के लिए -पालको
(माता-पिता) से आग्रह /निवेदन
क्या आप जानते हैं ,36 गुण वाली कुंडली मिलान विधि –असंगति /त्रुटि/कमी-
*जिसमे कुंडली देखी ही नहीं जाती |
*जन्म समय चन्द्र ग्रह जिस राशी या
नक्षत्र में होता है उसको ही आधार मान जाता है |
*केवल ९ ग्रहों में से एक चंद्रमा ही
आपके बच्चे या बच्ची का भविष्य सुखद बना सकता है ?शेष ग्रह कुंडली में निरर्थक
होते है ?
*ग्रह मैत्री -एक राशी +60hours (
दो-तीन नक्षत्रों ) का समूह | एक नक्षत्र (+23 hours)?
*क्यों नहीं नक्षत्र चरण (06hours) स्वामियों की मित्रता
अपनाते ? क्यों नहीं नवमांश स्वामी (45मिनट) की मित्रता पर विचार का इस विधि में
कोई स्थान नहीं |
कुंडली के सप्तम भाव – कारक,भावेश,भावस्थ, ग्रह
दृष्टी से प्रभावित स्थान/भाव एवं ग्रह , सप्तमेश किस नक्षत्र पर स्थित, मित्र –शत्रु
किसके साथ सप्तमेश /कारकेश , उच्च-नीच राशी स्थिति आदि आदि अनेक तथ्यों का कोई
स्थान नहीं |
क्या प्यार –दुलार से पोषित लाडली के जीवन का अधिकाँश जीवन, सडी गली अधकचरी
प्रचलित मिलान विधि को भेंट चढ़ा देंगे ?
हमारा विशवास हे कि, 10 मिनट की इस
विधि पर विश्वास कर लाडली / लाडले को
दुखो,कष्टों,संत्रास, अपमान ,उपेक्षा के कटघरों में घुट २ कर क्षण-क्षण ,पल
प्रतिपल जीने को विवश
करने कीआपका अंतर्मन की
भावना कदापि नहीं हो सकती और न ही
आपके पास कोई उपयुक्त /पर्याप्त कारण है |
**अधुनातम मिलान विधि 8 के स्थान पर +27 सूक्ष्म नए बिन्दुओं एवं कुंडली से कुंडली मिलान जिसमे कमसे कम 03 घंटे से भी अधिक समय लगता है |
संपर्क (बेटे –बेटी के
विवाह पूर्व सुखद जीवन के लिए )ज्योतिष के स्थापित सिद्धांतो के परामर्श - jyotish9999@gmail.com; 9424446706 |
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