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13 th feb 2018 - महाशिवरात्रि (14 फरवरी महाशिवरात्रि व्रत एश्वर्य एवम आयु हानि भी कर सकताहै-)

 
महाशिवरात्रि पर्व 11 मार्च2021 ही –कतिपय प्रामाणिक ज्ञातव्य तथ्य
 शिवरात्रि व्रत अर्थातआयु एवं एश्वर्य  –सप्रमाण)
(पंडित विजेंन्द्र कुमार तिवारी -9424446706,सम्बद्ध-दिव्य विश्वेश्वर पंचांग /तिथि पत्रक; JYOTISH9999@GMAILCOM )
विषय -जनहित मे अति आवश्यक ,कृपया अपने प्रबुद्ध पाठको को सत्य जानकारी से अवगत, निवेदित ||
संदर्भ- समाचार पत्र मे भ्रामक (त्रुटि पूर्ण) महाशिव रात्री व्रत की जानकारी प्रकाशन  विषयक |
1-   मकर संक्रांति भी त्रुटि पूर्ण 15 जनवरी प्रकाशित हुई|
शिवरात्रि संबन्धित प्रमाण –अनेकों ग्रंथ मे हैं कतिपय ग्रंथो का उल्लेख –
*13 फरवरी को प्रदोष ,10.34 से चतुर्दशी (दृक ) 14 फरवरी को केवल 00.46 तक चतुर्दशी | उसके बाद अमावस्या |
*ईशान संहिता-  माघ कृष्ण चतुर्दशी की महादशा में करोड़ों सूर्य के समान लिंग रूप से उत्पन्न हुए   शिवरात्रि व्रत में तिथि तत्काल व्यापिनी ली जाना चाहिए |
 ( 13 फरवरी को इस नियम के अनुसार रात्रि       10:00 बज कर 34 मिनट पर चतुर्दशी  तिथि इस आधार पर तब तत्काल व्यापिनी सिद्धांत लागू होता है|
   -  प्रदोष और अर्द्धरात्रि की चतुर्दशी शिवरात्रि के लिए मानी गई है |”प्रदोष तिथियों   मय व्यापिनी

*निर्णय सिंधु ग्रंथ के आधार पर आधी रात के पहले तथा आधी रात के बाद चतुर्दशी हो उस स्थिति में ही शिवरात्रि का व्रत किया जाए (प्रस्तुत 457 पृष्ठ)| 14 फरवरी  को सूर्योदय तक चतुर्दशी तिथि नहीं |
 24:00 के पहले तथा आधी रात के बाद यदि चतुर्दशी ना हो तो व्रत ना किया जाए   क्योंकि ऐसा व्रत करने से आयु एवं ऐश्वर्य की हानि होती है
     आधीरात से दूसरे प्रहर की अंत घड़ी और तीसरे पहर की पहली घड़ी को माधव कहते हैं इसलिए पहले दिन यदि चतुर्दशी हो उसे ही ग्रहण किया जावे अर्थात 14 फरवरी की चतुर्दशी सिद्धांतिक रूप से अशुद्ध त्रुटिपूर्ण एवं  ऐश्वर्य एवं हानिकारक है
 *स्कंद पुराण के अनुसार त्रयोदशी के बाद रात्रि में चतुर्दशी हो वह जागरण में शिवरात्रि होती है|
 *यदि दूसरे दिन आठवें मुहूर्त अर्थात  निशीथ काल में  चतुर्दशी हो तो हेमाद्रि ग्रंथ के मत से पहली दिन की चतुर्दशी (13फरवरी)को ही ग्रहण किया जावे |
 *पद्म पुराण के अनुसार  24:00 के पूर्व जब जया योग हो तो शिवरात्रि व्रत पूर्व विद्धा तिथि (13फरवरी) को ही करना चाहिए|
* निर्णय अमृत ग्रंथ में स्पष्ट है -सभी शिवरात्रि प्रदोष व्यापिनी ही ग्रहण की जावे इसमें माधव मत यह है जिस दिन प्रदोष हो और निशीथ   (13फरवरी)काल में चतुर्दशी हो उस दिन ही शिवरात्रि का व्रत एवं जागरण किया जाना चाहिए |
*नागर खंड में भी लेख है कि -त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी में शिवरात्रि व्रत किया जाना चाहिए
     13 फरवरी को मंगलवार होने से यह शिवरात्रि विशेष  पापनाशिनी एवं अरोग्यवर्धक है |
                     -चतुर्थी चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं|
-रात्रि काल में व्रत करने के कारण इसे शिवरात्रि नाम दिया गया | 
- प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को यह पर्व होता है   |  फागुन मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ करोडो सूर्य के समान प्रभा के शिवलिंग के रूप मे प्रकाट्य –“उद्भूत कोटिसूर्यसमप्रभ    |
इसलिए महाशिवरात्रि नाम दिया गया |
    -  प्रदोष और अर्द्धरात्रि की चतुर्दशी शिवरात्रि के लिए मानी गई है |”प्रदोष तिथियों   मय व्यापिनी
   -      अर्द्धरात्रि में पूजा क्यों    -   अर्ध रात्रि के समय शिवजी अपने गणों भूत प्रेत पिशाच शक्तियों के साथ भ्रमण करते हैं इसलिए उनका इस समय स्मरण करने से अनिष्ट निवारण होता है
          श्रेष्ठ शिवरात्रि योग  -    त्रयोदशी चतुर्दशी एवं अमावस्या यदि सूर्योदय से दूसरे दिन शुरू सूर्योदय तक तथा रविवार या मंगलवार के दिन हो |
-चतुर्थी चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं|
-रात्रि काल में व्रत करने के कारण इसे शिवरात्रि नाम दिया गया | 
  -      अर्द्धरात्रि में पूजा क्यों    -   अर्ध रात्रि के समय शिवजी अपने गणों भूत प्रेत पिशाच शक्तियों के साथ भ्रमण करते हैं इसलिए उनका इस समय स्मरण करने से अनिष्ट निवारण होता है
          श्रेष्ठ शिवरात्रि योग  -    त्रयोदशी चतुर्दशी एवं अमावस्या यदि सूर्योदय से दूसरे दिन शुरू सूर्योदय तक तथा रविवार या मंगलवार के दिन हो |
          *,माथे पर त्रिपुंड, गले मे रुद्राक्ष, उत्तर दिशाको मुह, जागरण एवम शिव अभिषेक , चार प्रहर रात्रि मे पूजा करना चाहिये |
JAP.HAVAN,रुद्र अभिषेक कर सुख सौभाग्य सम्पदा आरोग्य |

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