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दिवाली -लक्ष्मी पूजा,मन्त्र सरल - स्मरणीय बाते

दिवाली -लक्ष्मी पूजा -19.10.2017
-ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये देहि दापय स्वाहा॥धनधान्यसमृद्धिं मे ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
 ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
प्रदोष काल में पूजन मुहूर्त---
*प्रदोष काल में पूजन कार्य शुभ रहेगा।।
*पूजा के समय माँ लक्ष्मी जी का मुख नेऋत्य में , अपना मुंह ईशान कोण में रखें।।
विशेष लाभ हेतु--
*माता लक्ष्मी जी को केसरिया धागे में बनी  108 मखाने की माला अर्पित करें।। पूजन के इसका प्रसाद सभी परिजन ग्रहण करें।।
*लक्ष्मी जी को कांसी की थाली में बिठाएँ।।
*लक्ष्मी जी को केसर,कस्तूरी और गोरचन का तिलक लगाएं।।
*लक्ष्मी जी के दायें तरफ पीतल में देशी घी का दीपक जलाकर चीनी (शक्कर) डालें।।
*लक्ष्मी जी के बाएं तरफ Mahua oil ,आंवले के तेल का दीपक (मिटटी का) जलाएं।।
*माता लक्ष्मी को पिपरमेंट,गुलकंद और वर्क लगा पान (बिना चुना लगा) अर्पण ।।
इसके फलस्वरूप आपका यश,वैभव और समृद्धि दिनोदिन बढती जायेगी।।
*क्षीर सागर से उत्पन्न सुर तथा असुरों द्वारा नमस्कार की गई देवस्वरुपिणी लक्ष्मी माता, आपको बार-बार नमस्कार है। मेरे द्वारा दिए गए इस अर्घ्य को आप स्वीकार करें। 
*धन तेरस   -त्रयोदशी पर यह दीप मैं सूर्यपुत्र को अर्थात् यमदेवता को अर्पित करता हूँ। मृत्यु के पाश से वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें।
3-जोती हुई भूमि की मिट्टी, काँटे तथा पत्तों से युक्त, हे अपामार्ग, आप मेरे पाप दूर कीजिए। 
*नरक चतुर्दशी
आज चतुर्दशी के दिन नरक के अभिमानी देवता यम की प्रसन्नता के लिए तथा समस्त पापों के विनाश के लिए मैं चार बत्तियों वाला चौमुखा दीप अर्पित करता हूँ। 
मन्त्र-ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
हे धन और सम्पत्ति की देवी लक्ष्मी, आपको मेरा नमस्कार है। 
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये देहि दापय स्वाहा॥
धन धान्य समृद्धिं मे ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
 ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय -| मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः
6-दैत्य तथा दानवों से पूजित हे बलिराज, आपको नमस्कार है। हे इन्द्रशत्रो, हे अमराराते, विष्णु के सानिध्य को देने वाला हो।
हे कुरुनन्दन, बलि को उद्देश्य कर जो दान दिये जाते हैं वे अक्षय को प्राप्त होते हैं। मैंने इस प्रकार प्रदर्शित किया है।
गोवर्धन पूजा
पृथ्वी को धारण करनेवाले गोवर्धन! आप गोकुल के रक्षक हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने आपको भुजाओं में उठाया था। आप मुझे करोडों गौएं प्रदान करें। 
8-धेनुरूप में विद्यमान जो लोकपालों की साक्षात लक्ष्मी हैं तथा जो यज्ञ के लिए घी देती हैं, वह
-हे सर्व प्राणिमात्र को सुख देनेवाली मार्गपाली, आपको मेरा नमस्कार है। पुत्र, पत्नी इत्यादि द्वारा आपको पिरोया है। मेरे सर्वसुख के लिए पुन: एक बार  आपका आगमन हो
     - दीपावली पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करते समय नहाने के पानी में कच्चा दूध और गंगाजल मिलाएं। - स्नान के बाद अच्छे वस्त्र धारण करें और सूर्य को जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के साथ ही लाल पुष्प भी सूर्य को चढ़ाएं। दीपावली के शुभ दिन यह उपाय करने से गणेशजी के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है। -   
   -दीपावली पर सुबह-सुबह शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल अर्पित करें।
घर के मुख्य द्वार पर कुमकुम से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। द्वार के दोनों ओर कुमकुम से ही शुभ-लाभ लिखें। -
दीपावली के दिन श्वेतार्क गणेश की प्रतिमा घर में लाएंगे तो हमेशा बरकत बनी रहेगी। परिवार के सदस्यों को पैसों की कमी नहीं आएगी
- दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजन पूर्ण होने पर हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां धन रखा जाता है। -
क्लेशनहीं करे - दीपावली के पांचों दिनों में घर में शांति बनाए रखें। क्रोध,वाद विवाद नहीं करे |पत्नी एवं सभी महिलायें लक्ष्मी स्वरूप होती है|परम्परा हो  (परिवार की महिलाएं स्वीक्रति दे तो ही ) आगामी वर्ष आर्थिक रूप से केसा होगा,के लिए ताश ,कोडी चोपड का प्रयोग करते हैं तो अधिकतम २४मिनट या एक घटी ही कर सकते है |
 जोखिम न ले -सामान्यतः ज्योतिष के अनुसार पराजित.विवाद,व्यय ,हानि  होने वाली राशी –मीन,कर्क ,वृश्चिक,कन्या ,कुम्भ, मकर (द,च,थ,प.ठ.न.य.ह,ड,ग,स,र,त,ज ) रहेंगी |इन नाम वालो या राशी वालो को कोई जोखिम नहीं उठाना चाहिए |
दीपावली के दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।
गोमती चक्र- उपाय के अनुसार दीपावली के दिन 3 अभिमंत्रित गोमती चक्र, 3 पीली कौडिय़ां और 3 हल्दी गांठों को एक पीले कपड़ें में बांधें। इसके बाद इस पोटली को तिजोरी में रखें। धन लाभ के योग बनने लगेंगे।


दीपावली की रात को अशोक वृक्ष के नीचे घी का दीपक लगाएं एवं वृक्ष का पूजन करें। अगले दिन उस वृक्ष की जड़ लेकर आएं तथा तिजोरी में रखें। धन की आवक बनी रहेगी।
महालक्ष्मी के ऐसे चित्र का पूजन करें, जिसमें लक्ष्मी अपने स्वामी भगवान विष्णु के पैरों के पास बैठी हैं। ऐसे चित्र का पूजन करने पर महालक्ष्मी का ऐसा फोटो रखें, जिसमें लक्ष्मी बैठी हुईं दिखाई दे रही हैं। - महालक्ष्मी के पूजन में दक्षिणावर्ती शंख भी रखना चाहिए देवी बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं।
महालक्ष्मी के पूजन में गोमती चक्र भी रखना चाहिए। गोमती चक्र भी घर में धन संबंधी लाभ दिलाता है।
-पूजा में लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और श्रीयंत्र रखना चाहिए।
यदि स्फटिक का श्रीयंत्र हो तो सर्वश्रेष्ठ रहता है। जल में केसर भी डालें । लक्ष्मी पूजन में सुपारी रखें।
सुपारी पर लाल धागा लपेटकर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि पूजन सामग्री से पूजा करें और पूजन के बाद इस सुपारी को तिजोरी में रखें।

एकाक्षी नारियल, दक्षिणावर्त शंख, हत्थाजोड़ी की भी पूजा करनी चाहिए। - शंख महालक्ष्मी को अतिप्रिय है। इसकी पूजा करने पर घर में सुख-शांति का वास होता है।
- पांच गोमती चक्र को लाल वस्त्र में बांधकर घर की चौखट के ऊपर बांधने से धन संबंधी कामों में लाभ मिल सकता है। -
 दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है। मां लक्ष्मी घर में आती हैं।
 - दीपावली पर तेल का दीपक जलाएं और दीपक में एक लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। किसी हनुमान मंदिर जाकर ऐसा दीपक भी लगा सकते हैं। -
 रात को सोने से पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं और घर लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।
- दीपावली के दिन अशोक के पेड़ के पत्तों से वंदनद्वार बनाएं और इसे मुख्य दरवाजे पर लगाएं। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी। - कभी भी किसी भी बुजुर्ग इंसान का अपमान नहीं करना चाहिए और दीपावली के दिन विशेष रूप से उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद ग्रहण करें। ऐसा करने पर बड़ी-बड़ी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। -
महालक्ष्मी के पूजन में पीली कौड़ियां भी रखनी चाहिए। ये कौडिय़ा पूजन में रखने से महालक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती हैं। आपकी धन संबंधी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी। -
 दीपावली की रात लक्ष्मी पूजा करते समय एक थोड़ा बड़ा घी का दीपक जलाएं, जिसमें नौ बत्तियां लगाई जा सके। सभी 9 बत्तियां जलाएं और लक्ष्मी पूजा करें। -
दीपावली की रात में लक्ष्मी पूजन के साथ ही अपनी दुकान, कम्प्यूटर आदि ऐसी चीजों की भी पूजा करें, जो आपकी कमाई का साधन हैं। -
दीपावली की रात में हल्दी की 11 गांठ लें। इन्हें पीले कपड़े में बांध लें घर के पूजन कक्ष में लक्ष्मी-गणेश के फोटो के सामने घी का दीपक जलाएं। चंदन-पुष्प आदि चढ़ाएं।
इसके बाद यहां दिए गए मंत्र का जप 11 माला करें। मंत्र- ''ऊँ श्रीगणेशाय नम: का जप करें। इसके बाद पीले कपड़े में बंधी हुई हल्दी की गांठों को निकालें और धन के स्थान में रख दें।
- दीपावली की रात में लक्ष्मी और कुबेर देव का पूजन करें और यहां दिए एक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें।
 मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा। -
 दीपावली पर लक्ष्मी का पूजन करने के लिए स्थिर लग्न श्रेष्ठ माना जाता है। इस लग्न में पूजा करने पर महालक्ष्मी स्थाई रूप से घर में निवास करती हैं। -
*दीपावाली पर श्रीसूक्त एवं कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। रामरक्षा स्तोत्र या हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ भी किया जा सकता है। -
 *किसी शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें सभी चावल पूर्ण होने चाहिए।
* अपने घर के आसपास किसी पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं। यह उपाय दीपावली की रात में किया जाना चाहिए। ध्यान रखें दीपक लगाकर चुपचाप अपने घर लौट आए, पीछे पलटकर न देखें। - यदि संभव हो सके तो दीपावली की देर रात तक घर का मुख्य दरवाजा खुला रखें। ऐसा माना जाता है कि दिवाली की रात में महालक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों के घर जाती हैं। -

*-महालक्ष्मी को तुलसी के पत्ते भी चढ़ाने चाहिए लक्ष्मी पूजा में दीपक दाएं, अगरबत्ती बाएं, पुष्य सामने व नैवेद्य थाली में दक्षिण में रखना श्रेष्ठ रहता है। -
 लक्ष्मी पूजन के समय एक नारियल लें और उस पर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि अर्पित करें और उसे भी पूजा में रखें। -
दीपावली के दिन झाड़ू अवश्य खरीदना चाहिए। पूरे घर की सफाई नई झाड़ू से करें। जब झाड़ू का काम न हो तो उसे छिपाकर रखना चाहिए। - इस दिन अमावस्या रहती है और इस तिथि पर पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने पर शनि के दोष और कालसर्प दोष समाप्त हो जाते हैं। -
- जो लोग धन का संचय बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें तिजोरी में लाल कपड़ा बिछाना चाहिए। इसके प्रभाव से धन का संचय बढ़ता है।
- महालक्ष्मी के मंत्र: ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद्‌ श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: इस मंत्र का जप करें। मंत्र जप के लिए कमल के गट्टे की माला का उपयोग करें। दीपावली पर कम से कम 108 बार इस मंत्र का जप करें। -
 दीपावली पर श्रीयंत्र के सामने अगरबत्ती व दीपक लगाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें। फिर श्रीयंत्र का पूजन करें और कमलगट्टे की माला से महालक्ष्मी के
 मंत्र   : ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद्‌ श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम : का जप करें।
 किसी भी मंदिर में झाड़ू का दान करें। यदि आपके घर के आसपास कहीं महालक्ष्मी का मंदिर हो तो वहां गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें। -
महालक्ष्मी के चरण चिह्न से आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो सकती है और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
- घर में स्थित तुलसी के पौधे के पास दीपावली की रात में दीपक जलाएं। तुलसी को वस्त्र अर्पित करें। -स्फटिक से बना श्रीयंत्र दीपावली के दिन बाजार से खरीदकर लाएं।
 श्रीयंत्र को लाल वस्त्र में लपेटकर तिजोरी में रखें। कभी भी पैसों की कमी नहीं होगी।
॥इति श्रीअष्टलक्ष्मीनामावलिः सम्पूर्णा॥
ॐ श्रियै नमः।
Om Shriyai Namah

2.
ॐ लक्ष्म्यै वरदायै नमः।
3.
ॐ विष्णुपत्न्यै नमः।
4.
ॐ क्षीरसागर वासिन्यै नमः।
5.
ॐ हिरण्यरूपायै नमः।
6.
ॐ सुवर्णमालिन्यै नमः।
7.
ॐ भक्तिमुक्ति दात्र्यै नमः।
8.
ॐ पद्मवासिन्यै नमः।
9.
ॐ यज्ञप्रियायै नमः।

10.
ॐ मुक्तालंकारिण्यै नमः।

11.
ॐ सूर्यायै नमः।

12.
ॐ चन्द्राननायै नमः।

13.
ॐ विश्वमूर्त्यै नमः।

14.
ॐ मुक्त्यै नमः।

15.
ॐ मुक्तिदात्र्यै नमः।

16.
ॐ श्रद्धये नमः।

17.
ॐ समृद्धये नमः।

18.
ॐ तुष्टयै नमः।

19.
ॐ पुष्टयै नमः।

20.
ॐ धनेश्वर्यै नमः।

21.
ॐ श्रद्धायै नमः।

22.
ॐ भोगिन्यै नमः।

23.
ॐ भोगदायै नमः।

24.
ॐ धात्र्यै नमः।


इति श्रीलक्ष्मीचतुर्विंशतिनामावलिः सम्पूर्णा॥
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ॐ कुबेराय नमः।
ॐ कुबेराय नम  

ॐ धनदाय नमः।
3.
ॐ श्रीमाते नमः।
4.
ॐ यक्षेशाय नमः।
5.
ॐ गुह्य​केश्वराय नमः।
6.
ॐ निधीशाय नमः।
7.
ॐ शङ्करसखाय नमः।
8.
ॐ महालक्ष्मीनिवासभुवये नमः।
9.
ॐ महापद्मनिधीशाय नमः।
10.
ॐ पूर्णाय नमः।
11.
ॐ पद्मनिधीश्वराय नमः।
12.
ॐ शङ्ख्यनिधिनाथाय नमः।
13.
ॐ मकराख्यनिधिप्रियाय नमः।
14.
ॐ सुखसम्पतिनिधीशाय नमः।
15.
ॐ मुकुन्दनिधिनायकाय नमः।
16.
ॐ कुन्दाक्यनिधिनाथाय नमः।
17.
ॐ नीलनित्याधिपाय नमः।
18.
ॐ महते नमः।
19.
ॐ वरन्नित्याधिपाय नमः।
20.
ॐ पूज्याय नमः।
21.
ॐ लक्ष्मिसाम्राज्यदायकाय नमः।
22.
ॐ इलपिलापतये नमः।
23.
ॐ कोशाधीशाय नमः।
24.
ॐ कुलोचिताय नमः।
25.
ॐ अश्वारूढाय नमः।
26.
ॐ विश्ववन्द्याय नमः।
27.
ॐ विशेषज्ञानाय नमः।
28.
ॐ विशारदाय नमः।
29.
ॐ नलकूबरनाथाय नमः।
30.
ॐ मणिग्रीवपित्रे नमः।
31.
ॐ गूढमन्त्राय नमः।
32.
ॐ वैश्रवणाय नमः।
33.
ॐ चित्रलेखामनःप्रियाय नमः।
34.
ॐ एकपिनाकाय नमः।
35.
ॐ अलकाधीशाय नमः।
36.
ॐ पौलस्त्याय नमः।
37.
ॐ नरवाहनाय नमः।
38.
ॐ कैलासशैलनिलयाय नमः।
39.
ॐ राज्यदाय नमः।
40.
ॐ रावणाग्रजाय नमः।
41.
ॐ चित्रचैत्ररथाय नमः।
42.
ॐ उद्यानविहाराय नमः।
43.
ॐ विहरसुकुथूहलाय नमः।
44.
ॐ महोत्सहाय नमः।
45.
ॐ महाप्राज्ञाय नमः।
46.
ॐ सदापुष्पक वाहनाय नमः।
47.
ॐ सार्वभौमाय नमः।
48.
ॐ अङ्गनाथाय नमः।
49.
ॐ सोमाय नमः।
50.
ॐ सौम्यादिकेश्वराय नमः।
51.
ॐ पुण्यात्मने नमः।
52.
ॐ पुरूहुतश्रियै नमः।
53.
ॐ सर्वपुण्यजनेश्वराय नमः।
54.
ॐ नित्यकीर्तये नमः।
55.
ॐ निधिवेत्रे नमः।
56.
ॐ लंकाप्राक्तन नायकाय नमः।
57.
ॐ यक्षिनीवृताय नमः।
58.
ॐ यक्षाय नमः।
59.
ॐ परमशान्तात्मने नमः।
60.
ॐ यक्षराजे नमः।
61.
ॐ यक्षिणि हृदयाय नमः।
62.
ॐ किन्नरेश्वराय नमः।
63.
ॐ किंपुरुशनाथाय नमः।
64.
ॐ नाथाय नमः।
65.
ॐ खट्कायुधाय नमः।
66.
ॐ वशिने नमः।
67.
ॐ ईशानदक्ष पार्स्वस्थाय नमः।
68.
ॐ वायुवाय समास्रयाय नमः।
69.
ॐ धर्ममार्गैस्निरताय नमः।
70.
ॐ धर्मसम्मुख संस्थिताय नमः।
71.
ॐ नित्येश्वराय नमः।
72.
ॐ धनाधयक्षाय नमः।
73.
ॐ अष्टलक्ष्म्याश्रितलयाय नमः।
74.
ॐ मनुष्य धर्मण्यै नमः।
75.
ॐ सकृताय नमः।
76.
ॐ कोष लक्ष्मी समाश्रिताय नमः।
77.
ॐ धनलक्ष्मी नित्यवासाय नमः।
78.
ॐ धान्यलक्ष्मीनिवास भुवये नमः।
79.
ॐ अश्तलक्ष्मी सदवासाय नमः।
80.
ॐ गजलक्ष्मी स्थिरालयाय नमः।
81.
ॐ राज्यलक्ष्मीजन्मगेहाय नमः।
82.
ॐ धैर्यलक्ष्मी-कृपाश्रयाय नमः।
83.
ॐ अखण्डैश्वर्य संयुक्ताय नमः।
84.
ॐ नित्यानन्दाय नमः।
85.
ॐ सुखाश्रयाय नमः।
86.
ॐ नित्यतृप्ताय नमः।
87.
ॐ निधित्तरै नमः।
88.
ॐ निराशाय नमः।
89.
ॐ निरुपद्रवाय नमः।
90.
ॐ नित्यकामाय नमः।
91.
ॐ निराकाङ्क्षाय नमः।
92.
ॐ निरूपाधिकवासभुवये नमः।
93.
ॐ शान्ताय नमः।
94.
ॐ सर्वगुणोपेताय नमः।
95.
ॐ सर्वज्ञाय नमः।
96.
ॐ सर्वसम्मताय नमः।
97.
ॐ सर्वाणिकरुणापात्राय नमः।
98.
ॐ सदानन्दक्रिपालयाय नमः।
99.
ॐ गन्धर्वकुलसंसेव्याय नमः।
100.
ॐ सौगन्धिककुसुमप्रियाय नमः।
101.
ॐ स्वर्णनगरीवासाय नमः।
102.
ॐ निधिपीठ समस्थायै नमः।
103.
ॐ महामेरुत्तरस्थायै नमः।
104.
ॐ महर्षिगणसंस्तुताय नमः।
105.
ॐ तुष्टाय नमः।
106.
ॐ शूर्पणकज्येष्ठाय नमः।
107.
ॐ शिवपूजारताय नमः।
108.
ॐ अनघाय नमः।
109.
ॐ राजयोगसमायुक्ताय नमः।
110.
ॐ राजसेखरपूज्याय नमः।
111.
ॐ राजराजाय नमः।
19.10.2017
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*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती है | अवि

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -