दिवाली
-लक्ष्मी पूजा -19.10.2017
-ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
ॐ यक्षाय कुबेराय
वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये देहि दापय स्वाहा॥धनधान्यसमृद्धिं मे ॐ
श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
ॐ ह्रीं श्रीं
क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
प्रदोष काल में पूजन
मुहूर्त---*प्रदोष काल में पूजन कार्य शुभ रहेगा।।
*पूजा के समय माँ लक्ष्मी जी का मुख नेऋत्य में , अपना मुंह ईशान कोण में रखें।।
विशेष लाभ हेतु--
*माता लक्ष्मी जी को केसरिया धागे में बनी 108 मखाने की माला अर्पित करें।। पूजन के इसका प्रसाद सभी परिजन ग्रहण करें।।
*लक्ष्मी जी को कांसी की थाली में बिठाएँ।।
*लक्ष्मी जी को केसर,कस्तूरी और गोरचन का तिलक लगाएं।।
*लक्ष्मी जी के दायें तरफ पीतल में देशी घी का दीपक जलाकर चीनी (शक्कर) डालें।।
*लक्ष्मी जी के बाएं तरफ Mahua oil ,आंवले के तेल का दीपक (मिटटी का) जलाएं।।
*माता लक्ष्मी को पिपरमेंट,गुलकंद और वर्क लगा पान (बिना चुना लगा) अर्पण ।।
इसके फलस्वरूप आपका यश,वैभव और समृद्धि दिनोदिन बढती जायेगी।।
*क्षीर सागर से उत्पन्न सुर तथा असुरों द्वारा नमस्कार की गई देवस्वरुपिणी लक्ष्मी माता, आपको बार-बार नमस्कार है। मेरे द्वारा दिए गए इस अर्घ्य को आप स्वीकार करें।
*धन तेरस -त्रयोदशी पर यह दीप मैं सूर्यपुत्र को अर्थात् यमदेवता को अर्पित करता हूँ। मृत्यु के पाश से वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें।
3-जोती हुई भूमि की
मिट्टी, काँटे तथा पत्तों से युक्त, हे अपामार्ग, आप मेरे पाप दूर
कीजिए।
*नरक चतुर्दशी –
आज चतुर्दशी के दिन नरक के अभिमानी देवता यम की प्रसन्नता के लिए तथा समस्त पापों के विनाश के लिए मैं चार बत्तियों वाला चौमुखा दीप अर्पित करता हूँ।
मन्त्र-ॐ ह्रीं श्रीं
लक्ष्मीभ्यो नमः॥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं
ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
हे धन और सम्पत्ति की देवी लक्ष्मी, आपको मेरा नमस्कार
है।
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये देहि दापय स्वाहा॥
धन धान्य समृद्धिं मे ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
धन धान्य समृद्धिं मे ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
ॐ ह्रीं श्रीं
क्रीं श्रीं कुबेराय -| मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः
6-दैत्य तथा दानवों से पूजित हे बलिराज, आपको नमस्कार है।
हे इन्द्रशत्रो, हे अमराराते, विष्णु के सानिध्य को देने वाला हो।
हे कुरुनन्दन, बलि को उद्देश्य कर जो दान दिये जाते हैं वे अक्षय को प्राप्त होते हैं। मैंने इस प्रकार प्रदर्शित किया है।
हे कुरुनन्दन, बलि को उद्देश्य कर जो दान दिये जाते हैं वे अक्षय को प्राप्त होते हैं। मैंने इस प्रकार प्रदर्शित किया है।
गोवर्धन पूजा –
पृथ्वी को धारण करनेवाले गोवर्धन! आप
गोकुल के रक्षक हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने
आपको भुजाओं में उठाया था। आप मुझे करोडों गौएं प्रदान करें।
8-धेनुरूप में विद्यमान जो लोकपालों की साक्षात लक्ष्मी हैं तथा जो यज्ञ
के लिए घी देती हैं, वह
-हे सर्व प्राणिमात्र को सुख देनेवाली मार्गपाली, आपको मेरा नमस्कार है। पुत्र, पत्नी
इत्यादि द्वारा आपको पिरोया है। मेरे सर्वसुख के लिए पुन: एक बार
आपका आगमन हो।
- दीपावली पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करते समय नहाने के पानी में कच्चा दूध और गंगाजल मिलाएं। - स्नान के बाद अच्छे वस्त्र धारण करें और सूर्य
को जल अर्पित करें। जल अर्पित
करने के साथ ही लाल पुष्प भी सूर्य को चढ़ाएं। दीपावली के शुभ दिन यह उपाय करने से गणेशजी के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त
होती है। -
-दीपावली पर सुबह-सुबह शिवलिंग पर तांबे
के लोटे से जल अर्पित करें।
घर के मुख्य द्वार पर कुमकुम
से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। द्वार के दोनों ओर कुमकुम से ही
शुभ-लाभ लिखें।
-
दीपावली के दिन श्वेतार्क गणेश की प्रतिमा घर में लाएंगे
तो हमेशा बरकत बनी
रहेगी। परिवार के सदस्यों को पैसों की कमी नहीं आएगी।
- दीपावली
पर लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजन
पूर्ण होने पर हल्दी
की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां
धन रखा जाता है। -
क्लेशनहीं करे - दीपावली
के पांचों दिनों में घर में शांति बनाए रखें। क्रोध,वाद विवाद नहीं करे |पत्नी एवं
सभी महिलायें लक्ष्मी स्वरूप होती है|परम्परा हो (परिवार की महिलाएं स्वीक्रति दे तो ही ) आगामी वर्ष आर्थिक रूप से केसा होगा,के लिए ताश ,कोडी चोपड का
प्रयोग करते हैं तो अधिकतम २४मिनट या एक घटी ही कर सकते है |
जोखिम न
ले -सामान्यतः ज्योतिष के अनुसार पराजित.विवाद,व्यय ,हानि होने वाली राशी –मीन,कर्क ,वृश्चिक,कन्या
,कुम्भ, मकर (द,च,थ,प.ठ.न.य.ह,ड,ग,स,र,त,ज ) रहेंगी |इन नाम वालो या राशी वालो को
कोई जोखिम नहीं उठाना चाहिए |
दीपावली के दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें।
बरकत बनी रहेगी।
गोमती चक्र- उपाय
के अनुसार दीपावली के दिन 3 अभिमंत्रित
गोमती चक्र, 3 पीली
कौडिय़ां और 3 हल्दी गांठों को एक पीले कपड़ें में बांधें। इसके
बाद इस पोटली को तिजोरी
में रखें। धन लाभ के योग बनने लगेंगे।
दीपावली की रात को अशोक वृक्ष के नीचे घी का दीपक लगाएं एवं वृक्ष का पूजन करें। अगले दिन उस वृक्ष की जड़ लेकर आएं तथा तिजोरी में रखें। धन
की आवक बनी रहेगी।
महालक्ष्मी के ऐसे
चित्र का पूजन करें, जिसमें लक्ष्मी अपने स्वामी भगवान विष्णु के पैरों के पास बैठी हैं। ऐसे चित्र का पूजन करने पर महालक्ष्मी का ऐसा फोटो रखें, जिसमें लक्ष्मी बैठी हुईं दिखाई दे रही हैं। - महालक्ष्मी के पूजन में दक्षिणावर्ती शंख भी
रखना चाहिए देवी बहुत जल्द
प्रसन्न होती हैं।
महालक्ष्मी के पूजन में गोमती चक्र भी रखना
चाहिए। गोमती चक्र भी घर में धन
संबंधी लाभ दिलाता है।
-पूजा में लक्ष्मी
यंत्र, कुबेर यंत्र और श्रीयंत्र रखना चाहिए।
यदि स्फटिक का श्रीयंत्र हो तो सर्वश्रेष्ठ रहता है। जल में केसर भी डालें । लक्ष्मी पूजन में सुपारी रखें।
सुपारी पर लाल धागा लपेटकर अक्षत, कुमकुम, पुष्प
आदि पूजन सामग्री से पूजा करें और पूजन के बाद इस सुपारी को तिजोरी में रखें।
एकाक्षी नारियल, दक्षिणावर्त शंख, हत्थाजोड़ी की भी पूजा करनी
चाहिए। - शंख महालक्ष्मी को अतिप्रिय है।
इसकी पूजा करने पर घर में सुख-शांति का वास होता है।
- पांच गोमती चक्र को लाल वस्त्र में बांधकर घर की चौखट के
ऊपर बांधने से धन संबंधी कामों में लाभ मिल सकता है। -
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों
में शंख और घंटी बजाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है।
मां लक्ष्मी
घर में आती हैं।
- दीपावली
पर तेल का दीपक जलाएं और दीपक में एक लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। किसी हनुमान मंदिर जाकर ऐसा दीपक भी
लगा सकते हैं। -
रात को सोने से
पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं और घर
लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।
- दीपावली
के दिन अशोक के पेड़ के पत्तों से वंदनद्वार बनाएं और इसे
मुख्य दरवाजे
पर लगाएं। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी। - कभी भी किसी भी बुजुर्ग इंसान का अपमान नहीं करना
चाहिए और दीपावली के दिन
विशेष रूप से उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद ग्रहण करें। ऐसा करने पर बड़ी-बड़ी
परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। -
महालक्ष्मी के पूजन में
पीली कौड़ियां भी रखनी चाहिए। ये कौडिय़ा पूजन में रखने से
महालक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती हैं। आपकी धन संबंधी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी। -
दीपावली की रात
लक्ष्मी पूजा करते समय एक थोड़ा बड़ा
घी का दीपक जलाएं,
जिसमें नौ बत्तियां लगाई जा सके। सभी
9 बत्तियां जलाएं और लक्ष्मी पूजा करें। -
दीपावली की रात में लक्ष्मी पूजन के साथ ही अपनी दुकान,
कम्प्यूटर आदि ऐसी चीजों की भी पूजा करें, जो आपकी कमाई का साधन हैं। -
दीपावली की रात में हल्दी की 11 गांठ लें। इन्हें पीले कपड़े में बांध लें। घर के पूजन कक्ष
में लक्ष्मी-गणेश के फोटो के
सामने घी का दीपक जलाएं। चंदन-पुष्प आदि चढ़ाएं।
इसके बाद यहां दिए गए मंत्र का जप 11 माला करें। मंत्र-
''ऊँ श्रीगणेशाय नम: का जप करें। इसके बाद पीले कपड़े में बंधी हुई हल्दी की गांठों को निकालें और धन के स्थान में रख दें।
- दीपावली की रात में लक्ष्मी और कुबेर देव का पूजन करें और
यहां दिए एक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें।
मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा।
-
दीपावली पर
लक्ष्मी का पूजन करने के लिए स्थिर लग्न श्रेष्ठ माना जाता है। इस लग्न में
पूजा करने पर महालक्ष्मी स्थाई रूप से घर में निवास करती हैं। -
*दीपावाली पर श्रीसूक्त एवं कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। रामरक्षा स्तोत्र या हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ भी किया जा सकता है। -
*किसी शिव मंदिर
जाएं और वहां शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें सभी चावल
पूर्ण होने चाहिए।
* अपने घर के आसपास
किसी पीपल के पेड़ के नीचे तेल
का दीपक जलाएं। यह उपाय दीपावली की रात
में किया जाना चाहिए। ध्यान रखें दीपक लगाकर चुपचाप अपने घर लौट आए, पीछे पलटकर न
देखें। - यदि संभव हो सके तो दीपावली की देर रात तक घर का मुख्य दरवाजा खुला रखें। ऐसा माना जाता है कि दिवाली की रात में महालक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों के घर जाती हैं। -
*-महालक्ष्मी को तुलसी के पत्ते भी चढ़ाने चाहिए। लक्ष्मी पूजा में
दीपक दाएं, अगरबत्ती बाएं, पुष्य सामने व नैवेद्य थाली में दक्षिण
में रखना श्रेष्ठ रहता है। -
लक्ष्मी पूजन के
समय एक नारियल लें और उस पर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि अर्पित करें और
उसे भी पूजा में रखें। -
दीपावली के दिन झाड़ू अवश्य खरीदना चाहिए। पूरे घर की
सफाई नई झाड़ू से करें। जब झाड़ू का
काम न हो तो उसे छिपाकर रखना चाहिए। - इस दिन अमावस्या रहती है और इस तिथि पर
पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने
पर शनि के दोष और कालसर्प दोष समाप्त हो जाते हैं। -
- जो लोग धन का संचय बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें तिजोरी में लाल कपड़ा
बिछाना चाहिए। इसके प्रभाव से
धन का संचय बढ़ता है।
- महालक्ष्मी के मंत्र: ऊँ श्रीं ह्रीं
श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं
ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: इस मंत्र का जप
करें। मंत्र जप के लिए कमल के गट्टे की माला का उपयोग करें। दीपावली पर कम से
कम 108 बार इस मंत्र का जप करें। -
दीपावली पर
श्रीयंत्र के सामने अगरबत्ती व दीपक लगाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के
आसन पर बैठें। फिर श्रीयंत्र का पूजन करें और कमलगट्टे की माला से
महालक्ष्मी के
मंत्र : ऊँ श्रीं
ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद्
श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम : का जप करें।
किसी भी मंदिर में झाड़ू का दान करें। यदि आपके घर के आसपास
कहीं महालक्ष्मी का मंदिर हो तो वहां गुलाब की सुगंध वाली
अगरबत्ती का दान करें। -
महालक्ष्मी के चरण चिह्न से आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा
नष्ट हो सकती है और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
- घर में स्थित तुलसी के पौधे के पास दीपावली की रात में दीपक जलाएं। तुलसी को वस्त्र अर्पित करें। -स्फटिक से बना श्रीयंत्र दीपावली के दिन बाजार से खरीदकर
लाएं।
श्रीयंत्र को लाल वस्त्र में लपेटकर तिजोरी में रखें। कभी भी पैसों की कमी नहीं होगी।
॥इति
श्रीअष्टलक्ष्मीनामावलिः सम्पूर्णा॥
ॐ
श्रियै नमः।
|
Om Shriyai Namah।
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2.
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ॐ लक्ष्म्यै वरदायै नमः।
|
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3.
|
ॐ विष्णुपत्न्यै नमः।
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4.
|
ॐ क्षीरसागर वासिन्यै नमः।
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|
5.
|
ॐ हिरण्यरूपायै नमः।
|
|
6.
|
ॐ सुवर्णमालिन्यै नमः।
|
|
7.
|
ॐ भक्तिमुक्ति दात्र्यै
नमः।
|
|
8.
|
ॐ पद्मवासिन्यै नमः।
|
|
9.
|
ॐ यज्ञप्रियायै नमः।
|
|
10.
|
ॐ मुक्तालंकारिण्यै नमः।
|
|
11.
|
ॐ सूर्यायै नमः।
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|
12.
|
ॐ चन्द्राननायै नमः।
|
|
13.
|
ॐ विश्वमूर्त्यै नमः।
|
|
14.
|
ॐ मुक्त्यै नमः।
|
|
15.
|
ॐ मुक्तिदात्र्यै नमः।
|
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16.
|
ॐ श्रद्धये नमः।
|
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17.
|
ॐ समृद्धये नमः।
|
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18.
|
ॐ तुष्टयै नमः।
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19.
|
ॐ पुष्टयै नमः।
|
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20.
|
ॐ धनेश्वर्यै नमः।
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21.
|
ॐ श्रद्धायै नमः।
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22.
|
ॐ भोगिन्यै नमः।
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23.
|
ॐ भोगदायै नमः।
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24.
|
ॐ धात्र्यै नमः।
|
॥इति श्रीलक्ष्मीचतुर्विंशतिनामावलिः सम्पूर्णा॥
ॐ
कुबेराय नमः।
|
ॐ कुबेराय नम
|
|
ॐ धनदाय नमः।
|
||
3.
|
ॐ श्रीमाते नमः।
|
|
4.
|
ॐ यक्षेशाय नमः।
|
|
5.
|
ॐ गुह्यकेश्वराय नमः।
|
|
6.
|
ॐ निधीशाय नमः।
|
|
7.
|
ॐ शङ्करसखाय नमः।
|
|
8.
|
ॐ महालक्ष्मीनिवासभुवये
नमः।
|
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9.
|
ॐ महापद्मनिधीशाय नमः।
|
|
10.
|
ॐ पूर्णाय नमः।
|
|
11.
|
ॐ पद्मनिधीश्वराय नमः।
|
|
12.
|
ॐ शङ्ख्यनिधिनाथाय नमः।
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13.
|
ॐ मकराख्यनिधिप्रियाय नमः।
|
|
14.
|
ॐ सुखसम्पतिनिधीशाय नमः।
|
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15.
|
ॐ मुकुन्दनिधिनायकाय नमः।
|
|
16.
|
ॐ कुन्दाक्यनिधिनाथाय नमः।
|
|
17.
|
ॐ नीलनित्याधिपाय नमः।
|
|
18.
|
ॐ महते नमः।
|
|
19.
|
ॐ वरन्नित्याधिपाय नमः।
|
|
20.
|
ॐ पूज्याय नमः।
|
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21.
|
ॐ लक्ष्मिसाम्राज्यदायकाय
नमः।
|
|
22.
|
ॐ इलपिलापतये नमः।
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23.
|
ॐ कोशाधीशाय नमः।
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24.
|
ॐ कुलोचिताय नमः।
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25.
|
ॐ अश्वारूढाय नमः।
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|
26.
|
ॐ विश्ववन्द्याय नमः।
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|
27.
|
ॐ विशेषज्ञानाय नमः।
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|
28.
|
ॐ विशारदाय नमः।
|
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29.
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ॐ नलकूबरनाथाय नमः।
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|
30.
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ॐ मणिग्रीवपित्रे नमः।
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31.
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ॐ गूढमन्त्राय नमः।
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32.
|
ॐ वैश्रवणाय नमः।
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33.
|
ॐ चित्रलेखामनःप्रियाय नमः।
|
|
34.
|
ॐ एकपिनाकाय नमः।
|
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35.
|
ॐ अलकाधीशाय नमः।
|
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36.
|
ॐ पौलस्त्याय नमः।
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37.
|
ॐ नरवाहनाय नमः।
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|
38.
|
ॐ कैलासशैलनिलयाय नमः।
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|
39.
|
ॐ राज्यदाय नमः।
|
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40.
|
ॐ रावणाग्रजाय नमः।
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41.
|
ॐ चित्रचैत्ररथाय नमः।
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|
42.
|
ॐ उद्यानविहाराय नमः।
|
|
43.
|
ॐ विहरसुकुथूहलाय नमः।
|
|
44.
|
ॐ महोत्सहाय नमः।
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|
45.
|
ॐ महाप्राज्ञाय नमः।
|
|
46.
|
ॐ सदापुष्पक वाहनाय नमः।
|
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47.
|
ॐ सार्वभौमाय नमः।
|
|
48.
|
ॐ अङ्गनाथाय नमः।
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|
49.
|
ॐ सोमाय नमः।
|
|
50.
|
ॐ सौम्यादिकेश्वराय नमः।
|
|
51.
|
ॐ पुण्यात्मने नमः।
|
|
52.
|
ॐ पुरूहुतश्रियै नमः।
|
|
53.
|
ॐ सर्वपुण्यजनेश्वराय नमः।
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|
54.
|
ॐ नित्यकीर्तये नमः।
|
|
55.
|
ॐ निधिवेत्रे नमः।
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|
56.
|
ॐ लंकाप्राक्तन नायकाय नमः।
|
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57.
|
ॐ यक्षिनीवृताय नमः।
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|
58.
|
ॐ यक्षाय नमः।
|
|
59.
|
ॐ परमशान्तात्मने नमः।
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|
60.
|
ॐ यक्षराजे नमः।
|
|
61.
|
ॐ यक्षिणि हृदयाय नमः।
|
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62.
|
ॐ किन्नरेश्वराय नमः।
|
|
63.
|
ॐ किंपुरुशनाथाय नमः।
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|
64.
|
ॐ नाथाय नमः।
|
|
65.
|
ॐ खट्कायुधाय नमः।
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|
66.
|
ॐ वशिने नमः।
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|
67.
|
ॐ ईशानदक्ष पार्स्वस्थाय
नमः।
|
|
68.
|
ॐ वायुवाय समास्रयाय नमः।
|
|
69.
|
ॐ धर्ममार्गैस्निरताय नमः।
|
|
70.
|
ॐ धर्मसम्मुख संस्थिताय
नमः।
|
|
71.
|
ॐ नित्येश्वराय नमः।
|
|
72.
|
ॐ धनाधयक्षाय नमः।
|
|
73.
|
ॐ अष्टलक्ष्म्याश्रितलयाय
नमः।
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|
74.
|
ॐ मनुष्य धर्मण्यै नमः।
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|
75.
|
ॐ सकृताय नमः।
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76.
|
ॐ कोष लक्ष्मी समाश्रिताय
नमः।
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|
77.
|
ॐ धनलक्ष्मी नित्यवासाय
नमः।
|
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78.
|
ॐ धान्यलक्ष्मीनिवास भुवये
नमः।
|
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79.
|
ॐ अश्तलक्ष्मी सदवासाय नमः।
|
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80.
|
ॐ गजलक्ष्मी स्थिरालयाय
नमः।
|
|
81.
|
ॐ राज्यलक्ष्मीजन्मगेहाय
नमः।
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82.
|
ॐ धैर्यलक्ष्मी-कृपाश्रयाय
नमः।
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83.
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ॐ अखण्डैश्वर्य संयुक्ताय
नमः।
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84.
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ॐ नित्यानन्दाय नमः।
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85.
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ॐ सुखाश्रयाय नमः।
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86.
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ॐ नित्यतृप्ताय नमः।
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87.
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ॐ निधित्तरै नमः।
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88.
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ॐ निराशाय नमः।
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89.
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ॐ निरुपद्रवाय नमः।
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90.
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ॐ नित्यकामाय नमः।
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91.
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ॐ निराकाङ्क्षाय नमः।
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92.
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ॐ निरूपाधिकवासभुवये नमः।
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93.
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ॐ शान्ताय नमः।
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94.
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ॐ सर्वगुणोपेताय नमः।
|
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95.
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ॐ सर्वज्ञाय नमः।
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96.
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ॐ सर्वसम्मताय नमः।
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97.
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ॐ सर्वाणिकरुणापात्राय नमः।
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98.
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ॐ सदानन्दक्रिपालयाय नमः।
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99.
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ॐ गन्धर्वकुलसंसेव्याय नमः।
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100.
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ॐ सौगन्धिककुसुमप्रियाय
नमः।
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101.
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ॐ स्वर्णनगरीवासाय नमः।
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102.
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ॐ निधिपीठ समस्थायै नमः।
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103.
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ॐ महामेरुत्तरस्थायै नमः।
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104.
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ॐ महर्षिगणसंस्तुताय नमः।
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105.
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ॐ तुष्टाय नमः।
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106.
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ॐ शूर्पणकज्येष्ठाय नमः।
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107.
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ॐ शिवपूजारताय नमः।
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108.
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ॐ अनघाय नमः।
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109.
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ॐ राजयोगसमायुक्ताय नमः।
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110.
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ॐ राजसेखरपूज्याय नमः।
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111.
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ॐ राजराजाय नमः। 19.10.2017
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