वर्ष में चार नवरात्र पर्व, युग - महत्व के अनुसार-
1-सत्य युग-चैत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्र;
-रम्भ कल्प में-उग्र चंडा देवी 18 भुजा, देवी.
(उग्रचंडा,प्रचंड़ा,चंडोग्रा,चंड नायिका,चंडा,चंडवती,चामुण्डा,चंडिका.)
-लोहित कल्प में-16 भुजा वाली भद्रकाली, महाकाली दस पैर एवं दस मुख वाली अवतरित हुई
थी.madhu-कैटभ असुर का वध किया था.
-भद्रकाली पूजा में देवी-जयंती,मंगला,कलि,भद्रकाली,कपालिनी,दुर्गा,कश्म,शिव,धात्री,की पूजा करे.
नंदा देवी प्रमुख;
2-त्रेता युग -आषाढ़ शुक्ल पक्ष के नवरात्र;
-महा सरस्वती आठ भुजा युक्ता अवतरित हुई,शुम्भासुर,निशुम्भ वध केलिए.
-प्रमुख देवी शाकम्भरी एवं शताक्षी है,
3-द्वापर- माघ शुक्ल पक्ष के नवरात्र;
4-कलियुग-आश्वनी(कुवार) शुक्ल पक्ष के नवरात्र;
देवी स्वरूप- चैत्र माह में 16 भुजा युक्त देवी दुर्गा ने महिसासुर का वध किया था .16 भुजा की महिष मर्दनी देवी की पूजा करना चाहिए.
-प्रमुख स्वरूप-रक्त चंडिका/रक्त दंतिका.भीमा(पुत्र संतान प्रदायनी),एकवीरा,कालरात्रि अवतरित हु
चैत्र शुक्ल नवमी को अवतरित-भुवनेश्वरी(तारकासुर वध के लिए )..
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें