04 नवम्बर –गोमय लक्ष्मी
कथा : धन वृद्धि का सिद्ध सरल उपाय
(गोमय की लक्ष्मी निर्माण ,पूजा धन भंडार भरे ,व्यापर निर्बाध बढे )
(पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी भोपाल9424446706, कुंडली
मिलान, मुहूर्त,वास्तु)
गोमय अर्थात गाय का
गोबर ,इससे निर्मित लक्ष्मी तिजोरी में धन
की स्थिरता प्रद होती है |वर्ष में सर्व श्रेष्ठ मुहूर्त दीपावली अर्थात “कार्तिक
अमावस्या “ के दिन गोमय ग्रहण कर ,उससे
लक्ष्मी जी की आकृति का निर्माण (06इन्च से बड़ी न हो )शुद्ध स्थान पर करना चाहिए |
इसको धुप में सूखने दे द्वितीया के दिन लाल वस्त्र में लपेट कर तिजिरी में रखे या
पूजा कक्ष में रखकर प्रतिदिन धुप दीप पुष्प से पूजा करे |
गोसदन एवं गो पालक की
आय का साधन-
-गोसदन या गो पालक गोमय की लक्ष्मी सिद्ध मुहूर्त में निर्माण
कर धन उपार्जन कर सकते है | कार्तिक अमावस्या का गोमय(गोबर ) अमूल्य अद्भुत
प्रभावी धन व्रद्धी एवं लक्ष्मी की कृपा के लिए है | इसको मुहूर्त में एकत्र करे
फिर दिए गए मुहूर्त में लक्ष्मी निर्माण कर रंग
रोगन ,श्रृंगार कर लक्ष्मी जी को सुखा ले |इसका विक्रय कर धन अर्जन भी कर
सकते हैं |
धन
हानि ,अपव्यय रोकने एवं बचत तथा लाभ वृद्धि के लिए लक्ष्मी का उपाय- गोमय
की लक्ष्मी निर्माण एवं पूजा |
निर्माण
समय मन्त्र- कोई भी लक्ष्मी जी का मन्त्र |या
श्रीम
ह्रीं क्लीम महालक्ष्म्यै नम:||
दीपावली अर्थात
कार्तिक माह की अमावस्या (वर्ष में एक बार )गोमय लक्ष्मी निर्माण पूजा एवम्
स्थायित्व का मुहूर्त-शुभ
लग्न एवं होरा का विशिष्ट समय-निम्न समय बजे तक -
1-दिनांक 04 नवम्बर
गोमय ग्रहण का मुहूर्त एवं निर्माण -
06:37-07:13; 10.:22-10:58;
11:18-11:56; 15:58-17;31 ;00:18-02:00;
-निर्माण 5 नवम्बर (गोवर्धन
पूजा ,सर्वार्थ सिद्ध योग )को उत्तम है परन्तु गोमय ग्रहण 04 नवम्बर को ही उक्त
समय में किया जाना आवश्यक है |
निर्माण शुभ समय -13:10-13:45;
15:05-15:40; 16:54-17:30;|
वर्ष में एक बार
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त लक्ष्मी की स्थिरता का होता है
गाय के गोमय अथवा
पुरीष अथवा गोबर में लक्ष्मी जी का निवास होता है |बुधवार
या शुक्रवार को शुक्र होरा मे गोबर की लक्ष्मी निर्माण करे ,धूप
मे सूखा ले |।
कार्तिक अमावस्या को
लक्ष्मी से प्रार्थना।
***
वैष्णव खंड 4/1/10
"कार्तिक दीपाली के
दिन गोशाला में लक्ष्मी विराजती हैं।ये लक्ष्मी मेरे लिए सदा वर दायिनी रहे।*
**
वराह पुराण में गाय के शरीर में
सर्व देवी निवास लिखा गया है।गौ का सर्वांग पावन है।ऋग्वेद,यजुर्वेद,उपनिषद
,महाभारत,आन्नदेवाम
आध्टम आदि भी गाय की प्रशंशा है।
गोमय एवं लक्ष्मी की
कथा -(महाभारत संदर्भ ग्रंथ)-
लक्ष्मी
जी एक बार गायों के समूह में प्रविष्ट हुई ।लक्ष्मी जी ने गाय के समूह को संबोधित
कर कहा" तुम्हारा कल्याण हो इस संसार में सब मुझे लक्ष्मी कहते हैं ।"
दैत्य सब समाप्त हो
गए हैं ।मैंने उनको छोड़ दिया है ।
इंद्र आदि देवताओं को
मैंने आश्रय दिया दे सुख उपभोग कर रहे हैं ।
देवता और ऋषि मेरी
शरण में आने के लिए प्रयास करते हैं और तपस्या के पश्चात उन्हें सिद्धि मिलती है
।धर्मार्थ और यह काम मेरे सहयोग से ही सुख दे पाते हैं ,परंतु
मैं आपके शरीर में सदा निवास करना चाहती हूं ।
"आप
से मेरी प्रार्थना है कि तुम लोग मेरा आश्रय ग्रहण करो और श्री संपन्न हो जाओ
।"
गायों
ने कहा देवी आप चंचला हैं। कहीं स्थिर नहीं रहती इसलिए हमको आपकी इच्छा नहीं है ।
आप का कल्याण हो। हम
शरीर से स्वभाव से कल्याणदऔर सुंदर हैं ।हमें आपसे कोई
प्रयोजन नहीं है ।
"आप जहां चाहे वहां जा
सकती हैं आपने हम से वार्ता की इसलिए हम अपने को धन्य मानते हैं ।"
लक्ष्मी
जी बोली तुम यह सब क्या कह रही हो मैं दुर्लभ हूं ।परम सती हूं ,और
तुम मुझे अस्वीकार कर रही हो ।
आज मुझे समझ में आया
कि ,बिना
आमंत्रण के कहीं जाने से अनादर ही होता है ।देवता, दानव ,गंधर्व, पिशाच ,नाग ,मनुष्य राक्षस बहुत तपस्या करने के बाद
मेरी सेवा का सौभाग्य प्राप्त करते हैं ।
" तुम लोग मुझे स्वीकार
करो इस संसार में मेरा कोई अपमान नहीं करता ।"
गाय
बोली हे देवी हम आपका अपमान या आप की उपेक्षा नहीं कर रहे हैं ।हम केवल त्याग कर
रहे हैं वह भी आपके चंचल प्रकृति के कारण हम आपको नहीं अपना सकती हैं।इसलिए आप
जहां चाहे वहां जाने के लिए प्रस्थान करिए।
लक्ष्मी
जी बोली की आप लोग मुझे त्याग दोगी तो संसार में मेरा अनादर होने लगेगा। मैं
निर्दोष हूं आपकी शरण में आई हूं ।इसलिए मेरी रक्षा करो। मुझे अपनाओ ।तुम महान
सौभाग्य शालिनी सदा सबका कल्याण करने वाली पवित्र और सौभाग्यवती हो। मुझे केवल यह
बताओ कि तुम्हारे शरीर के किस भाग में में स्थिर निवास करू ।
गायों
ने कहा है लक्ष्मी आप यश प्रदायका है ।
हमें आपका
सम्मानअवश्य करना चाहिए ।
आप हमारे गोबर और
मूत्र में निवास करिए ।यह दोनों चीजें हमारी पवित्र है।
लक्ष्मी
जी ने कहा सुख प्रदायिनी गाय तुम लोगों ने मुझ पर बड़ी कृपा की है ।मेरा मान रख
लिया है।
तुम लोगों का कल्याण
हो इस प्रकार देखते ही देखते लक्ष्मी अंतर्ध्यान हो गई ।
महाभारत के अध्याय 82 में
इस प्रकार का उल्लेख प्राप्त है।
दीपावली के दिन गाय
के गोबर से लक्ष्मी का निर्माण कर ,उसकी पूजा कर ,लाल कपड़े लपेट कर ,धन
स्थान में रखने से धन वृद्धि या धन का स्थायित्व होता है ।
उस स्थान पर लक्ष्मी
विराजित होती हैं जीवन में धन का आभाव नहीं होता है ।
*गोमय का मत्र् गोबर
से प्रार्थना रोग शोक शमन ।**
वन में
चरने वाली अनेक रस ग्रहण करने वाली वृषभ पत्नी गाय के पवित्र और शरीर को शुद्ध
करने वाले गोबर,आप मेरे रोग ,शोक,पाप दूर करो।
आयुर्वेदिक महत्व
गोमय का,
विष,स्वास,कुष्ठ,रक्त,त्रिदोष
शामक गुण।
गोदान, गाय
पूजा का विशेष महत्व है।
अनेक मुसलमान शासकों
ने गौ वध निषेध किया था।
उरुग्वे (भारतीय गाय
से समृद्ध देश )|थाईलैंड,जापान, बेल्जियम,डेनमार्क,
हालेंड,आस्ट्रेलिया,गौ
दुग्ध उत्पादक समृद्ध देश है।
-बाली में तो
मनुष्यों की तरह गाय के शव का दहन संस्कार पवित्र स्थान पर किया जाता है।गाय का
सर्वांग बहुउपयोगी है।इसका दूध स्मृति बुद्धि के लिए भेंस के दूध से श्रेष्ठ |
-उरुग्वे में तो गो हत्या पर म्रत्यु दंड का प्रावधान है |
पूजा के उपरांत लाल
वस्त्र मे लपेट कर तिजोरी मे रखना चाहिए |इससे धन का अभाव नहीं रहता है ||
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