कुंडली में श्राप/शाप-योग एवं जीवन में अभाव से ज्ञात करे कौनसा शाप है ,उपाय
पूर्व जन्म में किये गए कार्यों के कारण अनेक प्रकार के अशुभ परिणाम इस जन्म में मिलते हैं . पूर्व जन्म के अनुचित कार्य या किसी की आत्मा को कष्ट देने के कारण ये निर्मित होते हैं .
-जिन ग्रहों का अशुभ परिणाम से सम्बन्ध हो उनका उपाय करना चाहिए .
-ग्रह उपयोगी हो तो उस ग्रह की वस्तु उपयोग ,भोजन ,वस्त्र रंग में करना चाहिए .
- ग्रह अनुपयोगी –अशुभ हो तो उस ग्रह की वस्तु उपयोग ,भोजन ,वस्त्र रंग में नहीं करना चाहिए .एवं दान करना चाहिए ग्रह के दिन एवं होरा में .
संतान हीनता –
शॉप अनेक प्रकार के होते हैं सर्वाधिक प्रभावित जीवन संतान हीनता के कारण होता है इसके लिए शॉप का उपाय करना चाहिए
सर्प शाप - *5 भाव में मेष वृश्चिक राशि में राहु स्थित हो और बुध से उसका संबंध हो;
* सूर्य शनि मंगल राहु पांचवें भाव में हो
* संतान कारक गुरु ग्रह का मंगल से संबंधित राहु लग्न में हो और पंचमेश कमजोर या 6 8 12 में हो *पंचमेश राहु के साथ हो शनि पंचम भाव में हो और चंद्र द्वारा देखा जाता हो या चंद्रमा से संबंध हो
*लग्नेश पंचम, सप्तमेश तथा संतान कारक गुरु कमजोर हो
*शनि,राहू ,केतु ,सूर्य ये चारो ग्रह 1.4.7.10 भाव में हो
*1.4.7.10 में से तीन भाव में पाप ग्रह हो .
पितृ शाप –
* सूर्य पंचम भाव में हो और क्रूर ग्रहों के मध्य हो
*नवमेश का पंचमेश से संबंधित लग्न और त्रिकोण में गुरू ग्रह हो सूर्य मंगल
*पंचम भाव में राहु हो उसे मंगल देखें
*पंचम स्थान में शनि पंचमेश राहु के साथ हो चंद्रमा उसको देखें
*कर्क धनु लग्न हो पंचम भाव में कोई बुध गुरु शुक्र की दृष्टि ना हो
* कर्क धनु लग्न में मंगल अपने ही नवमांश रहो
*या पंचम भाव में पंचम भाव में राहु पाप ग्रह हो
* लग्नेश राहु के साथ हो या लग्न में राहु हो
* पंचमेश 7 8 12 भाव में राहु गुरु के साथ हो पंचम भाव शनि से देखा जाता हूं
*कर्क धनु धनु लग्न में पंचम में राहु बुध के साथ हो
*पंचम में सूर्य मंगल शनि राहु हो और पंचमेश लग्नेश दोनों कमजोर हो
*लग्नेश राहु के साथ हो पंचमेश मंगल के साथ हो और गुरु राहु से देखा जाता है
* सूर्य तुला राशि का, पंचम महा में हो एवं शनि राहु मंगल से संबंधित हो
*गुरु सिंह राशि में स्थित हो पंचमेश भी उसके साथ हो और लग्न में सूर्य मंगल या शनि उपस्थित हो
*गुरु सिंह राशी पर पंचमेश तथा सूर्य 5/9भाव में ,
*व्ययका स्वामी लग्न में ,अष्टम का स्वामी पन्चम भाव में ,दशमेश आठवे भाव में
उपाय- सर्प पूजा ,सोना तिल दान
प्रेत श्राप-
प्रेत शब्द एक आत्मा से संबंधित है
*सूर्य शनि पांचवे भाव में राहु लग्न में हो गुरु बारहवें स्थान में हो चंद्र साथ में स्थान में हो या
*पंचमेश शनि बृहस्पति के साथ आठवें भाव में तथा मंगल ग्रह लग्न में
*राहु लग्न में शनि पंचम में गुरुवार को राहु लग्न में
*गुरु और शुक्र के साथ शनि और चंद्रमा एक साथ लग्नेश आठवें भाव में हो
*राहू लग्न,शनि 5वे ,गुरु 8वे ;
* पांचवे भाव में सूर्य शनि हो साथ में कमजोर चंद्रमा लग्न तथा 12 में राहु गुरु
*पंचम भाव का स्वामी शनि आठवें भाव में , लग्न में मंगल, करक ८वे भाव में,
* लग्न में पाप ग्रह बार में में सूर्य पांचवे , मंगल शनि बुध, पंचमेश ८वे
* लग्न में राहु पांचवे में शनि ,कारक ८वे में
*लग्न में राहु शुक्र गुरु चंद्रमा शनि के साथ लग्न स्वामी आठवें भाव में
*लग्न में राहु पांचवे में शनि मंगल के साथ या देखा जाए
* कारक नीच राशि में पंचमेश भी नीच राशि में
* लग्न में शनि पांचवे में राहू आठवे में सूर्य
*मंगल सातवें स्थान का स्वामी 6 8 12 पंचम भाव में चंद्रमा,मंगल हो
पांचवे में अष्टम का स्वामी शनि शुक्र के साथ ,कारक ८वे
* इसका उपाय है गया श्राद्ध रुद्राभिषेक ब्रह्मा की मूर्ति का दान देने दान चांदी के दान नीलमणि दान
पिता का शाप –संतान सुख अभाव
*मेष लग्न में सूर्य पांचवें स्थान में हो उससे दूसरे बारे में मंगल राहु शनि हो या 5.9 मैं मंगल राहु शनि हो या पाप ग्रहों से देखा जाता हो
*सूर्य की राशि सिंह में गुरू हो, पंचमेश सूर्य के साथ हो, पंचम भाव और लग्न में शनि राहु मंगल सूर्य हो *लग्नेश कमजोर होकर पांचवें भाव में हो पंचमेश सूर्य के साथ हो पंचम और लग्न में पाप ग्रह हो
*पंचमेश दशमेश एक-दूसरे के भाव में हो
* लग्न पंचम में पाप ग्रह और जिस भाव में पाप ग्रह हो उसके कारण हानि
* 6 8 12 के स्वामी लग्न पंचम में हो एवं पंचमेश राहु शनि सूर्य मंगल के साथ हो
* दशम भाव का स्वामी पंचम भाव में हो लग्न पंचम में सूर्य मंगल शनि 8 12 में हो राहु और गुरु लग्न में *लग्न से 8 में सूर्य पांचवे में शनि पंचमेश राहु के साथ लग्न में *+पाप ग्रह
*बारहवें भाव का स्वामी लग्न में, अष्टम का स्वामी पंचम भाव में, छठे भाव का स्वामी पंचम भाव में, या गुरु के साथ हो राहु के साथ हो
* उपाय गया श्राद्ध /1000 ब्राह्मण का भोजन/ कन्यादान, गाय दान
माता का शाप-संतान हानी
*मेष लग्न में चंद्रमा वृश्चिक राशि में हो और पाप ग्रहों के बीच में हो ,चौथे पांचवें भाव में पाप ग्रह हो *ग्यारहवें भाव में शनि हो चौथे में पाप ग्रह हो चंद्र वृश्चिक का पंचम भाव में
*पंचमेश 6 8 12 भाव में लग्नेश नीच राशि में चंद्रमा पाप ग्रह से प्रभावित हो
* पंचमेश चन्द्र,शनि.रहू,मंगल के साथ या देखा जाता हो चंद्रमा पाप ग्रह के साथ
* लग्न पंचम में पाप गृह हो पंचमेश चंद्रमा शनि राहु मंगल के साथ हो गुरु 5:भाव में यह नवम भाव में हो
*चौथे भाव का स्वामी सूर्य शनि मंगल के साथ हो पंचम भाव और लग्न सूर्य चंद्र के साथ हो
*लग्नेश पंचमेश छठे , आठवें भाव में चतुर्थेश , दशम अष्टम भाव के स्वामी लग्न में ;
*6.8 के स्वामी लग्न में 12 के स्वामी बारहवें भाव में चतुर्थेश और चंद्रमा, गुरु पाप गृह से प्रभावित हो *
*लगन पाप ग्रह के मध्य चंद्रमा कमजोर हो चौथे पांचवें भाव में राहु शनि हो
* अष्टमेश पंचम भाव में ,पंचमेश आठवें भाव में ,चंद्रमा और चतुर्थेश 6 8 12 भाव में
*कर्क लग्न में मंगल राहु से युक्त हो या देखा जाता है चंद्र शनि पांचवें भाव में
*लग्न ,पंचम ,8 में बारहवें भाव में मंगल राहु शनि ,चतुर्थ भाव का स्वामी 4.8. 12 में
*आठवें भाव में मंगल राहु गुरु हो , 5 भाव में शनि चंद्र हो
*उपाय एक लाख गायत्री यज्ञ समुद्र स्नान चांदी के पात्र में दूध दान ग्रहों का दान 28,000 पीपल की प्रदक्षिणा ब्राह्मण भोज
भाई शाप- संतान सुख बाधा
*३रे तीसरे स्थान का स्वामी मंगल राहु के साथ हो पांचचे भाव में पंचमेश लग्नेश आठवें भाव में
*लग्न पंचम भाव में मंगल शनि हो तृतीय भाव का स्वामी भाग्य भाव में हो कारक मंगल आठवें भाव में *तीसरे स्थान में नीच राशि में गुरु हो , शनि पांचवें भाव में हो आठवें भाव में चंद्र शनि हो
*लग्नेश बारहवे भाव में मंगल पांचवे भाव में पंचमेश आठवें भाव में
*पाप ग्रह के मध्य लग्न हो पंचम भाव भाव ग्रह के मध्य ,लग्न एवं पंचम के दोनों के स्वामी और मंगल 6 8 12 भाव में *
* दशम ग्रह दशमेश ग्रह पाप ग्रह के साथ हो तीसरे स्थान में बैठा हूं पांचवें भाव में मंगल हो
* वृषभ कुंभ लग्न में पंचम भाव में बुध की राशि मिथुन कन्या उसमें शनि राहु हो बारहवें भाव में बुध मंगल हो
*लग्नेश तीसरे भाव में तीसरे भाव का स्वामी पंचम भाव में लग्न तीसरे स्थान में पंचम भाव में पाप ग्रहों *तीसरे भाव का स्वामी पांचवे में पंचम भाव में कारक राहु गुलिक से देखा जाता है
* अष्टमेश पंचम भाव में तृतीय के साथ हो आठवें भाव में मंगल शनि योग
*इसका उपाय विष्णु का भजन चांद्रायण व्रत कावेरी नदी के किनारे विष्णु पूजा पीपल के वृक्ष की स्थापना 10 गाय दान प्रजापत्य कर भूमि का दान
मामा का शाप –संतान हानि
*लग्न में शनि पंचम भाव में बुध गुरु मंगल राहु
*-लग्नेश पंचमेश शनि मंगल बुध के साथ
* लग्नेश अस्त होकर लग्न में सातवें भाव में शनि
*लग्नेश बुध के साथ बारहवें भाव के स्वामी के साथ
*तुर्थ भाव का स्वामी लग्न में हो चंद्रमा बुध मंगल संतान भाव
इसकी शांति का उपाय है विष्णु की स्थापना कुआ तालाब पानी का दान पुल का निर्माण
ब्राह्मण शाप –संतान हानि
*गुरु की राशि धनु मीन में राहु हो पंचम भाव में गुरु हो मंगल शनि हो
* नवम भाव का स्वामी आठवे भाव में हो नवम भाव का स्वामी पंचम भाव में हो पंचमेश नवम भाव में हो *गुरु मंगल आठवें भाव में हो नवम भाव का स्वामी नीच राशि में हो
*6.8.12 भाव का स्वामी पंचम भाव में राहु के साथ हो गुरु नीच राशि में राहु लगन या पंचम में हो पंचमेश 12 भाव में हो
* पंचमेश गुरु ८वे भाव में पाप ग्रह के साथ पंच में सूर्य या चंद्र
*शनि के अंश में शनि मंगल के साथ हो या गुरु के पंचमेश बारहवें भाव में लग्न में गुरु शनि भाग्य भाव में राहु गुरु व्या भाव में
* इसका उपाय है ब्रम्हकूर्च व्रत प्राश्चित व्रत गोदान पंचरत्न सोने के साथ दान 1000 अन्नदान
पत्नी शाप-संतान हानि
*सातवे का स्वामी पंचम भाव में .सप्तमेश के नवांश का स्वामी शनि हो पा छठे भाव में हो
* सप्तमेश आठवें भाव में बारहवे भाव का स्वामी पंचम भाव में
*पत्नी कारक शुक्र पाप ग्रह से ग्रस्त हो पंचम स्थान में शुक्र सप्तमेश आठवें भाव में शुक्र पाप ग्रह युक्त हो *दूसरे भाव में पाप ग्रह सप्तमेश आठवें भाव में पांचवा भाव में पाप ग्रह नवम भाव में शुक्र पंचमेश आठवें भाव में लग्न और पांचवें भाव में पाप ग्रह *भाग्य शुक्र पंचम स्थान का स्वामी छठे स्थान में गुरु लग्नेश पत्नी स्थान का स्वामी 6.8.12 भाव में
* पंचम भाव में शुक्र की राशि वृष तुला राहु चंद्र साथ में हूं 12 12 भाव में पाप ग्रह सातवें भाव में शनि शुक्र हो अष्टमेश पंचम भाव में सूर्य राहु लग्न में दूसरे भाव में मंगल 6.8.12 भाव में
* गुरु पांचवे में शुक्र राहु के साथ हो * आठवें भाव में द्वितीय भाव का स्वामी सातवें भाव का स्वामी हो 5:भाव में और लग्न में मंगल शनि तथा शुक्र पापग्रह के साथ हो
*लग्न पंचम नवम भाव में राहु शनि मंगल हो ८वे में पंचम भाव सप्तम भाव का स्वामी हो
इसका उपाय है 10 गाय दान करें आभूषण सैया ब्राह्मण को दें
ग्रह दोष दूर करने के उपाय
सूर्य के दोष दूर करने के लिए- गुडहल के पुष्प की माला रविवार के दिन सूर्य यह भगवान शिव को अर्पित करें लाल रंग के पुष्प एवं फल किसी पुरुष को भेंट में दें
*चंद्र के दोष दूर करने के लिए -सफेद रंग के पुस्तक एवं कपास का दीपक भगवान शिव को अर्पित करें दूध चावल एवं पानी शिवजी पर अर्पित करें अर्पित करने का समय सोमवार को गोधूलि या रात्रि 8:00 से 9:00 जय मध्य हो श्वेत झंडा भी उत्तम फल दाई होता है
*मंगल के दोष दूर करने के लिए- गुड़हल या जवाकुसुम के पुष्प के फूल कनेर के फूल दुर्गा देवी पर अर्पित करें हनुमान जी को चोला चढ़ाएं किया सिंदूर अर्पित करें इसका श्रेष्ठ समय दोपहर 11:30 से 1:00 बजे तक होगा ध्वजा एवं लाल रंग के तांबे के दीपक में लाल बत्ती का प्रयोग करें
Shrap shap Dosh shaman
सिल्वर सर्प का जोदा गहरे जल में ,कुए में या समुद्र में छोड़ने से ‘है सैप देव आप अपने लोक पाताल में जाइये एवं सर्व-समृद्धि,संतान सुख दीजिये .
पितृ दोष-
ब्रह्मा गायत्री का जप अनुष्ठान कराने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
-उत्तराफाल्गुनी, उत्तराभाद्रपद या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में ताड़ के वृक्ष की जड़ को घर ले आएं। उसे किसी पवित्र स्थान पर स्थापित करने से पितृ दोष दूर होता है।
-प्रत्येक मास की अमावस्या को अंधेरा होने पर बबूल के वृक्ष के नीचे भोजन खाने से पितृ दोष नष्ट हो जाता है।
--अमावस्या के दिन घर में बने भोजन का भोग पितरों को लगाने तथा ब्राह्मïण को भोजन कराने से पितृ दोष दूर हो जाते हैं।यदि छोटा बच्चा पितृ हो तो एकादशी या अमावस्या के दिन किसी बच्चे को दूध पिलाएं तथा मावे की बर्फी खिलाएं।
-श्राद्ध पक्ष में प्रतिदिन पितरों को जल और काले तिल अर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं तथा पितृ दोष दूर होता है।
-सात मंगलवार तथा शनिवार को जावित्री और केसर की धूप घर में देने से रुष्ट पितृ के प्रसन्न होने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है।
-- देशी गाय के गोबर का कंडा जलाकर उसमें नित्य काले तिल, जौ, राल, देशी कपूर और घी की धूनी देने से पितृ दोष का समापन हो जाता है।।
--प्रतिदिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्यदेव को नमस्कार करके यज्ञ करने से पितृ दोष से छुटकारा मिल जाता है।
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2- प्रतिदिन देशी फिटकरी से दांत साफ करने से भगिनी दोष समाप्त हो जाता है।
-नाक-कान छिदवाने से भागिनी दोष का निवारण होता है।
3-घर की बड़ी-बूढ़ी स्त्री का नित्य चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लें। मातृ दोष दूर हो जाएगा।
-गाय को पालकर उसकी सेवा करें। मातृ दोष से मुक्ति मिलेगी।
4-किसी धर्मस्थान की सफाई आदि करके वहां पूजन करें प्रभु ऋण से छुटकारा मिल जाएगा।
5-अपने घर से यज्ञ का अनुष्ठान कराने से स्वऋण दूर होता है।
6-वर्ष में एक बार किसी व्यक्ति को अमावस्या के दिन भोजन कराने, दक्षिणा एवं वस्त्र देने से ब्राह्मïण दोष का निवारण होता है।
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