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Shraddha is performed on the date of death, but there is an exception or prohibitionश्राद्ध-मृत्यु तिथि पर किया जाता है ,परंतु ,सभी का मृत्यु तिथि पर नहीं किया

Shraddha is performed on the date of death, but there is an exception or prohibition, everyone's death is not performed on Tihati, in this article according to the Puranas, whose Shraddha is not performed on the date of death - -The ancestors accept the Pind Daan done by the daughters and the father accepts the blessings of the mother. Apart from the girl, Shraddha and Pind Daan can also be performed by the daughter-in-law or wife. -Women should keep these things in mind while performing Shraddha and Pind Daan. During Shraddha, wear only white or yellow colored clothes. Men should wear white clothes and use only white wick and oil lamp. 1 Grandparents - Ashwin Krishna Pratipada: This date is for the

श्राद्ध-मृत्यु  तिथि पर किया जाता है ,परंतु  अपवाद या निषेध है,सभी का मृत्यु तिथि पर नहीं किया जाता ,इस लेख मे पुराणो के अनुसार लेख है की,किसका श्रद्ध मृत्यु तिथि पर नहीं किया जाता है -

-कन्याओं के द्वारा किया गया पिंडदान पितृ स्वीकार करते हैं sita ji ka dashrath ji ne sweekar kiya tha.। कन्या के अलावा बहु या पत्नी के द्वारा भी श्राद्ध और पिंडदान किया जा सकता है।

-श्राद्ध और पिंडदान करते समय महिलाओं को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। श्राद्ध के दौरान सफेद या पीले रंग के ही कपड़े ।पुरुष वर्ग सफ़ेद वस्त्र एवं सफ़ेद बाती तथा तैल का ही दीपक प्रयोग करे।

1 नाना-नानी -आश्विन कृष्ण प्रतिपदा: इस तिथि को नाना-नानी के श्राद्ध के लिए है।

2 अविवाहित -पंचमी: जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई हो, उनका श्राद्ध इस तिथि को किया जाना चाहिए।

 3- सौभाग्यवती -नवमी: सौभाग्यवती nari यानि पति के रहते ही जिनकी मृत्यु हो गई हो, उन स्त्रियों का श्राद्ध नवमी को किया जाता है।

इस तिथि पर श्राद्ध कर्म करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध हो जाता है।

4- वैष्णव sadhu- एकादशी: एकादशी में वैष्णव sanyasi  का श्राद्ध करते हैं।

5-Sanyas –saadhu- द्वादशी :इस तिथि को श्राद्ध - जिन्होंने संन्यास लिया हो।

5-Aksmik mrutyu-चतुर्दशी: इस तिथि में शस्त्र, आत्म-हत्या, विष और दुर्घटना se  जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध किया जाता है

6- बच्चों का श्राद्ध कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को ।

 

7-सर्वपितृमोक्ष अमावस्या:

इस तिथि पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।

इस दिन श्राद्ध करने से कुल के सभी पितरों का श्राद्ध हो जाता है।

- यही नहीं जिनका मरने पर संस्कार नहीं हुआ हो, उनका भी अमावस्या तिथि को ही श्राद्ध करना चाहिए।

श्राद्ध-मृत्यु  तिथि पर किया जाता है ,परंतु  अपवाद या निषेध है,सभी का म्र्त्यु तिहती पर नहीं किया जाता ,इस लेख मे पुराणो के अनुसार लेख है की,किसका श्रद्ध मृत्यु तिथि पर नहीं किया जाता है -

-कन्याओं के द्वारा किया गया पिंडदान पितृ स्वीकार करते हैं sita ji ka dashrath ji ne sweekar kiya tha.। कन्या के अलावा बहु या पत्नी के द्वारा भी श्राद्ध और पिंडदान किया जा सकता है।

-श्राद्ध और पिंडदान करते समय महिलाओं को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। श्राद्ध के दौरान सफेद या पीले रंग के ही कपड़े ।पुरुष वर्ग सफ़ेद वस्त्र एवं सफ़ेद बाती तथा तैल का ही दीपक प्रयोग करे।

1 नाना-नानी -आश्विन कृष्ण प्रतिपदा: इस तिथि को नाना-नानी के श्राद्ध के लिए है।

2 अविवाहित -पंचमी: जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई हो, उनका श्राद्ध इस तिथि को किया जाना चाहिए।

 3- सौभाग्यवती -नवमी: सौभाग्यवती nari यानि पति के रहते ही जिनकी मृत्यु हो गई हो, उन स्त्रियों का श्राद्ध नवमी को किया जाता है।

इस तिथि पर श्राद्ध कर्म करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध हो जाता है।

4- वैष्णव sadhu- एकादशी: एकादशी में वैष्णव sanyasi  का श्राद्ध करते हैं।

5-Sanyas –saadhu- द्वादशी :इस तिथि को श्राद्ध - जिन्होंने संन्यास लिया हो।

5-Aksmik mrutyu-चतुर्दशी: इस तिथि में शस्त्र, आत्म-हत्या, विष और दुर्घटना se  जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध किया जाता है

6- बच्चों का श्राद्ध कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को ।

 

7-सर्वपितृमोक्ष अमावस्या:

इस तिथि पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।

इस दिन श्राद्ध करने से कुल के सभी पितरों का श्राद्ध हो जाता है।

- यही नहीं जिनका मरने पर संस्कार नहीं हुआ हो, उनका भी अमावस्या तिथि को ही श्राद्ध करना चाहिए।

  -अविधवा--सौभाग्यवती श्राद्ध-पितृ पक्ष की नवमी पर उन महिलाओं के लिए श्राद्ध कर्म करें, जो मृत्यु के समय सुहागिन थीं.दिवंगत माताओं, बहुओं और बेटियों का पिंडदान किया जाता है।

- जिनकी मृत्यु सुहागिन के रूप में हुई हो. इसे मातृ नवमी श्राद्ध कहते हैं. मातृ नवमी पर घर-परिवार, कुटुंब की मृत सुहागिन महिलाओं का श्राद्ध कर्म एक साथ किया जा सकता है।

- जिन सुहागिन महिलाओं की मृत्यु तिथि मालूम नहीं है, उनके लिए भी नवमी पर ही श्राद्ध करना चाहिए। अविधवा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है.

-मातृ नवमी पर दिवंगत माता का श्राद्ध किया जाता है. इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि  है.जिस घर में कोई पुत्र नहीं होता, उस स्थिति में कन्याएं और महिलाएं अपने पितरों का पिंडदान कर सकती हैं।

 

Shraddha is performed on the date of death, but there is an exception or prohibition, everyone's death is not performed on Tihati, in this article according to the Puranas, whose Shraddha is not performed on the date of death -

-The ancestors accept the Pind Daan done by the daughters and the father accepts the blessings of the mother. Apart from the girl, Shraddha and Pind Daan can also be performed by the daughter-in-law or wife.

-Women should keep these things in mind while performing Shraddha and Pind Daan. During Shraddha, wear only white or yellow colored clothes. Men should wear white clothes and use only white wick and oil lamp.

1 Grandparents –

Ashwin Krishna Pratipada: This date is for the Shraddha of maternal grandparents.

2 Unmarried –

 Panchami: Shraddha of those who died unmarried should be performed on this date.

  3- Saubhagyavati –

 Navami: Shraddha of Saubhagyavati nari i.e. women who have died while their husband is alive, is performed on Navami.

By performing Shraddha on this date, Shraddha of all the deceased women of the family is performed.

4- Vaishnav sadhu-

Ekadashi: Perform Shraddha of Vaishnav Sanyasi on Ekadashi.

5-Sanyas – Saadhu-

 Dwadashi: Shraddha on this date - those who have taken Sannyasa.

5-Accidental death-Chaturdashi: On this date, Shraddha is performed for those who died untimely death due to weapons, suicide, poison or accident.

6- Shraddha of children on Trayodashi date of Krishna Paksha.

 

7-Sarvapitrimoksha Amavasya: Shraddha of all the ancestors can be performed on this date.

By performing Shraddha on this day, Shraddha of all the ancestors of the family is performed.

- Not only this, those who have not been cremated after death should also perform Shraddha on Amavasya Tithi only.

-Widow-

-Auspicious Shraddha - On the Navami of Pitru Paksha, perform Shraddha for those women who were married at the time of death. Pind Daan is performed for deceased mothers, daughters-in-law and daughters.

- Who died as a married woman. This is called Matri Navami Shraddha. On Matri Navami, Shraddha rituals of dead married women of the family and family can be performed together.

- For married women whose death date is not known, Shraddha should also be performed on Navami. Also known as Avidhwa Shraddha.

-Shraddha of the deceased mother is performed on Matri Navami. This brings happiness, peace and prosperity in the house. In a house where there is no son, girls and women can offer Pind Daan to their ancestors.

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