( शिव तांडव स्त्रोत –अधिकांश गायकों ने 15 श्लोक तक ही इसको स्वरबाद्ध किया है , जबकि 17 श्लोक हैं । इस स्त्रोत को पढ़ने से धन अपव्यय रुकता है , लक्ष्मी स्थिर होती है एवं सुख समृद्धि वृद्धि होती है धार्मिक -शिव भक्त जन के लिए सरल शुद्ध पठनीय हमारे द्वारा अर्थ सहित प्रस्तुत –संदर्भ-श्रावण माह ) श्री रावण कृतं शिव ताण्डव स्तोत्रं 1 जटाटवी गलदजल , प्रवाह पावित स्थले गले अवलम्ब्य लम्बितां , भुजंग तुंग मालिकां | डमडडम डमडमन , निनादवत डमर्वयम , चकार चण्ड ताण्डवं , तनो तुनः शिवः शिवम् | (* ड=आधा उच्चारण) - सघन जटा रूपी जंगल (वन )से प्रवाहमान गंगा की विभिन्न धाराये जिन सदा शिव जी की कंठ का प्रक्षालन करती हैं , जिनके गले में बृहद आकार के सर्प मालाओं जेसे लटक रहे हैं , जो शिव जी डम-डम डमरू वाद्य यंत्र बजा कर प्रचण्ड ताण्डव करते हैं , वे सदा शिव हमारा कल्यान करें. |
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