सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

सितंबर, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

श्राद्ध कर्म दैनिक तर्पण(15 दिन जल,तिल एवं जौ)VIDHI MANTR

  -दैनिक तर्पण मन्त्र विशेष ध्यातव्य- गया के पश्चात् भी पितृ पक्ष में 15 दिन जल,तिल एवं जौ से जल पितरों ,ऋषि एवं   देवताओं को दैनिक देना आवश्यक है,कवक पिंड दान गया श्राद्ध कर्म के पश्चात् आवश्यक   नहीं होता है,   आवाहन  : दोनों हाथों की अनामिका (छोटी तथा बड़ी   उँगलियों के बीच की   उंगली)   में कुश (विशेष घास) की पवित्री (उंगली में लपेटकर दोनों सिरे ऐंठकर अंगूठी की तरह छल्ला) पहनकर , बाएं कंधे पर सफेद वस्त्र डालकर   दोनों हाथ जोड़कर अपने   पूर्वजों को निम्न मन्त्र से आमंत्रित करें    : ' ॐ आगच्छन्तु मे पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम '   ॐ हे पितरों! पधारिये . निम्न में से प्रत्येक को 3 बार किसी पवित्र नदी , तालाब , झील के शुद्ध जल में थोडा सा दूध , तिल तथा जौ मिला कर जलांजलि अर्पित करें।   पिता हेतु   -:  ( गोत्र   नाम) गोत्रे अस्मत पिता , पिता का नाम शर्मा   वसुरूपस्य तृप्तप्यतम इदं तिलोदकम तस्मै स्वधा नमः ,   तस्मै स्वधा नमः   तस्मै ( गोत्र   wale   मेरे पिता श्री वसुरूप में तिल तथा पवित्र जल ग्रहण कर तृप्त हों।     स्वधा नमः।  ...........pitamah- तस्मै