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-श्राद्ध की विधि -समय,दिशा:सामग्री ,तिथि- किसका श्राद्ध,फल

  श्राद्ध-पक्ष मार्गदर्शिका (Pitru Paksha Guide) यह मार्गदर्शिका पितृ-पक्ष (श्राद्ध-पक्ष) से सम्बन्धित नियम, शास्त्रीय प्रमाण, गृह-श्राद्ध की विधि और गया-श्राद्ध के सही समय को स्पष्ट करने हेतु तैयार की गई है। हर वर्ष घर पर श्राद्ध करना चाहिए और गया-श्राद्ध विशेष समय पर ही करना चाहिए। १. श्राद्ध-पक्ष का स्वरूप धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु के अनुसार पितृ-पक्ष में पितर अपने वंशजों के घर आते हैं। इस समय घर पर श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान एवं ब्राह्मण-भोजन अनिवार्य है। 📖 श्लोक: श्राद्धकालोऽयं पितृणां स्वगृहे स्वसुतैः सह। आगत्य तृप्तिमायान्ति यतः श्राद्धं गृहादिकम्॥ 👉 अर्थ: पितृ-पक्ष के समय पितर अपने वंशजों के घर ही आते हैं और वहीं किए गए श्राद्ध से तृप्त होते हैं। २. गया-श्राद्ध का महत्त्व गया को अक्षय पितृतीर्थ कहा गया है। वहाँ किया गया श्राद्ध स्थायी और अनन्त फलदायी होता है। परंतु यह श्राद्ध-पक्ष के दौरान करने का विधान नहीं है। 📖 वायुपुराण: गयायां पिण्डदानं च तस्य फलं अनन्तकम्। सर्वपितृगणान् तर्पयति त्रैलोक्यस्य च शाश्वतम्॥ 👉 अर्थ: गया में पिण्डदान अनन्त फल देने वाल...

श्राद्ध-पक्ष -7 सितम्बर से 21 सितम्बर 2025 तक।गया-श्राद्ध - नहीं?

  📖 श्राद्ध - पक्ष का आरम्भ 7 सितम्बर से 21 सितम्ब  2025 तक ।   2025 में भाद्रपद पूर्णिमा (7 सितम्बर ) को श्राद्ध - पक्ष की पूर्णिमा श्राद्ध माना जाएगा। पितृ - पक्ष का औपचारिक आरम्भ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से होता है → यह अवधि 16 दिन की मानी जाती है ( पूर्णिमा श्राद्ध + 15 दिन ) । 7 सितम्बर पूर्णिमा → श्राद्ध - पक्ष का प्रारम्भ। 8–21 सितम्बर → 15 दिन पितृ - पक्ष। पितर इस अवधि में पृथ्वी पर अपने वंशजों के समीप आते हैं । पितृ - पक्ष के 15 दिन में गया - श्राद्ध उचित नहीं है । गया - श्राद्ध ( विशेष फल ) + गृह - श्राद्ध ( नित्य कर्तव्य ) दोनों आवश्यक हैं। 👉 पितृ-पक्ष के 15 दिन में गया-श्राद्ध उचित नहीं है । 👉 इस अवधि में पितर अपने-अपने वंशजों के घर पर आते हैं और वहीं श्राद्ध, तर्पण से तृप्त होते हैं। 👉 गया-श्राद्ध अन्य समय (मृत्यु-तिथि, विशेष काल, संतानोत्पत्ति, संकल्पित अवसर) पर ही करना शास्त्र-सम्मत है। ✨ श्राद्ध का महत्व (Scriptural Basis) गरुड़ पुराण 2.   श्राद्धेन ...