श्राद्ध-पक्ष मार्गदर्शिका (Pitru Paksha Guide) यह मार्गदर्शिका पितृ-पक्ष (श्राद्ध-पक्ष) से सम्बन्धित नियम, शास्त्रीय प्रमाण, गृह-श्राद्ध की विधि और गया-श्राद्ध के सही समय को स्पष्ट करने हेतु तैयार की गई है। हर वर्ष घर पर श्राद्ध करना चाहिए और गया-श्राद्ध विशेष समय पर ही करना चाहिए। १. श्राद्ध-पक्ष का स्वरूप धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु के अनुसार पितृ-पक्ष में पितर अपने वंशजों के घर आते हैं। इस समय घर पर श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान एवं ब्राह्मण-भोजन अनिवार्य है। 📖 श्लोक: श्राद्धकालोऽयं पितृणां स्वगृहे स्वसुतैः सह। आगत्य तृप्तिमायान्ति यतः श्राद्धं गृहादिकम्॥ 👉 अर्थ: पितृ-पक्ष के समय पितर अपने वंशजों के घर ही आते हैं और वहीं किए गए श्राद्ध से तृप्त होते हैं। २. गया-श्राद्ध का महत्त्व गया को अक्षय पितृतीर्थ कहा गया है। वहाँ किया गया श्राद्ध स्थायी और अनन्त फलदायी होता है। परंतु यह श्राद्ध-पक्ष के दौरान करने का विधान नहीं है। 📖 वायुपुराण: गयायां पिण्डदानं च तस्य फलं अनन्तकम्। सर्वपितृगणान् तर्पयति त्रैलोक्यस्य च शाश्वतम्॥ 👉 अर्थ: गया में पिण्डदान अनन्त फल देने वाल...
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