सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

हरतालिका व्रत-भाद्र शुक्ल तृतीया -

  हरतालिका व्रत - भाद्र शुक्ल तृतीया - समग्र भारत में अलग अलग नाम से विख्यात है ।पुराणों में भी हरि काली , हस्त गोरी , स्वर्ण गोरी , कोटेश्वरी आदि नाम से वर्णित व्रत। महाराष्ट्र एवं शेष उत्तर भारत में हरतालिका तीज का पर्व| गौरी तृतीया(गणगौर –राजस्थान) - मगला गौरी देवी नाम से मंगला देवी के स्वरूप की पूजा होती है |कुंडली में मंगल के अशुभ प्रभाव या मांगलिक दोष के लिए की जाती है | - स्वर्ण गौरी-(कर्नाटक,आंध्र,तमिलनाडु ) गौरी हब्बा - पर्व अति महत्वपूर्ण है- नारियां   सौभाग्य , सुखी वैवाहिक जीवन हेतु , देवी गौरी के   आशीर्वाद के लिये स्वर्ण गौरी व्रत का करती हैं। मान्यता-तीज के   दिन देवी गौरी अपने मायके   (माता पिता के घर) आती है। अगले दिन भगवान गणेश , उनके पुत्र , माता गौरी को पिता के या अपने घर कैलाश पर्वत पर वापस ले जाने आते हैं हो। हरितालिका पूजा समय - 06:07 - 08:20 बजे तक ; - प्रदोषकाल हरितालिका पूजा समय - 18 :36 से 20 :55 बजे तक ;     भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष तृतीया को प्रत्येक वर्ष (सूर्य चंद्र एवं नक्षत्र की विशेषस्थिति में) मनाया जाता है। सोमवार होने पर

कुंडली मे कौनसी दशा और क्यो लागू होती है-नियम ;120वर्ष की दशा 50 प्रतिशत कुंडली मे लागू ही नहीं होती;

    जन्म कुंडली निर्माण के उपरांत ग्रहों की स्थिति , लग्न, षोडश वर्ग आदि के आधार पर यह निर्णय लिया जाना चाहिए कि” कुंडली विशेष में कौन सी दशा लागू होगी”. -सामान्य रूप से उत्तर भारत में   विशोत्तरी दशा एवं गुजरात क्षेत्र में 108 वर्ष की अष्टोत्तरी दशा का प्रचलन है। - यह अनुचित एवं गलत परंपरा है - दशा -जैसे प्रचलन मे  विशोत्तरी 120 वर्ष की दशा ही प्रत्येक कुंडली मे लागू कर उपाय एवं भविष्य बताते है ।  -ग्रहों की दशा से राशियों की दशा अधिक सटीक होती है । - ग्रह से दशा फल  कठिन या अपूर्ण है।राशि दशा अधिक सत्य फल बताती है । 1क्योकि कोई ग्रह दो राशि का स्वामी है तो 12 मे से 2घर पर उसका प्रभाव होगा . 2-दशा वाला ग्रह बैठा कहाँ है ?अर्थात एक और भाव प्रभावित होगा । 3-ग्रह अपनी पूर्ण दृष्टि  किस भाव पर डाल रहा ?   4- ग्रह किस नक्षत्र पर बैठा ? नक्षत्र का स्वामी कौन है ? महत्वपूर्ण बात है कि, दशा के सम्पूर्ण कार्य काल मे किस भाव का, किस वर्ष मे फल होगा ? - केवल विशोत्तरी दशा के आधार पर सभी प्रश्नो का समाधान या उपाय बताना अनुचित है । -पाराशर जी ने अपने ग्रंथ मे 42 प्रकर की दशाओं का