मंगला गौरी व्रत (शिव अर्धांगिनी देवी गौरी की पूजा ) सावन माह का हर दिन उपयोगी है |मंगलवार के दिन ,दाम्पत्य सुख के लिए देवी गौरी से प्रार्थना कर अनिष्ट गृह, क्रूर गृह मंगल आदि के दोष के निराकरण के लिए विशेष उपयोगी | (क्यों करे ?-\विवाह बाधा दूर, मंगल दोष दू र,दाम्पत्य सुख ,पति की आयु वृद्धि ,प्रेम विवाह हेतु, संतान अभाव दूर , पारिवारिक क्लेश कष्ट दूर) किस राशी /लग्न वाले करे? कुम्भ,मकर,तुला,कन्या,वृष,मिथुन,राशी वाले स्त्री पुरुष के लिए उपयोगी | नवग्रह,स्वस्तिक लाल वस्त्र पर देवी प्रतिमा,सप्त प्रकार के अनाज, | संकल्प-हाथ में जल लेकर | पुत्र पौत्र सौभाग्य वृद्धये श्रीमंगला गौरी प्रीत्यर्थं पंचवर्ष पर्यन्तं मंगला गौरीव्रतम अहम करिष्ये’ कहे फिर जल पृथ्वी पर छोड़ दे | लाल वस्त्र,लाल आसन| उत्तर दिशा की और मुह कर –16 बत्ती का दीपक (आटे या धातु का )महुए या गाय के घी अथवा तिल के तेल का प्रदीप्त करे | वर्तिका भी लाल रंग की हो|मौली या कलावा की बत्ती उत्तम है, श्वेत रंग की वर्तिका प्रयोग न करे | 16 की संख्या का महत्व | अर्पित की जाने वाली वास्तु 16 हो या प्रत्येक वास्तु 16 की
ज्योतिषी,वास्तु रत्न, हस्तरेखा ,अनुष्ठान,धर्म,व्रत,पर्व, |