सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

शीतला अष्टमी-त्वचा रोग का शमन; "बासी- भोजन

शीतला अष्टमी को " बासी- भोजन " देवी को अर्पण एवं त्वचा रोग का शमन                          ( चैत्र , वैशाख , जेठ , आषाढ़ -चार माह की अष्टमी ) शीतला शब्द से तात्पर्य है ठंडा अर्थात शीतल उष्णता से परे ताप रहित शीतला पर्व वर्ष में कब-कब मनाया जाता है ? सामान्यतः यह पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है | इसके अन्य नाम भी हैं बसोडा , लसोड़ा , बसौरा अर्थात यह नाम या यह शब्द बासी वस्तुओं या बासी भोजन से संबंधित होने के कारण नाम यह रखे गए हैं |   इस प्रकार के नाम क्यों प्रचलित हुए इसका प्रमुख कारण है -  बासी भोजन क्योंकि इस दिन घर में ताजा भोजन बनाना वर्जित है | 1 दिन पूर्व जो भोजन बनाएंगे , दूसरे दिन प्रातः मां शीतला देवी की पूजा कर उस बासी भोजन को ही शीतला देवी को अर्पित करने के बाद , खाने की परंपरा है | बासा भोजन खाने की परम्परा अष्टमी को क्यों पड़ी ? यह परंपरा इसलिए पड़ी क्योकि तिथि अष्टमी की अधिष्ठात्री  देवी हैं   | दुर्गा जी का  स्वरूप मां शीतला देवी हैं | अष्टमी  तिथि का निर्माण सूर्य चंद्रमा दोनों ग्रह की एक विशेष स्थिति में होने पर होता  है |  अष्टमी तिथि

राजयोग भोगी श्री येदूरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री का ताज पहनेगे

                       शपथकालीन कुंडली –     मुख्यमंत्री पद की शपथ काल की कुंडली ही मुख्यमंत्री पद के प्रश्न का सही उत्तर है -     मिथुन लग्न   *इन्दु लग्न मिथुन –श्रेष्ठ है |                 लग्नेश का मित्र शुक्र जनप्रियता कारी लग्न मे है |                 *लग्नेश बुध जननेतृत्व भाव एकड़ाह मे विराजित है |                 *भागयेश शनि मित्र बुध की राशि पर पूर्ण दृष्टिपात का रहा है |                * मंगल अपनी राशि से दशम पद अधिकार भाव मे है |                  *विजयदायी तृतीयेश सूर्य अपनी राशि से दशम भाव मे है |       नवमांश कुंडली –भाग्य भवन मे शुक्र अपनी राशि मे है |, सप्तम शनि अपनी कुम्भ राशि                        को देख रहा है | राजीती कारक राहू दसहम मे है |                    *अष्टमेश बुध षष्ठ भाव मे नैसर्गिक उच्च ष्ठान पर है |                    *दशमेश मंगल लग्न भाव मे है | *                   * मंगल गुरु के नक्षत्र मे आयेश भाव के स्वामी के प्रभहव देगा |             भाग्य कुंडली मे – राहू एकादश स्थान पर सर्व विजय प्रद है | भाग्य कुंडली मे राहू की ही दश

सर्वश्रेष्ठ माह वर्ष का निकालिए ,सफल

    ग्रहों का गोचर में प्रभाव-जानने की सटीक सरल विधि-                                ( jyotish9999@gmail.com ;9424446706)   सामान्यतः जन्म के पश्चात जन्म की राशि के आधार पर जो कि सामान्यता  60 घंटे की अवधि की होती है , के आधार पर ग्रहों के    राशि परिवर्तन के आधार पर भविष्यफल लेखन यह बताया जाता है |   यह विधि नितांत स्थूल एवं श्रेष्ठ परिणाम सटीक फलदाई नहीं हो   हो सकती है , क्योंकि इससे सूक्ष्म एवं प्रमुख लग्न होती है जो सामान्यतः 2 घंटे की अवधि की होती है | कुंडली में स्थित ग्रह अपरिवर्तनशील होते हैं परंतु गोचर में वही ग्रह राशि परिवर्तन करते हैं जिससे शुभ अशुभ प्रभाव उत्पन्न होते हैं | इसलिए जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों की उपेक्षा करना अनदेखा करना अथवा मात्र   चंद्र स्थित राशि के आधार पर गोचर फल कथन नितांत अप्रमाणिक एवं अंधेरे में    तीर तुक्का अथवा अंधेरे में लाठी चलाना जैसा अविवेकपूर्ण कार्य होगा यह होता है | इससे ना केवल ज्योतिष विद्या पर प्रश्नचिन्ह लगता है वर्णन आस्था श्रद्धा एवं विश्वास का भी अनजाने में ही तथाकथित   ज्योतिषी गला घोटने जैसा निंदनीय कार्य करते हैं-