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सर्वश्रेष्ठ माह वर्ष का निकालिए ,सफल

    ग्रहों का गोचर में प्रभाव-जानने की सटीक सरल विधि-                                ( jyotish9999@gmail.com ;9424446706)   सामान्यतः जन्म के पश्चात जन्म की राशि के आधार पर जो कि सामान्यता  60 घंटे की अवधि की होती है , के आधार पर ग्रहों के    राशि परिवर्तन के आधार पर भविष्यफल लेखन यह बताया जाता है |   यह विधि नितांत स्थूल एवं श्रेष्ठ परिणाम सटीक फलदाई नहीं हो   हो सकती है , क्योंकि इससे सूक्ष्म एवं प्रमुख लग्न होती है जो सामान्यतः 2 घंटे की अवधि की होती है | कुंडली में स्थित ग्रह अपरिवर्तनशील होते हैं परंतु गोचर में वही ग्रह राशि परिवर्तन करते हैं जिससे शुभ अशुभ प्रभाव उत्पन्न होते हैं | इसलिए जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों की उपेक्षा करना अनदेखा करना अथवा मात्र   चंद्र स्थित राशि के आधार पर गोचर फल कथन नितांत अप्रमाणिक एवं अंधेरे में    तीर तुक्का अथवा अंधेरे में लाठी चलाना जैसा अविवेकपूर्ण कार्य होगा यह होता है | इससे ना केवल ज्योतिष विद्या पर प्रश्नचिन्ह लगता है वर्णन आस्था श्रद्धा एवं विश्वास का भी अनजाने में ही तथाकथित   ज्योतिषी गला घोटने जैसा निंदनीय कार्य करते हैं-

रुद्र अभिषेक – विशेषता-चार वेदीय विधि |

तलाक़ होने न दे-रहस्यमयि विद्या कुण्डली मिलान

 रहस्यमयि विद्या /तकनीक कुण्डली मिलान   :विवाह के लिए जन्म कुंडली के ग्रहो-नक्षत्रो से कुण्डली मिलाएँ कुंडली मिलाएँ लग्न नक्षत्र या नवमांश से क्यों-     विवाह पश्चात अलगाव,तलाक आदि समस्याएँ दिनो दिन ,आज की जीवन शैली के कारण बढ़ रही हैं इसका मूल कारण बहू द्वारा "बहू" शब्द का दायित्व निर्वाह आशा  के अनुकूल नहीं होना भी है |  संस्कार हीन युवा वर्ग का बड़ो के प्रति घटता सम्मान भी है|      आज़ कुंडली मिलाने के लिये केवल नक्षत्र की विशेषता पर्याप्त नहीं रही,वरन कुण्डली मे स्थित ग्रह एवं उनकी स्थिति का विश्लेषणात्मक अध्ययन आवशयक है |   अकल्पनीय परन्तु यथार्थत: सत्य  -             16 वी सदी की विवाह पूर्व कुंडली मिलान विधि (अष्टकूट 36 गुण ), 20 वी सदी में भी पूर्ववत प्रचलित ?             (  ज्योतिषियों का नैतिक दायित्व नवमांश ,जन्म चक्रकुंडली मिलाएँ लग्न नक्षत्र या नवमांश से  ज्योतिष  विधि, लग्न.नक्षत्र चरण से विवाह मिलान कर ज्योतिष के स्थापित ग्रन्थ ,सिद्दांत के प्रति विशवास बढाए एवं उचित मूल्याङ्कन (16वी सदी के 36 /44 गुण से आगे  ..) कर जन सामान्य की अपेक्षा पर जाने अन