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शिव पूजा जानने योग्य .बाते एवं प्रभावी स्तुतियाँ

शिव पूजा जानने योग्य .  1 .परिक्रमा . शिव लिंग  परिक्रमा कभी  नहीं लगाना चाहिए।  जिस और और योनि होती है उसका उल्लंघन करना वर्जित है। इसलिए शिव मंदिर की पूर्ण परिक्रमा शास्त्रो मे निषिद्ध है। अर्ध प्रदिक्षिणा करना चाहिए। अर्थात आधी से अधिक नहीं करे। बारबार आधी भी नहीं करे। 2. बिल्व पत्र कब नहीं तोड़ना वर्जित . बिल्ब पत्र बासी नहीं माने जाते। निषिद्ध दिन  पूर्व तोड़े या अर्पित  बिल्ब पत्र भी पुन जल  से धोकर चढ़ाये जा सकते हैं। बिल्ब पत्र बासी नहीं माने जाते। तोड़ना वर्जित .सोमवार |यतिथि.चतुर्थीएनवमीएचतु सोमवार यतिथि.चतुर्थीएनवमीएचतुर्दशीएअमावस्या यसंक्रांति।  3. पुष्प तोड़ने तोड़ने एवं अर्पित करने की विधि .पूर्ण विकसित  सुंगधित पुष्प ; कमल पुष्प के  अतिरिक्त अन्य किसी पुष्प  कली वर्जित एटूटी या विखरी पंखुरी का पुष्प भीनिषिद्ध  है। , पुष्प जिस प्रकार से पेड़ पर लगा हो उस प्रकार  अर्पित करे। ’ पुष्प  तोड़ते समय दाहिने हाथ    प्रयोग करे। पुष्प तोड़ते समयए पुष्प  से तर्जनी ;अंगूठे के पास की ऊँगली का  स्पर्श नहीं होना  चाहिए।  ’ वर्जित पुष्प . केवड़ा एबकुल एकपास ,सेमल,केतकी ,कांड ,जूही ,शिरीष

रुद्राष्टक-नमामि ईशम ईशान रूपं -शुद्ध पढ़े अनिष्ट नहीं होगा कामना पूरी होगी

Rudrastkam – रुद्राष्टकम संदर्भ-रामचरित मानस तुलसीदास विरचित उत्तरकाण्ड - “ रुद्राष्टकम ” श्लोक सन्दर्भ -   काकभूशुंडी (शूद्र ) अयोध्या में अकाल पड़ने से   भटकते 2  उज्जैंन नगर में पहुचे | यहाँ वे श्रेष्ठ शिवोपसक ब्राह्मण के आश्रय में (, की छत्र छाया में ज्ञानार्जन   करने लगे. जो इनको पुत्रवत स्नेह करते थे . काकभूशुंडी जी   गुरु कृपा से ,शिव मंत्र  प्राप्त कर , भूत भगवान सदाशिव महाकाल की भक्ति अराधना में सिद्ध होगये   | गुरु से प्राप्त अद्भुत शीघ्र ज्ञान प्राप्त होने के कारण   (जन्म गत स्वभाव के अनुरूप) वे अहम् , दंभ , कुटिल बुद्धि से विष्णु जी एवं   उनके ब्रह्मवादी भक्तो से   इर्षा , द्वेष मय दुर्व्यवहार , अनुचित आचरण करने लगे. | शिवोपसक ब्राह्मण गुरु ने दुखित होकर , अनेकानेक बार उनको किसी से भी,विशेष विष्णु जी या उनके भक्तों से ,अनुचित व्यवहार नहीं करने के लिए समझाया ,परामर्श दिए. यहाँ तक कहा , " जिन भगवान राम को शिव , ब्रह्मा भी पूजते हैं , तुझे उनसे व उनके भक्तो से   विद्वेष का व्यवहार कदापि नहीं करना नहीं चाहिए |" काकभूशुंडी ने रोज रोज इस प्रकार