सूर्य षष्ठी(छठ पूजा) शिशु पालिनी षष्ठी देवी की पूजा 7-10 नवम्बर – गंगा –यमुना के किनारे वाले क्षेत्र में मई बहु प्रचलित –छठ-पूजा सूर्यास्त कालीन विश्वदेवता के नामक सूर्य भगवान् का पूजन-अर्चन भारत के पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार एवं विदेश में मॉरीशस , फिजी , त्रिनीडाड आदि के स्त्री-पुरुष प्रतिवर्ष करते हैं। यह पर्व वर्ष में दो बार मानते हैं । पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। पारिवारिक सुख-समृद्घि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। - । ब्रह्मर्षि वशिष्ठ के माध्यम से , राजऋषि विश्वामित्र के मुख से कार्तिक शुक्ल षष्ठी के अस्ताचल सूर्य एवं सप्तमी को सूर्योदय के मध्य गायत्री मंत्र नामक यजुष का प्रसव / विश्वामित्र के मुख से हुआ , वेदमाता गायत्री प्रकट हुई थी ।प्रत्यक्ष देव भुवन भास्कर के पूजन , अर्घ्य का अद्भुत परिणाम था। तब से कार्तिक शुक्ल षष्ठी की तिथि परम पूज्य हो गई। चार दिनी छठ मैया पर्व- किन राशी के लिए विशेष उपयोगी ? - ज्योतिष के सिद्धांत से मेष,वृष,मिथुन,कर्क ,कन्या,तुला,वृश्चिक,मकर कुम्भ एवं मीन राशी वालो के लिए सूर्य की कृपा
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