यज्ञादि हवन कर्मों में आम की समिधा ( लकड़ी) से हवन नहीं करना चाहिए। जबकि द्वार पर तोरण , माला , पुजा , कलश आदि मे आम के पत्ते शुभ मगल कारी माने गए हैं | आम काष्ठ समिधा / लकड़ी यज्ञ कर्म में सर्वथा त्याज्य है , | यज्ञीय वृक्ष से आशय है — जिन वृक्षों का यज्ञ में हवन या पू जा मे पत्र , पुष्प , समिधा लकड़ी आदि का प्रयोग शास्त्रों में बताया गया है । यज्ञीय वृक्ष अर्थात यग्न या हवन मे प्रयोग किए जाने वाले वृक्ष की लकड़ी - ( संदर्भ ग्रंथ संस्कार भास्करे ब्रह्मपुराणे) पलाशफल्गुन्यग्रोधाः प्लक्षाश्वत्थविकंकिताः। उदुंबरस्तथा बिल्वश्चंदनो यज्ञियाश्च ये।। सरलो देवदारुश्च शालश्च खदिरस्तथा। समिदर्थे प्रशस्ताः स्युरेते वृक्षा विशेषतः।। संदर्भ ग्रंथ - आह्निकसूत्रावल्यां - वायुपुराण | 2 शमीपलाशन्यग्रोधप्लक्षवैकङ्कितोद्भवाः। वैतसौदुंबरौ बिल्वश्चंदनः सरलस्तथा।। शालश्च देवदारुश्च खदिरश्चेति याज्ञिकाः।। अर्थ* हवन समिधा कार्यके लिए उल्लेखित वृक्षों की लकड़ी शुभ – 1 पलाश /ढाक/छौला 2 फल्गु 3 वट 4 पाकर 5 पीपल 6 विकंकत /कठेर 7 गूलर 8 बेल 9 चंदन 10 सरल
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