दाम्पत्य जीवन कुंडली मिलान वैवाहिक जीवन दाम्पत्य जीवन कुंडली मिलान वैवाहिक जीवन आज दांपत्य जीवन दरकने लगा है। दरारें पड़ने लगी है। इसका प्रमुख कारण आत्मनिर्भरता एवं शिक्षा आदि के साथ.साथ वर्तमान पाश्चात्य परिवेश का सामाजिक जीवन में प्रवेश है । आत्म सम्मान एवं अहम की वृद्धि हो चुकी है। सम्मान की भावना दूसरों के प्रति कम हो गई है ।स्वार्थपरता एवं भोग वादी प्रवृत्तियां एवम् संवादएसंचार भी प्रमुख कारण है। 36 गुण अष्टकूट आंशिक अप्रासंगिक. बहुत समय पूर्व लगभग 300 वर्ष पूर्व हुआ अष्टकूट या 36 गुण मिलान की विधि परंपरा में आई थी। तत्कालीन समय में स्थितियां एवं सामाजिक वातावरण तथा कुंडली नहीं मिलाने पर भी संस्कार ,धार्मिक,आर्थिक प्रभाव से जीवन मरण साथ साथ होता रहता था । दांपत्य जीवन टूटता नहीं था ।आज छत्तीस गुण की विधि जिसने भी निर्मित की थी उसने एक अभिनव पहल ज्योतिष के क्षेत्र में दी थी। परंतु खेद है उसके पश्चात किसी ने भी कोई विशेष उल्लेखनीय कार्य विवाह के लिए कुंडली मिलान के संदर्भ में नहीं किया है। उपलब्धआधार पर ही टीका टिप्पणी एवं अनुभव के आधार पर सभी स्थितिय
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