*भद्रा कौन ? भद्रा भगवान सूर्य का कन्या है ।गदर्भ मुख,लम्बी पुंछ एवं तीन पैर युक्ता . सूर्य की पत्नी छाया से उत्पन्न है और शनि की सगी बहन है। यह काले वर्ण , लंबे केश , बड़े-बड़े दांत तथा भयंकर रूप वाली है। - - ‘ श्रीपति’ - मूलक्र्षे शूलयोगे रवि दिन दशमी फाल्गुन कृष्णा याता विष्टिर्निशायां प्रभवति नियतं शंकर पहिचांगे।।’’ अर्थात फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि, रविवार, मूल नक्षत्र , शूलयोग में रात्रि समय भद्रा का उद्भव भगवान शंकर के शरीर से हुआ । * भद्रा की उत्पत्ति कथा और प्रभाव* भद्रा भगवान सूर्य नारायण और छाया की पुत्री हैं और शनि देव की सगी बहन हैं। भद्रा का रंग काला , रूप भयंकर , लम्बे केश व दांत विकराल हैं। जन्म लेते ही वह संसार को ग्रसने दौड़ी , यज्ञों में विघ्न पहुंचाने लगी , उत्सवों और मंगल- कार्यों में उपद्रव करने लगी। उसके भयंकर रूप और उपद्रवी स्वभाव को देखकर कोई भी उससे विवाह करने को तैयार नहीं हुआ। सूर्य देव ने अपनी पुत्री के लिए स्वयंवर का आयोजन किया तो भद्रा ने तोरण , मण्डप आदि सभी उखाड़ कर आयोजन को नष्ट कर डाला और सभी लोगों को कष्ट देने लग
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