सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कामना एवं सुख वर्धक द्वादसी -26 DecLord Vishnu Day आपदा नाशक सौभाग्य वर्धक विष्णु पूजा दर्शन ।Make Lucky your self( at least for a month.)Pray Lord Vishnu।

  कामना एवं सुख वर्धक द्वादसी -26 Dec Lord Vishnu Day आपदा नाशक सौभाग्य वर्धक विष्णु पूजा दर्शन । Make Lucky your self( at least for a month.)Pray Lord Vishnu । मार्गशीर्ष माह की द्वादशी तिथि अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि है। ज्योतिष की दृष्टि से - किसको अवश्य भगवान विष्णु की पुजा करना चाहिए ? मिथुन एवम् कर्क राशि वालो को अवश्य अपदा , विपदा एवम् अनिष्ट शांति के लिए विष्णु जी का स्मरण दर्शन करना चाहिए तथा   जिनके नाम   का प्रथम अक्षर ह , ड , क , छ , घ , से प्रारंभ हो उन्हें भी दैनिक व्यवहार ने सफलता के लिए विष्णु जी के दर्शन , स्मरण करना चाहिए। इस तिथि को विष्णु एवम् सूर्य पूजा का महत्व है। चार पर्व अनमोल अवसर है ।   1 व्यंजन द्वादशी । Food Day 2 द्वादश आदित्य व्रत । Sun Worship Day 3 जनार्दन पूजा । God Vishnu Day 4 अखंड द्वादशी व्रत। Lucky Day एक साथ इतने अधिक महत्व के दिन हैं । सनातन धर्म ही विश्व एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें व्यक्ति पूजा का कोई स्थान नहीं है।   ग्रह नक्षत्रों पर आधारित संपूर्ण उच्च कोटि का वैज्ञानिक धर्म है। जिसमें ग्रह नक्षत्रों के   दुष्प्रभाव दूर

बरगद – ग्रह प्रभाव

  बरगद – ग्रह प्रभाव भगवान विष्णु और बरगद का महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार , भगवान विष्णु बरगद के पेड़ की छाल में निवास करते हैं। जब प्रलय के दौरान संसार जल में डूब रहा था , तब भगवान विष्णु ने शिशु रूप में बरगद के पत्तों पर शरण ली थी। उन्हें इस रूप में वात-पत्र-शयिन कहा जाता है। त्रिमूर्ति का प्रतीक बरगद के पेड़ की जड़ों में भगवान ब्रह्मा , शाखाओं में भगवान शिव और छाल में भगवान विष्णु का वास माना गया है , जिससे यह त्रिमूर्ति का प्रतीक बनता है। यह पेड़ हिंदू श्मशान के पास लगाया जाता है , क्योंकि इसे मृत्यु के देवता भगवान यम से जोड़ा गया है। भगवान शिव और बरगद की छाया भगवान शिव को दक्षिणामूर्ति कहा जाता है , जो परिवर्तन और मृत्यु की दिशा की ओर मुख किए हुए होते हैं। यह वृक्ष शिव की तपस्या और साधना का प्रतीक है , क्योंकि शिव हमेशा इसकी छाया में विराजमान रहते हैं। ज्ञान और आत्मसाक्षात्कार का प्रतीक गौतम बुद्ध ने बरगद के वृक्ष की छाया में सात दिनों तक ध्यान किया , जिससे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। इसे अध्यात्म और ज्ञान का प्रतीक माना गया है। प्रजनन समारोह