नाड़ी दोष परिहार :-क) -वर कन्या की एक राशि हो , लेकिन जन्म नक्षत्र अलग-अलग हों . -जन्म नक्षत्र एक ही हों परन्तु राशियां अलग हो तो नाड़ी नहीं होता है , - यदि जन्म नक्षत्र एक ही हो , लेकिन चरण भेद हो , एक दूसरे को पंसद करते हों तब इस स्थिति मे विवाह किया जा सकता है। ख) विशाखा , अनुराधा , धनिष्ठा , रेवति , हस्त , स्वाति , आद्र्रा , पूर्वाभद्रपद , इन 8 नक्षत्रों में से किसी नक्षत्र मे वर कन्या का जन्म हो तो नाड़ी दोष नहीं रहता है ग) उत्तराभाद्रपद , रेवती , रोहिणी , विषाख , आद्र्रा , श्रवण , पुष्य , मघा , इन नक्षत्र में भी वर कन्या का जन्म नक्षत्र पड़े तो नाड़ी दोष नही रहता है। उपरोक्त मत कालिदास का है घ) वर एवं कन्या के राशिपति यदि बुध , गुरू , एवं शुक्र में से कोई एक अथवा दोनों के राशिपति एक ही हो तो नाड़ी दोष नहीं रहता है। ङ) ज्योतिष के अनुसार-नाड़ी दोष विप्र वर्ण पर प्रभावी माना जाता है। यदि वर एवं कन्या दोनो जन्म से विप्र हो तो उनमें नाड़ी दोष प्रबल माना जाता है। अन्य वर्णो पर नाड़ी पूर्ण प्रभावी नहीं रहता। यदि विप्र वर्ण पर नाड़ी दोष प्रभावी माने तो नियम का हनन
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