शीतला अष्टमी -25.मार्च 2022 - पंडित वी.के.तिवारी “ज्योतिष शिरोमणि " बासी- भोजन " देवी को अर्पण एवं त्वचा रोग का शमन- ( चैत्र , वैशाख , जेठ , आषाढ़ -चार माह की अष्टमी ) शीतला षष्ठी,सप्तमी एवं अष्टमी ?नियम,कथा,विधि एवं औचित्य . (संपूर्ण भारत में प्रचलित- विशेष उत्तर भारत ) - शीतला की उत्पत्ति – भगवान ब्रह्मा से हुई थी। देवी का असली नाम - श्री शीतला शेखला बहला । देवलोक से पृथ्वी पर , देवी शीतला माँ अपने साथ भगवान शिव के पसीने से बने ज्वरासुर को अपना साथी मानकर लाईं थी। तब उनके हाथों में दाल के दाने भी थे। राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने के लिए स्थान नहीं दिया तो माता क्रोधित हो गई थी । देवी शीतला माँ के क्रोध की ज्वाला से राजा की प्रजा को लाल लाल दाने निकल आए और लोग मरने लगे। राजा विराट ने देवी शीतला माँ के क्रोध को शांत करने के लिए ठंडा दूध और कच्ची लस्सी उन पर चढ़ाई। देवी शीतला माँ का क्रोध शमन हुआ. -देवी शीतला माँ के भाई गणेश जी हैं . भगवती देवी शीतला माँ सात बहन हैं - ऋणिका , घृर्ण
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